PGI की एक और उपलब्धि, रोबोटिक सर्जरी से हटाया दिल पर भार बन रहा ट्यूमर lucknow news
उपलब्धि प्रदेश में पहली बार रोबोट से हुई मायस्थेनिया ग्रेविस की सफल सर्जरी। सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ अस्पताल से मिली छुट्टी।
लखनऊ, जेएनएन। संजय गांधी पीजीआइ में बीते शुक्रवार को पहली सफल कार्डियक रोबोटिक सर्जरी हुई। इसमें बिना सीना खोले दिल के ठीक ऊपर स्थित ट्यूमर युक्त थायमस ग्लैंड को निकाला गया। सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। वह पूरी तरह स्वस्थ है। प्रदेश में पहली बार रोबोट से मायस्थेनिया ग्रेविस की सफल सर्जरी हुई है।
52 वर्षीय जय कुमार सिंह मायस्थेनिया ग्रेविस बीमारी से ग्रस्त थे। इनके दिल के ऊपर थायमस ग्लैंड का कैंसर था। दो साल से वह इससे परेशान थे। थायमस ग्लैंड में कैंसर होने के कारण सर्जरी ही विकल्प थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ओपन सर्जरी में कई तरह के रिस्क थे, इसलिए रोबोटिक सर्जरी प्लान की गई। सर्जरी टीम के प्रमुख प्रो. अमित अग्रवाल और कार्डियक सर्जन प्रो. एसके आग्रवाल के मुताबिक सीने के बगल में जहां पसली होती है, एक-एक सेमी. के तीन छेद कर ट्यूमर तक पहुंचकर उसे निकाला गया। मरीज को सोमवार को छुट्टी मिल गई। सर्जरी में विशेष रूप से प्रो. सब्बा रत्तनम, एनेस्थेसिया विशेषज्ञ डॉ. चेतन, डॉ. सुनील ने विशेष सहयोग किया। मायस्थेनिया ग्रेविस का कारण थाइमस ग्लैंड में ट्यूमर होना है। ग्लैंड छाती के अंदर और दिल की बाहरी सतह पर होता है।
क्या है थायमस ग्लैंड
यौवन के ढलने के साथ-साथ थाइमस ग्लैंड भी धीरे-धीरे वसा में बदल जाता है। थाइमोसिन थाइमस का हार्मोन है। यह बीमारी से लडऩे वाले टी कोशिकाओं के विकास को क्रियाशील करता है।
इन दिक्कतों को न करें नजरअंदाज
- कमजोरी। चलने, सीढ़ी चढऩे और काम करने में बहुत जल्दी थक जाना
- आंखों की पलकों का बार-बार बंद होना और एक समय आने के बाद स्थायी रूप से इनका बंद हो जाना
- आंखें भारी दिखना, मानों शराब का सेवन किया हो
- निचले जबड़े का अधिक झुक जाना
- होंठ का बाहर आ जाना
- आंखों को एक जगह केंद्रित न कर पाना
- बालों में कंघी सही से न कर पाना