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सिनेमाई फलक पर चमक रहा लखनऊ, यहां फिल्माए गए हैं उमराव जान से लेकर रेड तक के सीन

फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों की पसंद का केंद्र बना नवाबो का शहर। महज व्यवसायिक नहीं सरोकारी सिनेमा के कद्रदानों की भी कमी नहीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 01:15 PM (IST)
सिनेमाई फलक पर चमक रहा लखनऊ, यहां फिल्माए गए हैं उमराव जान से लेकर रेड तक के सीन
सिनेमाई फलक पर चमक रहा लखनऊ, यहां फिल्माए गए हैं उमराव जान से लेकर रेड तक के सीन

लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। सिनेमा संस्कृति का परिचायक है। रजत पटल पर रचनात्मकता का लंबा 'स्वर्ण काल' रहा है। अच्छी फिल्में लोगों के जेहन में आज भी तरोताजा हैं। व्यवसायीकरण की अंधी दौड़ में सरोकारी सिनेमा कम जरूर है पर खत्म नहीं। गंभीर फिल्मों के कद्रदान आज भी हैं। शहर में मनोरंजन और रचनात्मकता का अनूठा समन्वय है। यही समन्वय फिल्म निर्माताओं/निर्देशकों को आकर्षित कर रहा है। शहरवासी भी न सिर्फ ऐसी फिल्में देख रहे हैं, बल्कि उसका हिस्सा भी हैं। सिनेमा में शहर और शहर में सिनेमा कलाकारों और दर्शकों के लिए खास है। शहर की समृद्ध संस्कृति में विविधता:

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- फिल्म कलाकार जिविधा ने बताया कि तीन तलाक पर बनी फिल्म 'फिर उसी मोड़ पर' में लीड रोल किया था। लखनवी जुबान से बहुत कुछ सीखने को मिला। ऐसी फिल्में देखना और करना बेहद अनूठा अनुभव है।

- शहर के ही थियेटर आर्टिस्ट संदीप यादव ने 'पीपली लाइव' समेत अन्य फिल्मों में काम किया है। कहते हैं, फिल्मों में भाग्य आजमाने के लिए 2011 में मुंबई शिफ्ट हुए। भोजपुरी फिल्म 'दबंग सरकार' की शूटिंग के लिए लखनऊ वापस आए। अभी शहर में ही 'इमामदस्ता' फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं। शहर में अच्छे कलाकारों की कोई कमी नहीं है, इसलिए फिल्म निर्माताओं का रुख बढ़ा है।

- 500 से ज्यादा शॉर्ट फिल्म्स और डॉक्यूमेंट्री बना चुके अखिलेश मित्रा कहते हैं, शहर की खुशमिजाजी को लेकर 'हैप्पी लखनऊ' वीडियो बनाया था। शहर का 'मिक्स क्राउड', उनकी वेशभूषा और रहन-सहन निर्माता-निर्देशकों को लुभाता है। काम का अच्छा माहौल मिलता है।

- लेखक और निर्देशक मुकेश वर्मा बताते हैं कि ¨हदी फीचर फिल्म 'मल्लाह' का कुछ हिस्सा लखनऊ में शूट किया है। रंगमंच अभिनय की पाठशाला है और लखनऊ में अभिनय कौशल बेशुमार है। यहां व्यावसायिक फिल्मों के साथ-साथ गंभीर फिल्मों को भी पसंद करने वालों की अच्छी तादाद है।

इसलिए पसंद आता लखनऊ :

- आजकल बड़े बैनर भी छोटे बजट की फिल्में बना रहे हैं। कम लागत में बनने वाली इन फिल्मों की शूटिंग विदेशों के महंगे लोकेशन की बजाए लखनऊ जैसे शहरों में मौजूद नेचुरल सेट पर करने को वरीयता दी जाती है।

- लखनऊ में इतिहास और भविष्य दोनों की तस्वीर नजर आती है। ऐतिहासिकता के साथ-आधुनिकता का बखूबी फिल्मांकन किया जा सकता है।

- बॉलीवुड में बहुत से टेक्नीशियन और जूनियर कलाकार लखनऊ के हैं। वे शहर में शूटिंग के नाम पर फौरन तैयार हो जाते हैं। काम के साथ-साथ घर आना हो जाता है।

