इस बार 12 फीट की होंगी चार नई मीनारें, शाही जरीह की डिजाइन में भी बदलाव
शाही मोम की जरीह में दिखेगी बड़े इमामबाड़े की मेहराब व छोटे इमामबाड़े के मकबरा शहजादी साहेबा की झलक। छोटे इमामबाड़े में तेजी से चल रहा चार कुंतल की जरीह को बनाने का काम, हरे और लाल रंग में दिखेगी शाही जरीह ।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। पहली मुहर्रम को बड़े इमामबाड़े से निकलने वाले ऐतिहासिक शाही जुलूस की शाही मोम की जरीह को बनाने का काम तेजी से चल रहा है। शाही मोम की जरीह में कई बदलाव किए गए हैं। इसबार शाही जरीह में बड़े इमामबाडे़ की मेहराब और छोटे इमामबाड़े में बने मकबरा शहजादी साहेबा की झलक दिखाई देगी। करीब चार कुंतल वजन की इस जरीह में आठ मीनारों के अलावा 12 फीट की चार मीनारें होंगी। जो पिछले बार नहीं थी। इसके अलावा जरीह को 500 मोम की मछली, 500 छोटे व बड़े फूल, 500 गमले और 500 स्टार से हरे और लाल रंग में सजाया जाएगा।
शाही मोम की जरीह को बनाने का काम इन दिनों छोटे इमामबाड़े में तेजी से चल रहा है। जरीह को बनाने के लिए हुसैनाबाद ट्रस्ट ने 2.55 लाख रुपए का बजट जारी किया है। बहराइच के जरवल के रहने वाले नसीम अली 'गुड्डू' जरीह को बना रहे हैं। वह करीब 18 वर्षो से शाही मोम की जरीह को बनाने का काम कर रहे हैं। उनसे पहले उनके पिता बनाते थे। जरीह में 1.5 कुंतल मोम का इस्तेमाल किया गया है, जो पिछले वर्ष से दस किलो अधिक है। पहले हरे और लाल रंग की मोम लगती थी, लेकिन इस बार सफेद मोम का इस्तेमाल किया गया है। सोमवार से जरीह के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने का काम शुरू होगा। शाही मोम की जरीह के अलावा 17 फीट का अबरक का ताजिया, इमामबाड़ा शाहनजफ के 17 फीट के दो ताजिए, दो मेहंदी, 12 अराईश, 24 फुलवारी व पांच फीट की बड़े इमामबाड़े की जरीह बनाने का काम तेजी से चल रहा है। उनके साथ दिलशाद, फरीद, प्रधान, शादाब, मुन्ना, आमिर, साबिर, फात्मा, नसरीन बानो व रेशमा सहित कई कारीगर छोटे इमामबाड़े में दो महीने से जरीह को बनाने का काम कर रहे हैं।
29 का चांद होने पर 11 को होगी मुहर्रम की पहली:
कर्बला के शहीदों का गम फिर छाने को है। 10 सितंबर (29 जिलहिज्ज) को मुहर्रम का चांद देखा जाएगा। मरकजी शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास ने बताया कि 29 का चांद होने पर 11 सितंबर को मुहर्रम की पहली तारीख होगी। नहीं तो 30 के चांद के मुताबिक 12 सितंबर को मुहर्रम की पहली तारीख होगी। पहली मुहर्रम को शाम छह बजे बड़े इमामबाड़े से शाही जुलूस निकाला जाएगा, जो छोटे इमामबाड़े पहुंचकर संपन्न होगा। वहीं, 29 जिलहिज्ज से ही पुराने शहर में कर्बला के शहीदों के गम में मजलिस-मातम का सिलसिला शुरू हो जाएगा। पहली मुहर्रम से ही विक्टोरिया स्ट्रीट सहित सभी इमामबाड़े, रौजे व दरगाहों में दस दिवसीय मजलिसों का दौर शुरू होगा।