ईदगाह व टीले वाली मस्जिद में पांच लोगों ने पढ़ी जुमे की नमाज, आसिफी मस्जिद में नहीं हुई नमाज।
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा अल्कोहल से यदि जान की सुरक्षा होती है तो इसका इस्तेमाल जायज।
लखनऊ, जेएनएन। आठ जून को धार्मिक स्थलों को खोलने के प्रशासन के आदेश के बाद शुक्रवार को पहले जुमे की नमाज हुई। मस्जिदों में पांच नमाजियों ने शारीरिक दूरी के साथ नमाज पढ़ी। ईदगाह ऐशबाग की जामा मस्जिद में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने नमाज पढ़ाई। लॉकडाउन के बाद पहली बार मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने का मौका मिला तो नमाजियों में भी खुशी थी। मौलाना ने बताया कि एक बार में पांच लोगों को ही नमाज पढ़ने की इजाजत दी। बारी-बारी से आकर लोगों ने नमाज अदा की।
शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने सभी को प्रशासन के नियमों के पालन के साथ नमाज अदा करने की अपील की। मौलाना ने कहा कि अभी हालात ठीक नहीं हैं, जब तक हालात ठीक नहीं होते इमामबाड़ा स्थित आसिफी मस्जिद में जमात में नमाज नहीं होगी। ऐसे में सभी को खुद के साथ समाज की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए नमाज अदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जमात के लिए छह फीट की दूरी सही नहीं है। इतनी दूरी में जमात नहीं होती। ऐसे में हालात ठीक होने तक जुमे की नमाज नहीं होगी।
टीले वाली मस्जिद के इमाम मौलाना फजले मन्नान ने बताया कि मस्जिद के अंदर रहने वाले पांच लोगों ने ही नमाज अदा की। हालांकि मौलाना ने प्रशासन से छोटी व बड़ी मस्जिद के हिसाब से नियम बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि छोटी मस्जिद में पांच ठीक है, लेकिन बड़ी मस्जिद के लिए संख्या बढ़ाने पर गौर करना चाहिए। जान है तो जहान है अल्कोहलयुक्त सैनिटाइजर का मस्जिद में इस्तेमाल करने को लेकर चले रहे विवाद पर टीले वाली मस्जिद के इमाम मौलाना फजले मन्नान ने कहा कि जब हम बीमार होते हैं तो यह पता करते हैं कि दवा में अल्कोहल है या नहीं है, क्योंकि उस समय हमें अपनी जान बचानी होती है। मस्जिद में आने वालों की सुरक्षा ज्यादा जरूरी है न कि अल्कोहल का इस्तेमाल।
इस्लाम में जान की हिफाजत के लिए सबकुछ जायज है। इंसान और इंसानियत को इस्लाम में सबसे ऊपर रखा गया है। इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहाकि सभी की हिफाजत अल्कोहल से ज्यादा जरूरी है। अल्कोहल से यदि जान माल की सुरक्षा होती है तो इसका इस्तेमाल जायज है। शरीर के अंदर लेने के बजाय इसका इस्तेमाल सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। जान से बढ़कर कुछ नहीं है।