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UPPCL Update: लखनऊ में सौभाग्य योजना के पांच डिवीजनों का बुरा हाल, मात्र बीस फीसद उपभोक्ता जमा कर रहे बिजली का बिल

सौभाग्य योजना के तहत भले गांव गांव बिजली पहुंचा दी गई हो लेकिन उपभोक्ता हर माह बिजली का बिल देने से कतरा रहे हैं। चार से पांच सौ रुपये महीने बिल देने के बजाए बिजली कनेक्शन कटवाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 08:15 PM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 07:28 AM (IST)
लखनऊ के 26 डिवीजनों में से पांच में बुरा हाल।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। सौभाग्य योजना के तहत भले गांव गांव बिजली पहुंचा दी गई हो, लेकिन उपभोक्ता हर माह बिजली का बिल देने से कतरा रहे हैं। चार से पांच सौ रुपये महीने बिल देने के बजाए बिजली कनेक्शन कटवाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। मोबाइल चार्ज करने के लिए स्ट्रीट लाइट या फिर धार्मिक स्थलों से इसकी व्यवस्था करने की बात कर रहे हैं ऐसे उपभोक्ता। जी हां मोहनलालगंज, गोसाईगंज, चिनहट व बीकेटी जैसे खंडों में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं।यही नहीं सौभाग्य योजना के तहत जिन्होंने कनेक्शन लिए हैं, सैकड़ों की संख्या में बिल भी नहीं जमा कर रहे हैं।ऐसे उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन काफी कट गए हैं। वहीं शहर क्षेत्र में छह से आठ फीसद उपभोक्ता हर माह बिल जमा नहीं करते, ऐसे में ऐशबाग, अपट्रान, अमीनाबाद, ठाकुरगंज व चौक डिवीजन में बिङ्क्षलग प्रतिशत गोमती नगर, मुंशी पुलिया व राजभवन डिवीजन की तरह नहीं हो पा रहा है।

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अब ऐसे उपभोक्ताओं से निपटने के लिए पहले स्थानीय स्तर पर अभियंता उपभोक्ताओं की काउसिङ्क्षलग करेंगे और बिल हर माह समय से जमा करने करवाने का प्रयास करेंगे। इसके बाद बिजली कनेक्शन काटे जाएंगे। इसके आदेश ऊर्जा मंत्री ने पहले ही जारी कर चुके हैं। डोर नॉक करने के बाद उपभोक्ता के साथ बिजली अभियंता व कर्मचारी चाय पिएंगे और समस्या जानेंगे। इसके बाद बिजली की भूमिका व विशेषताएं बताएंगे। उद्देश्य होगा कि हर माह राजस्व का ग्राफ बढ़े। बिङ्क्षलग प्रतिशत अभी जो सेस प्रथम से लेकर चतुर्थ तक सत्तर से अस्सी फीसद तक है, वह शत प्रतिशत हो।

पांच से दस हजार के बकाएदार सबसे ज्यादा: लेसा ट्रांसगोमती व सिस गोमती में पांच से दस हजार के बकाएदारों की संख्या सबसे ज्यादा है। कहने में यह राशि छोटी है लेकिन उपभोक्ताओं की संख्या हजारों में होने के कारण यह राशि करोड़ों में हो जाती है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में पचास से एक लाख बकाए वाले उपभोक्ता भी सैकड़ों की संख्या में है। अब ऐसे उपभोक्ताओं को पहले पुचकारा जाएगा और फिर बिल वसूला जाएगा।


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