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बीएड कोर्स में सीटें भरना हुआ मुश्किल, 25 हजार में से सिर्फ 16500 ने करवाया रजिस्ट्रेशन

बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के राज्य समन्वयक प्रो. एनके खरे ने बताया कि बीएड में पहले चरण की काउंसिलिंग में करीब 16500 अभ्यर्थियों ने की रजिस्ट्रेशन करवाया है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 07 Jun 2018 12:41 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 08:26 AM (IST)
बीएड कोर्स में सीटें भरना हुआ मुश्किल, 25 हजार में से सिर्फ 16500 ने करवाया रजिस्ट्रेशन
बीएड कोर्स में सीटें भरना हुआ मुश्किल, 25 हजार में से सिर्फ 16500 ने करवाया रजिस्ट्रेशन

लखनऊ (जेएनएन)। बीएड के दो वर्षीय कोर्स में दाखिले के लिए अभ्यर्थी शुरुआत में ही कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। दाखिले के प्रति जो कुछ दिलचस्पी भी है तो वह सरकारी व सहायता प्राप्त कॉलेजों के लिए। बीएड में दाखिले के लिए इस बार ऑफ कैंपस ऑनलाइन काउंसिलिंग हो रही है।

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पहले चरण की काउंसिलिंग में 25 हजार रैंक तक के अभ्यर्थी आमंत्रित किए गए लेकिन, इसमें से सिर्फ 16500 ने ही अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन मंगलवार की रात 12 बजे खत्म हो गया। ऐसे में पहले ही चरण में करीब 8500 अभ्यर्थी दाखिले से बाहर हो गए हैं। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन इस बार भी लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) द्वारा करवाया गया है।

बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के राज्य समन्वयक प्रो. एनके खरे ने बताया कि बीएड में पहले चरण की काउंसिलिंग में करीब 16500 अभ्यर्थियों ने की रजिस्ट्रेशन करवाया है। इनमें से अभी तक 15000 अभ्यर्थी अपनी मनपसंद सीट की च्वाइस भी भर चुके हैं। च्वाइस भरने का काम गुरुवार तक किया जाएगा। बीएड के दो वर्षीय को वर्षीय कोर्स में दाखिले के लिए इस बार अभ्यर्थियों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

इसका मुख्य कारण बीएलएड का दो वर्षीय कोर्स शुरू होना और बीटीसी कोर्स में दाखिले का रुझान बढऩा है। इस बार बीएड में कुल 199572 सीटें हैं। विज्ञान व एग्रीकल्चर वर्ग में 62044 सीटें और कला व कामर्स वर्ग में 137525 सीटें हैं। इसमें से सरकारी व सहायता प्राप्त कॉलेजों में 7325 सीटें हैं।

अल्पसंख्यक कॉलेजों में दाखिले की हो रही निगरानी : बीएड के दो वर्षीय कोर्स में 7405 सीटें अल्पसंख्यक कॉलेजों में हैं। इनमें से 50 प्रतिशत सीटों पर बीएड प्रवेश परीक्षा की रैंक के आधार पर और 50 प्रतिशत सीटों पर सीधे कॉलेज दाखिला लेंगे। फिलहाल आइटी कॉलेज में गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद लविवि ने अल्पसंख्यक कॉलेजों पर शिकंजा कस दिया है। लविवि एक-एक सीट पर होने वाले दाखिले की निगरानी करेगा।


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