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सपा कुनबे में फिर दहकी कलह की आग, अब शिवपाल पर कार्रवाई की तैयारी

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव को सपा से बाहर करने की तैयारी होने लगी है।कार्यकारिणी में प्रस्ताव से यही संकेत है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 06 Apr 2017 08:43 PM (IST)Updated: Fri, 07 Apr 2017 10:16 AM (IST)
सपा कुनबे में फिर दहकी कलह की आग, अब शिवपाल पर कार्रवाई की तैयारी
सपा कुनबे में फिर दहकी कलह की आग, अब शिवपाल पर कार्रवाई की तैयारी

लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव को सपा से बाहर करने की तैयारी होने लगी है। राज्य कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव से यही संकेत मिलता है। प्रस्ताव में कहा गया कि वरिष्ठ नेता द्वारा अलग पार्टी गठित करने की बात करना अनुशासनहीनता फैलाने का प्रयास है, इससे पार्टी की छवि को धक्का लग रहा है। अनुशासनहीनता पर कार्रवाई की बात भी कही गई। उल्लेखनीय है कि शिवपाल यादव ने हाल ही में इटावा में एक नई पार्टी गठन की बात की थी। 

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प्रस्ताव में नाम नहीं लिया गया मगर यह हर कोई जानता है कि विधानसभा चुनाव के दौरान शिवपाल यादव ने इटावा में नई पार्टी बनाने की बात कही थी। परिणाम आने के बाद वह सपा विधानमंडल दल की पहली बैठक में तो शामिल हुए, उसके बाद से दलीय गतिविधियों से दूर हैं। पांच अप्रैल को वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले भी थे। ऐसे में गुरुवार को राज्य कार्यकारिणी में राजपाल सिंह की ओर से रखे गए प्रस्ताव को शिवपाल यादव पर कार्रवाई की नींव के रूप में देखा जा रहा है। 

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कार्यकारिणी बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मैं भी नवरात्र का व्रत रखता हूं। कन्या पूजन भी करता हूं। मगर जन्म से, कर्म और विचार से समाजवादी हूं तो क्या राष्ट्रवादी नहीं रहा। सिख, ईसाई, मुसलमान क्या राष्ट्रवादी नहीं हैं। सबने देश की आजादी व उसकी रक्षा के लिए प्राण दिए हैं। विधानसभा चुनाव में हार की टीस का इजहार करते हुए यादव ने कहा कि 'धर्म से विकास हार गया'। समाजवादी सरकार ने कृषि के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम किया है। पंथ निरपेक्षता से समाजवाद का रास्ता तय होता है। हमारा संघर्ष समानता और न्याय का है। सांप्रदायिक धु्रवीकरण लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अभिशाप है।

यादव ने पांच नवंबर, 2016 को रजत जयंती समारोह के अपने भाषण की याद दिलाते हुए कहा कि तब मैंने बोला था कि- 'लोहिया कहते थे, लोग मेरी कद्र करेंगे मेरे मरने के बाद और मैं कहता हूं कि मेरी बात मानी जाएगी मगर सब कुछ मिट जाने के बाद। उसी समय एकजुटता के आह्वान पर सबने स्वीकारा होता तो आज परिस्थितियां दूसरी होतीं। कहा कि जिन्हें जाना है, वह बोरिया-बिस्तर बांधकर जाएं, जो बचेंगे, उनके साथ सपा को फिर खड़ा करेंगे'।

यादव ने कहा कि भ्रष्टाचार की बात करने वाले भाजपाइयों ने चुनाव में अपव्यय की सीमाएं तोड़ी। जनता को धोखा देने का क्रम अब भी जारी है। दुष्कर्म, हत्या और लूट की वारदातों में वृद्धि हुई है। भाजपा सत्ता का दुरुपयोग न करे। केंद्र सरकार को जवाब देना होगा। लोकतंत्र में चक्र घूमता रहता है। यादव ने कहा समाजवादी पार्टी नगर निकायों के चुनावों में हिस्सा लेगी। 

अखिलेश के नेतृत्व में आस्था

राज्य कार्यकारिणी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व के प्रति आस्था जताते हुए पार्टी के विस्तार और भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरूद्ध संघर्ष का संकल्प लिया। सपा को कमजोर करने की साजिशों की निंदा की गई। तय किया या है कि सपा का सदस्यता अभियान गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा। 2019 को लक्ष्य मानकर जनता के बीच रहा जाएगा। कई वक्ताओं ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित कर लोकसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। इसका कार्यकारिणी ने पुरजोर समर्थन भी किया। हालांकि बैठक के बाद ही सपाइयों ने सवाल भी उठाया कि तब कांग्रेस के साथ गठबंधन का क्या होगा?  

बैलेट पेपर पर चुनाव की मांग

मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि कार्यकारिणी में जिला, महानगर अध्यक्षों ने ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। मध्य प्रदेश का उदाहरण सबके सामने है। ऐसे में सपा 2019 के लोकसभा चुनाव में बैलट पेपर के इस्तेमाल करने की न सिर्फ मांग करेगी बल्कि जनजागरण भी करेगी। वक्ताओं ने कहा कि बेकारी दूर करने के लिए अखिलेश सरकार ने जितनी भर्तियां की, उतनी केंद्र सरकार ने भी नहीं की है। बैठक में राम गोविंद चैधरी, अहमद हसन, राजेंद्र चौधरी, बलराम यादव, प्रदेश सचिव एसआरएस यादव, अरविंद कुमार सिंह, राजकुमार मिश्र, अभिषेक मिश्रा, डॉ. मधु गुप्ता, कर्नल सत्यवीर सिंह, युवजनसभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव, राजपाल सिंह,  हरिद्वार दूबे भी मौजूद थे। अंत में पूर्व मंत्री व एमएलसी बनवारी सिंह यादव के निधन पर शोक प्रस्ताव कर दो मिनट मौन रहकर श्रद्धांजलि दी गई। 

यह था घोषित एजेंडा

-वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश की राजनीति में भूमिका प्रभावी बनाने के लिए सुझाव।

-भाजपा सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये को उजागर करने को प्रभावी रणनीति पर सुझाव।

-समाजवादी पार्टी के सदस्यता अभियान को सफल बनाने पर सुझाव। 


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