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किसानों की कर्जमाफी ने रोकी यूपी के विकास कार्यों की रफ्तार

कर्जमाफी और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल ने जहां वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में राजस्व खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी की है

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 17 Jul 2017 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jul 2017 09:44 PM (IST)
किसानों की कर्जमाफी ने रोकी यूपी के विकास कार्यों की रफ्तार
किसानों की कर्जमाफी ने रोकी यूपी के विकास कार्यों की रफ्तार

लखनऊ (जेएनएन)। किसानों से किए गए वादे को निभाने की फिक्र और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन-पेंशन देने की वचनबद्धता। यही वे तकाजे थे जिन्होंने योगी सरकार के पहले बजट में विकास को गति देने वाली परियोजनाओं की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का काम किया है। कर्जमाफी और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल ने जहां वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में राजस्व खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी की है, वहीं पूंजीगत व्यय में पिछले बजट की तुलना में 25 फीसद की कमी आई है। पूंजीगत व्यय में कटौती से बुनियादी ढांचे के विकास की रफ्तार सुस्त होगी। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप्र की आर्थिक विकास दर को 10 फीसद तक पहुंचाने का जो सपना संजोया है, उसे हासिल कर पाने की चुनौती और बढ़ेगी।
पिछले साल के बजट का आकार 3,46,934.78 करोड़ रुपये था। इसमें राजस्व लेखे का व्यय 2,53,354.54 करोड़ रुपये था जबकि पूंजीगत व्यय 71877.99 करोड़ रुपये था। वहीं चालू वित्तीय वर्ष के लिए योगी सरकार की ओर से पेश किए गए बजट का आकार 3,84,659.71 करोड़ रुपये था जो कि पिछले साल के मुकाबले 37,724.93 करोड़ रुपये (10.9 फीसद) ज्यादा है। बजट का आकार ज्यादा होने के बावजूद योगी सरकार पूंजीगत व्यय मद में 53,257.6 करोड़ रुपये खर्च करने का हौसला ही दिखा सकी।

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यह पिछले साल के बजट की तुलना में 25.9 प्रतिशत कम है। पूंजीगत व्यय में की गई जबर्दस्त कटौती सरकार के बढ़े राजस्व खर्च की कीमत पर की गई है। नए बजट में किसानों की कर्ज माफी के लिए 36 हजार करोड़ रुपये और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन-पेंशन देने पर 30 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ सरकारी खजाने पर पड़ा है। सिर्फ इन दो वजहों से ही राजस्व खर्च में आए जबर्दस्त उछाल से निपटने के लिए ही पूंजीगत खर्च के लिए सरकार को अपनी मुट्ठी भींचनी पड़ी।

सड़क और सिंचाई के लिए कम बजट आवंटन : यह पूंजीगत व्यय में कमी का ही असर है कि इस साल के बजट में सड़कों के निर्माण व रखरखाव और सिंचाई जैसे क्षेत्रों में पिछले साल की तुलना में बजट आवंटन में कमी आई है। पिछले साल लोक निर्माण विभाग के तहत सड़कों के निर्माण के लिए 16610.79 करोड़ रुपये बजट में आवंटित किए गए थे जबकि इस साल 15670.17 करोड़ रुपये का ही प्रावधान हुआ है। वहीं सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण के लिए पिछले साल 8960 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के सापेक्ष इस वर्ष 7123 करोड़ रुपये का ही इंतजाम किया गया है।

ऊर्जा सेक्टर का बजट भी घटा : पिछले साल के बजट में ऊर्जा सेक्टर के लिए 33835 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इसमें से 13,303 करोड़ रुपये उदय योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों को बांड जारी करने के लिए राज्य सरकार ने कर्ज लिया था। यदि इस राशि को घटा दें तो भी पिछले साल के बजट में ऊर्जा सेक्टर के लिए 19532 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जबकि इस वर्ष ऊर्जा क्षेत्र के लिए 17728 करोड़ रुपये का ही बजट प्रावधान है।

क्या है राजस्व और पूंजीगत खर्च
राजस्व व्यय में वेतन-पेंशन व भत्ते, सरकारी विभागों और विभिन्न सेवाओं के संचालन का खर्च, सरकार की ओर से लिए गए ऋण की ब्याज अदायगी, स्थानीय निकायों को दी जाने वाली राशि और आर्थिक सहायता शामिल होती है। यह एक तरह से सरकार का वचनबद्ध व्यय है। वहीं, पूंजीगत खर्च मोटे तौर पर भौतिक और स्थायी प्रकार की परिसंपत्तियों (जैसे भवन, निर्माण परियोजनाएं) के सृजन के लिए किया जाता है और इसमें सरकार की ओर से किए जाने वाले पूंजी निवेश भी शामिल होते हैं। पूंजीगत खर्च से सरकार की आमदनी बढ़ती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पूंजीगत खर्च का मतलब विकास की अधिक संभावनाएं।
 


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