कोरोना संक्रमण काल में यूपी के किसानों को भायी धान की बोआई, पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा रकबा
कोरोना वायरस महामारी काल में बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे उत्तर प्रदेश के किसानों ने इस बार धान की खेती पर भाग्य आजमाया है।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस महामारी काल में बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे उत्तर प्रदेश के किसानों ने इस बार धान की खेती पर भाग्य आजमाया है। राज्य के कृषि विभाग के 13 अगस्त तक जारी आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में धान की बोआई का क्षेत्रफल लगभग छह प्रतिशत ज्यादा हो गया है। धान की बोआई का रकबा बढ़ने से इस बार उत्पादन बढ़ने के भी संभावना बन गई है। जुलाई माह के शुरुआती दिनों में राज्य में औसत से कम बारिश होने के कारण किसानों ने कम पानी वाली फसलों जैसे ज्वार और बाजार की ओर रुख कर लिया था। इस वजह से प्रदेश में इन फसलों का भी इस बार क्षेत्रफल बढ़ गया है।
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन से आर्थिक अनिश्चितता के शिकार उत्तर प्रदेश के किसानों ने बेहतर मानसून की उम्मीद में धान और मक्का की बोआई का क्षेत्रफल बढ़ाया है ताकि जायद सीजन में हुए नुकसान की भरपाई भी हो सके। बेहतर मानसून की उम्मीद में किसानों ने धान व मक्का बोआई का क्षेत्रफल बढ़ाया है ताकि जायद सीजन में हुए नुकसान की भरपाई भी हो सके।
किसानों की रुचि धान में बढ़ी : लॉकडाउन के चलते किसानों को सब्जी, तरबूज, खरबूजा व खीरा जैसी फसलों की अच्छी उपज होने के बावजूद लागत भी वसूल नही हो सकी। बिक्री न होने के कारण अधिकतर किसानों को फसलें खेतों में ही नष्ट करनी पड़ी थी। सब्जी उत्पादक किसान रमाशंकर सैनी का कहना है कि कोरोना संकट काल में सब्जियों की खेती घाटे में रही इसलिए किसानों की रुचि धान में बढ़ी है। खासकर सुगंधित व संकर धान के बोआई क्षेत्रफल में आशातीत वृद्धि हुई।
संकर प्रजाति के धान में अधिक बढ़ोतरी : कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में धान बोआई का क्षेत्रफल लगभग छह प्रतिशत ज्यादा हो गया है। इसमें सुगंधित धान के क्षेत्र में पांच फीसद और संकर प्रजाति के धान में 12 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी अब तक हो चुकी है। संयुक्त निदेशक कृषि सीपी श्रीवास्तव का कहना है कि किसान को धान से आय बढ़ने की आस है। मानसून की बेहतर शुरुआत ने भी किसानों को उत्साहित किया है।
ज्वार-बाजरा का भी क्षेत्रफल बढ़ा : अच्छी वर्षा होने की आस में किसानों ने धान के अलावा मक्का बोआई क्षेत्र भी बढ़ाया है। गत वर्ष की तुलना में अब तक करीब चार प्रतिशत अधिक क्षेत्रफल में बोआई हो चुकी है, जबकि ज्वार दो फीसद और बाजरा का क्षेत्रफल छह फीसद बढ़ा है। किसान सुरेश सिंह का कहना है कि कम वर्षा में ज्वार बाजरा की बोआई का लाभ मिलता, परंतु इस बार बरसात बेहतर होने की आस में धान और मक्का बोआई का जाेर है।
बारिश ने भी दिया किसानों का साथ : उत्तर प्रदेश में तकरीबन 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती होती है, जो इस बार करीब छह फीसद ज्यादा है। कृषि विभाग के अनुसार अभी अंतिम परिणाम आने बाकी हैं। उत्तर प्रदेश के गोंडा, बाराबंकी, बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, महराजगंज, कुशी नगर, गोरखपुर और देवरिया वगैरा में रोपाई का काम पूरा चुका है। अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के 25 जिलों में तो 120 फीसद से ज्यादा बारिश हुई है, जबकि 14 जिलों में 80 से 100 फीसद तक पानी बरसा है। इन सभी जिलों में ही धान की भरपूर खेती होती है। प्रदेश में महज 13 जिले एसे हैं जहां 40 फीसद के आसपास बारिश रिकॉर्ड की गई है। धान की रोपाई के साथ ही यूरिया की खपत भी बीते एक महीने में बढ़ी है।
धान खरीद लक्ष्य पांच लाख मीट्रिक टन की वृद्धि : धान बोआई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीद लक्ष्य भी बढ़ा दिया है। गत वर्ष 50 लाख मीट्रिक टन धान खरीद लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जबकि इस बार 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जाना है। इसके लिए बोरों की व्यवस्था की जा रही है ताकि लाॅकडाउन में गेहूं खरीद जैसे हालात न बन पाए। बता दें कि बोरों की किल्लत के चलते गेहूं खरीद प्रभावित हुई थी। 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद के सापेक्ष 36 लाख मीट्रिक टन से कम खरीद हो सकी थी। खाद्य एवं रसद विभाग ने एक लाख 62 हजार गांठ बोरा खरीदने के लिए कोलकाता की फर्म से अनुबंध किया है। इसके लिए सरकार ने कुल 3,98,44,61,934 रुपये की स्वीकृति प्रदान की है।