Ayodhya Ram Mandir: आस्था की जीत, नेपाल सीमा पर सोहर संग गूंजे मंगलगीत
Ayodhya Ram Mandir राम मंदिर के लिए भूमि पूजन पर थारू महिलाओं ने गाए सोहर। नेपाल के घरों में छाईं भगवान राम के मंदिर निर्माण की खुशियां।
बलरामपुर, (रमन मिश्र)। अवध में भक्ति की सुगंध भारत-नेेपाल सीमा पर भी महक रही है। थारू बहुल क्षेत्रों व नेपाल के दांग और कपिलवस्तु में आस्था हिलोरें मार रही है। मंदिर निर्माण का सदियों पुराना इंतजार खत्म होने पर यहां सोहर व मंगलगीत गाकर खुशियां मनाई जा रहीं हैं। सीता मइया नेपाल के मिथिला की हैं। इसलिए आज भी नेपाल से रोटी-बेटी का संबंध कायम है। यहां भी राम के जयकारे और घर-घर दीप जल रहे हैं।
बिखेरी भक्तिमय सुगंध
भारत-नेपाल सीमा पर बसी थारू जनजाति की परंपरा और संस्कृति निराली है। यूं तो इन्हें महाराणा प्रताप का वंशज कहा जाता है लेकिन भगवान राम में इनकी अगाध श्रद्धा है। विकास की दौड़ में थारू भले ही पीछे हों, लेकिन जब बात आस्था की हो तो इनका उत्साह देखते बनता है। उत्सव का कुछ ऐसा ही नजारा पचपेड़वा विकास खंड के थारू बहुल गांव कोहरगड्डी में दिखा। यहां राम मंदिर शिलापूजन की पूर्व संध्या से ही बच्चों, महिलाओं व पुरुषों में गजब का उत्साह रहा। रात में अखंड कीर्तन के बाद ग्रामीणों ने सुबह हवन-पूजन किया। इसके बाद सुनीता, रामकली, राजकुमारी, प्रानपति, घूमनी, गगली, रामादेवी, प्रगीदेवी, श्यामकली, शिवराजी, नारायणी ने ढोलक की थाप पर मंगलगीत गाना शुरू किया, तो मंदिर निर्माण की खुशी दोगुनी हो गई। 'जन्मे है श्री भगवान बधाइयां बजे, केकरा से राम केकरा से लक्ष्मण केकरा से भरत भुवाल। बधाइयां बाजे, कौशल्या के राम, सुमित्रा के लक्ष्मण, कैकेई के भरत भुवाल बधाइयां बाजे।' सोहर गीतों से थारू महिलाओं ने गांव में अवध की भक्तिमय सुगंध बिखेरी।
नेपाल में जले खुशी के दीप
बलरामपुर सीमा से सटे नेपाल के दांग और कपिलवस्तु जिले के लोग राम मंदिर निर्माण को लेकर पचपेड़वा व गैंसड़ी में रहने वाले रिश्तेदारों से पल-पल की जानकारी लेते रहे। नेपाली नागरिकों का कहना है कि माता सीता मिथिला (नेपाल) की राजकुमारी थीं। इससे भारत-नेपाल संबंध युगों पुराना है। अयोध्या में मंदिर निर्माण का भूमिपूजन होने से नेपाल में भी दीये जलाकर खुशी मनाई जा रही है।