- शहर में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। सस्ता श्रम, अच्छे कलाकार और लोगों का सहयोग निर्माताओं को भाता है। कुछ फिल्मों की शूटिंग :

- रेड, देवदास, जॉली एलएलबी टू, बरेली की बर्फी, शादी में जरूर आना, लखनऊ सेंट्रल, बाबूमोशाय बंदूकबाज, यंगिस्तान, गदर, दावत-ए-इश्क, इश्कजादे, तनु वेड्स मनु, तनु वेड्स मनु रिट‌र्न्स, मिलन टॉकिज, लेडीज वर्सेज रिक्की बहल, ऑलवेज कभी-कभी, बाबर, बुलेट राजा, दबंग-2 आदि। यहां फिल्माए गए हैं सीन :

घंटाघर, शीशमहल, पक्का पुल, हजरतगंज, इमामबाड़ा, आंबेडकर पार्क, हाई कोर्ट, बलरामपुर गार्डेन, चारबाग रेलवे स्टेशन आदि। उमराव जान सदाबहार :

1981 में मुजफ्फर अली की फिल्म 'उमराव जान' सदाबहार है। फिल्म की कहानी, किरदार और गाने आज भी जहन में ताजा हैं। इसका मशहूर गाना 'दिल चीज क्या है..' शहर में ही फिल्माया गया। अधिकतर गाने कोठे पर फिल्माए गए। इसके साथ ही 'मेरे हुजूर', 'सावन को आने दो' जैसी क्लासिक फिल्मों की शूटिंग शहर में हुई है। सबको याद हैंडपंप वाला सीन :

'गदर' फिल्म का फेमस हैंडपंप वाला सीन कौन भूल सकता है। जब सनी देओल को ¨हदुस्तान मुर्दाबाद बोलने को कहा जाता है तो ¨हदुस्तान जिंदाबाद बोलते हैं। इसके बाद जो हैंडपंप उखाड़ने वाला सीन फिल्माया गया वह इमामबाड़े के बाहर का था। बॉलीवुड के अलावा भी :

- तेलगू फिल्म 'भारथ अन्ने नेनू' की शूटिंग जहांगीर पैलेस, नदवा कॉलेज और मूसा बाग पैलेस समेत अन्य स्थानों में हुई। हाल ही में संजय दत्त की फिल्म प्रस्थानम् (तेलगू रिमेक) के भी शॉट फिल्माए गए हैं।

- भोजपुरी फिल्मों के मेगास्टार रवि किशन की फिल्म 'सनकी दारोगा' की शूटिंग चल रही है।

- भोजपुरी फिल्म 'दबंग सरकार' की भी शूटिंग। क्या कहते हैं कलाकार और निर्देशक:

- फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा कहते हैं कि इस शहर की खासियत है कि यहां इतिहास भी बसता है और विकास भी दिखता है। दोनों तरह के सीन्स के लिए सेट बनाने की जरूरत नहीं, नेचुरल सेट पर अच्छी शूटिंग हो जाती है। - फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने बताया कि शहर का अपना एक खूबसूरत इतिहास है। यहां पुराने शहर में शूटिंग करने का अपना अलग मजा है। उर्दू जुबान सुनने मिलती है और संस्कृति से भी वास्ता हो जाता है।

कम बजट में गुणवत्तापरक काम :

- लेखक/निर्देशक सैय्यद अहमद अफजाल के मुताबिक, फिल्म 'यंगिस्तान' के बाद 'बारात कंपनी' की शूटिंग लखनऊ में ही की थी। शहर का चप्पा-चप्पा रोचक इतिहास समेटे है। फिल्म निर्माण के बेहतर संसाधनों की उपलब्धता भी होने लगी है। कम बजट में गुणवत्तापरक काम के लिए लखनऊ से बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है।

25 जुलाई से शूटिंग शुरू :

सह निर्देशक शुभम सोमू श्रीवास्तव ने बताया कि 2017 में शॉर्ट फिल्म 'बन्ना' जानकीपुरम और रकाबगंज की लोकेशन्स में शूट किया था। 25 जुलाई से शहर में ही 'चीट इंडिया' फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे। इसमें इमरान हाशमी लीड रोल में हैं। शहर में हर तरह के 'रियल टच लोकेशन' की उपलब्धता काम को सरल बनाती है।


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