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राम मंदिर निर्माण से बढ़ेंगी अयोध्या में फिल्म निर्माण की संभावनाएं ayodhya news

बाहुबली थ्री विफोर द बिगनिंग फिल्म के संवाद लेखक रितेश रजवाड़ा से अयोध्या में शूटिंग को लेकर खास बातचीत।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 08:08 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 08:08 AM (IST)
राम मंदिर निर्माण से बढ़ेंगी अयोध्या में फिल्म निर्माण की संभावनाएं ayodhya news
राम मंदिर निर्माण से बढ़ेंगी अयोध्या में फिल्म निर्माण की संभावनाएं ayodhya news

अयोध्या, (मुकेश पांडेय)। राममंदिर निर्माण होने पर अयोध्या वैश्विक फलक पर होगी। इससे पूरी दुनिया, खास तौर से ह‍िंदी भाषियों की निगाहें रामनगरी पर होंगी। यहां मंदिर के अलावा कला, संस्कृति से जुड़ी धरोहरें हैं और मनमोहक प्राकृतिक संपदा भी। अवध क्षेत्र का उत्तरी हिस्सा पहाड़ों, जंगलों एवं नदियों से घिरा है। शहरी जीवन के साथ ग्राम्य जीवन की सोंधी सुगंध बिखरी है। ऐसे में उम्मीद है कि मंदिर निर्माण के साथ बॉलीवुड की दस्तक और बढ़ेगी।

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यह मानना है बॉलीवुड के पटकथा लेखक रितेश स‍िंह रजवाड़ा का। वे गत दिवस कबीर संस्थान से शब्दश्री शिखर सम्मान प्राप्त करने के लिए यहां आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा, राममंदिर निर्माण से यहां उच्‍च श्रेणी की फिल्मों की शूट‍िंग में इजाफा होगा। स्थानीय कलाकारों, गीतकारों, संवाद लेखकों को भी फिल्म इंडस्ट्री में इंट्री का कहीं अधिक मौका मिलेगा। हां, राज्य सरकार को भी इस दिशा में माहौल बनाने के लिए प्रयास करना होगा। 

छात्र राजनीत‍ि से लेखन तक का सफर 

बाहुबली थ्री विफोर द बिगन‍िंग फिल्म के संवाद लेखक 31 वर्षीय रितेश बताते हैं कि छात्र राजनीति के दौरान उनका झुकाव लेखन की ओर हुआ। इसी बीच गीतकार मनोज मुंतशिर दॅ इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवार्ड (आईफा) जीत कर सुल्तानपुर आए। उनके सम्मान समारोह का संचालन मैं कर रहा था। उन्होंने हमारा संवाद सुना और पूछा, यह तुम्हारे शब्द हैं। हां, सुनकर मुझे मुंबई आने का न्यौता दिया और उन्हीं के प्रयास से बाहुबली-थ्री के संवाद लेखन का मौका मिला। सुल्तानपुर के रजवाड़े रामपुर चौरासी गांव रियासत की पृष्ठभूमि भी संवाद लेखन में मददगार साबित हुई।

जीतने के ल‍िए ज‍िद जरूरी 

रजवाड़ा इस वक्त 26/11 के शहीद संदीप उन्नीकृष्णन पर निर्माणाधीन फिल्म के गीत लिख रहे हैं। पुलेला गोपीचंद बायोपिक के संवाद लेखक रजवाड़ा कहते हैं कि जीतने के लिए जिद जरूरी है'।  वे बताते हैं कि फिल्मों में संवाद वर्तमान समाज का आईना होता है। समय के हिसाब से डॉयलाग बदल रहे हैं। पहले खालिस उर्दू और परिष्कृत ह‍िंदी में डायलॉग लिखे जाते थे। अब नायक मध्यम वर्ग का होता है और उसकी भाषा आम आदमी जैसी। ऐसे में समय के हिसाब से संवाद अदायगी में बदलाव लाजिमी है।


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