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यूपी के 17 जिलों में बाढ़ का कहर, खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं शारदा-घाघरा समेत कई नदियां

उत्तर प्रदेश के 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। इन जिलों के 666 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं जबकि इनमें से आधे से अधिक गांव बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 03:59 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 05:38 PM (IST)
यूपी के 17 जिलों में बाढ़ का कहर, खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं शारदा-घाघरा समेत कई नदियां
यूपी के 17 जिलों में बाढ़ का कहर, खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं शारदा-घाघरा समेत कई नदियां

लकनऊ, जेएनएन। हर साल की तरह इस बार भी उत्तर प्रदेश बाढ़ की चपेट में है। प्रदेश की प्रमुख नदियां गंगा, यमुना, घाघरा, राप्ती और शारदा अलग-अलग स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। लगातार भारी बारिश और नेपाल से आने वाले पानी का बहाव राज्य की नदियों के उफान का कारण बन रहा है। हालात ऐसे हैं कि सूबे के 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। इन जिलों के 666 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं, जबकि इनमें से आधे से अधिक गांव बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। कई स्थानों पर जलस्तर कम हुआ है तो कटान की समस्या ने लोगों को परेशान कर दिया है। बाढ़ से प्रभावित लोगों ने ऊंचे स्थानों पर या तटबंधों पर शरण ले रखी है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिये हैं कि तटबंधों पर लगातार गश्त की जाए और भूमि क्षरण रोकने के कदम उठाये जाएं। राहत कार्यों में नौकाओं का उपयोग किया जाए। बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री इसकी लगातार समीक्षा भी कर रहे हैं। उन्होंने सरकार के दो मंत्रियों पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर और जलशक्ति राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख को बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इसके साथ ही राज्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 16 टीमें राहत और बचाव कार्य के लिए तैनात की गई हैं। कुल 219 आश्रय स्थल बनाए गए हैं और 983 नावों को तैनात किया गया है। 712 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं और 249 मेडिकल टीमें भी तैनात हैं। बाढ़ प्रभावित लोगों को राशन किट और भोजन के पैकेट वितरित किये जा रहे हैं।

बाढ़ से यूपी के 17 जिले प्रभावित : उत्तर प्रदेश में बाढ़ का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। पानी की कटान से बलिया में घाघरा नदी के दाएं तट पर तटबंध क्षतिग्रस्त हुआ है। इससे पहले गोंडा और आजमगढ़ में बाढ़ से तटबंधों में कटान हो चुकी है। राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि बाढ़ से अंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मऊ, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और सीतापुर जिले प्रभावित हैं। उन्होंने बताया कि बलिया में घाघरा नदी के दाएं तट पर स्थित बकुलहा संसार टोला तटबंध के किलोमीटर 4.125 के बीच टी स्पर के नोज भाग के अपस्ट्रीम में स्लोप क्षतिग्रस्त हुआ है। कटान को रोकने के लिए सीमेंट की खाली बोरियों में ईट-रोड़ा भरकर गैवियान रोप में डालकर क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत की कोशिश की जा रही है।

सरयू व घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर : राहत आयुक्त संजय गोयल के अनुसार पलियांकला (लखीमपुर खीरी) में शारदा, बर्डघाट (गोरखपुर) में राप्ती, एल्गिनब्रिज (बाराबंकी), अयोध्या और तुर्तीपार (बलिया) में सरयू व घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जबकि गोरखपुर में राप्ती नदी में एक तटबंध से पानी रिस रहा है और मऊ जिले के एक तटबंध पर भूमि क्षरण हुआ है। कटान स्थल पर जीआई वायर क्रेट में बोल्डर डालकर क्षतिग्रस्त भाग को दुरुस्त किया जा रहा है। तटबंध की लगातार निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि नदियों के जल स्तर पर लगातार नजर रखी जाए और आसपास के गांवों में पानी भरने से पहले ही मुनादी कराकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाए। प्रदेश के सभी बांधों की मरम्मत के लिए आवश्यक सामग्री की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए।

खतरे के निशान से ऊपर बह रही घाघरा : बहराइच जिले में एल्गिन ब्रिज पर घाघरा खतरे के निशान से 46 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जलस्तर घटने के बावजूद भी कटान जारी है। 10 बीघे कृषि योग्य जमीन घाघरा की धारा में समाहित हो गई। बेलहा-बेहरौली तटबंध को जोड़ने वाली सड़क व पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे आवागमन प्रभावित हो रहा है। तटबंधों पर लोग ठिकाना बनाए हुए हैं। कटान को देखते हुए लोग अपने हाथों से मकानों पर हथौड़ा बरसा रहे हैं। गृहस्थी का सामान तटबंध पर पहुंचाने में परिवार के लोग लगे हुए हैं। सिंचाई विभाग के अफसरों के अनुसार सरयू, शारदा बैराज से 138707, गिरजा से 128600 व सरयू बैराज से 2615 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। एल्गिन ब्रिज पर नदी खतरे के निशान ऊपर बह रही रही है। 

बाराबंकी में बाढ़ से 45 गांवों की आबादी व खेती प्रभावित : बाराबंकी में सरयू नदी का जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर अभी भी ऊपर है। जलस्तर घटने से कटान तेज हो गई है। जिले के 80 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें 45 गांवों की आबादी व खेती की जमीन दोनों जगह पानी भरा है। इसलिए फसलों की बर्बादी के साथ ही गांवों के घरों में भी बाढ़ के बाद भी काफी दिनों तक रहना मुश्किल होगा। पानी पूरी तरह से समाप्त होने के बाद भीगी दीवारों में धूप लगने से कच्चे घर भरभराकर कर गिरने शुरू होंगे। सिरौलीगौसपुर व रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र में अलीनगर-रानीमऊ तटबंध व एल्गिनब्रिज-चरसड़ी तटबंध, रामनगर तहसील क्षेत्र में तपेसिपाह तटबंध व सुंदरनगर हेतमापुर तटबंध पर करीब तीन हजार परिवार डेरा जमाए हैं।

गोंडा जिले में कई गांवों में घुसा नदी का पानी : गोंडा जिले में घाघरा और सरयू नदियों में आने वाली बाढ़ से बचाव के लिए बना भिखारीपुर-सकरौर तटबंध एक बार फिर कट गया। तटबंध कटने से बाढ़ का पानी गांवों की तरफ रुख करने लगा है। इससे करीब दो दर्जन पुरवों के लोग प्रभावित होंगे। मकान गिर रहे। हजारों एकड़ फसलों पर संकट के बादल छा गए हैं। मरम्मत में मनमानी व देखभाल में लापरवाही के कारण ये तटबंध कई बार टूट चुका है। वर्ष 2018 में तटबंध कटने के बाद इसे मजबूत बनाया गया था। इस वर्ष भी तटबंध की मरम्मत का कार्य चल रहा था। गत माह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं हवाई सर्वेक्षण करके बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया था। जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह के अलावा अन्य अफसर भी भ्रमण करके स्थिति का जायजा ले चुके हैं। दो अगस्त की देर रात अचानक इस तटबंध में कटान तेज हो गई थी लेकिन, सतर्कता के चलते बचा लिया गया। इसके बाद अफसर तटबंध को लेकर बेपरवाह हो गए और तटबंध कट गया।


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