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अनसेफ मिलने के बाद भी चल रही थी ‘जहरीली’ फैक्ट्री

जागरण को मिली जानकारी के अनुसार मड़ियांव की इसी फैक्ट्री में पिछले साल छापे में मिर्च पाउडर में खतरनाक रंग पाया गया था।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 03:59 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 03:59 PM (IST)
अनसेफ मिलने के बाद भी चल रही थी ‘जहरीली’ फैक्ट्री
अनसेफ मिलने के बाद भी चल रही थी ‘जहरीली’ फैक्ट्री

लखनऊ, [राजीव बाजपेयी]। मड़ियांव की जिस मसाला फैक्ट्री में शनिवार को छापा पड़ा था, वहां पहले भी जांच में भयंकर गड़बड़ी पकड़ी गई थी। इसके बावजूद संचालक को लोगों की सेहत से खिलवाड़ की छूट दी गई। अब बड़ा सवाल है कि फैक्ट्री में खतरनाक तत्व की मिलावट पकड़े जाने के बावजूद आखिर इसका लाइसेंस क्यों नहीं निलंबित किया गया?

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जागरण को मिली जानकारी के अनुसार मड़ियांव की इसी फैक्ट्री में पिछले साल छापे में मिर्च पाउडर में खतरनाक रंग पाया गया था। लैब की रिपोर्ट में खतरनाक केमिकल सूडान-1 पाया गया था। इसके आधार पर नमूना अनसेफ आया था। अनसेफ का मतलब है कि खाद्य पदार्थ लोगों की सेहत के लिए ठीक नहीं है। नमूना अनसेफ आने के बावजूद फैक्ट्री का अब तक चलना एफएसडीए पर सवाल खड़े करता है। अमूमन अनसेफ रिपोर्ट पर एफआईआर के साथ ही एसीजीएम के यहां मुकदमा चलता है।

अधिकारी को जानकारी नहीं

अभिहीत अधिकारी टीआर रावत का कहना है कि मामला मेरे समय का नहीं है। अनसेफ रिपोर्ट पर लाइसेंस क्यों नहीं निरस्त किया गया यह जांच का विषय है। उनका कहना है कि चूंकि फैक्ट्री संचालक के पास सेंट्रल का लाइसेंस है। इसलिए यहां से केवल संस्तुति की जा सकती है। इस सवाल पर कि रिपोर्ट अनसेफ आने पर तत्कालीन डीओ ने संस्तुति की या नहीं? इस पर उनका कहना है कि फाइल देखने पर ही इसका पता चलेगा। अभी तक मैंने फाइल नहीं देखी है।

दुग्ध उत्पाद, फल और मिठाइयां भी सुरक्षित नहीं

जो पनीर बाजार में 250 से 300 रुपये में मिल रहा है, वह खुले बाजार में आसानी से सौ से 120 रुपये में मिल जाएगा। दरअसल, यह सिंथेटिक पनीर है, जो तमाम फास्ट फूड दुकानों और रेस्टोरेंट में खपाकर सेहत से खिलवाड़ की जा रही है। मड़ियांव में शनिवार को मसाला फैक्ट्री में छापे के दौरान लाखों रुपये के सब्जी मसाले और हल्दी सहित तमाम घटिया गुणवत्ता वाला सामान बरामद हुए थे। मुनाफे के इस खेल में सब्जी मसाले ही नहीं, दूध के उत्पाद, फल, मिठाइयां और खाद्य तेलों में भी मिलावट कर बाजार में खपाया जा रहा है।

मैदा और आलू से बन रहा खोवा

मिठाइयों को तैयार करने में जिस खोवे का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे मैदा, आलू और आरारोट मिलाकर तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा मिठाइयां तैयार करने में मानकों से अधिक खतरनाक कलर मिलाए जा रहे हैं, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं।

आरारोट, रंग और कद्दू से तैयार हो रहे सॉस-कैचअप

सड़कों पर लगे फास्ट फूड के स्टॉलों और रेस्टोरेंट में सॉस तथा कैचअप के नाम पर लोगों को केवल रंग और शुगर का घोल खिलाया जा रहा है। सिंथेटिक कलर के अलावा बेसन, आरारोट व मैदा का इस्तेमाल कर सॉस तैयार किया जा रहा है।

जंक फूड में खतरनाक मोनोसाइड ग्लूटामेट

उत्पादों को और स्वादिष्ट बनाने के चक्कर में मानकों को दरकिनार कर ऐसे पदार्थ मिलाए जा रहे हैं, जो किसी को भी बीमार बना सकते हैं। जंक फूड में खतरनाक मोनोसाइड ग्लूटामेट मिलाया जा रहा है।

बेकरी उत्पाद भी खतरनाक

बेकरी उत्पाद वालों को मानकों की जानकारी ही नहीं है। अधिकांश उत्पादों में फ्री फैटी एसिड कई गुना मिलाया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा मानक के अनुसार उत्पाद में फ्री फैटी एसिड की मात्र .25 होनी चाहिए लेकिन जांच में तमाम नमूनों में यह .4 तक पाई गई है। लगातार सेवन से बीमारियां हो सकती हैं।

वेजीटेबल ऑयल और बेकिंग पाउडर से बन रहा पनीर

सिंथेटिक पनीर को स्किम्ड मिल्क और खाने वाले सोडे के अलावा घटिया पॉम ऑयल, वेजीटेबल ऑयल तथा बेकिंग पाउडर मिलाकर तैयार किया जा रहा है। थोक में यह पचास रुपये से लेकर 80 रुपये तक में मिलता है। डिमांड बढ़ने पर बाजार में असली पनीर के साथ ढाई सौ से तीन सौ रुपये किलो तक में बेचा जा रहा है।

पाउडर से तैयार हो रहा पैकेटबंद दूध

सीजन कोई भी हो, दूध का कारोबार हमेशा मुनाफा देता है। दूध में दूषित बर्फ मिलाना तो आम बात है। वहीं, दूध को कई दिनों तक बनाए रखने के लिए उसमें प्रतिबंधित माल्टो डेक्सिट्रन पाउडर मिलाया जा रहा है। इस पाउडर को दूध में मिलाना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों और मंडियों से आ रहे दूध में इसकी सप्लाई की जा रही है। बीते दिनों इटौंजा में एफएसडीए ने पूरा टैंकर पकड़ा था।


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