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Barabanki News: सीएम योगी की मूर्ति बनाकर चर्चा में आए सुम‍ित, बयां की मंद‍िर बनाने वाले प्रभाकर की हकीकत

बाराबंकी के रहने वाले मूर्त‍िकार सुमित वर्मा ने बताया कि उसे प्रभाकर ने मेहनताना भी नहीं द‍िया। इसके बावजूद उसे सबसे ज्‍यादा दुख उसके झूठ बोलने से हुआ। मूर्ति बाराबंकी में मुझसे बनवाई और उसे जयपुर से लेकर आने की बात प्रचार‍ित की।

By JagranEdited By: Anurag GuptaPublished: Tue, 27 Sep 2022 07:20 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 07:20 PM (IST)
अयोध्‍या के भरतकुंड में लगी सीएम योगी की मूर्त‍ि बाराबंकी में बनी थी।

बाराबंकी, संवादसूत्र। अयोध्या में सरकारी जमीन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मंदिर बनवाकर विवादों में फंसे प्रभाकर मौर्य ने न सिर्फ मूर्ति बनाने वाले सुमित कुमार वर्मा का मेहनताना हड़प किया, बल्कि उसे धमकाया भी था।

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मसौली ब्लाक के ग्राम इंधोलिया के रहने वाले सुमित वर्मा ने बताया कि उसे मेहनताना मिलने का इतना दुख नहीं हुआ, जितना प्रभाकर के इस झूठ से हुआ कि वह मूर्ति जयपुर से लेकर आया है। उसने मूर्ति बनवाने से पहले मेहनताना देने के साथ ही मुख्यमंत्री से मिलवाने का भी वादा किया था, लेकिन जब मंदिर का मामला सुर्खियों में आया तो प्रभाकर ने मूर्ति बनाने वाले के रूप में उसका नाम तक नहीं लिया। इससे दुखी होकर दो दिन तक घर में रोता रहा।

सुमित का आरोप है कि उसने प्रभाकर को फोन कर जब कहा कि आखिर जयपुर से मूर्ति लाने का झूठ क्यों बोला बोला? उसका नाम क्यों नहीं लिया? वह मूर्ति बनाने के दौरान की फोटो इंटरनेट मीडिया पर वायरल करेंगे, तब प्रभाकर ने ऐसा करने से मना करते हुए धमकाया कि यदि इंटरनेट पर फोटो वायरल किया तो अच्छा नहीं होगा। सुमित ने यह भी बताया कि उसके पिता सर्वेश वर्मा किसान हैं। पिता ने इस मामले में किसी तरह का विवाद न करने की सलाह दी। कहा कि जो जैसा करेगा वैसा फल भोगेगा। सुमित का कहना है कि उसने प्रभाकर से झूठ से आहत होकर उसका मोबाइल नंबर तक फोन से हटा दिया।

22 हजार रुपये का किया भुगतान

सुमित का कहना है कि मूर्ति बनाने में उसे दो माह लगे। मूर्ति बनाने की पेशगी के रूप में प्रभाकर ने उसे पांच हजार रुपये दिए। इसके बाद फोन पे के जरिए थोड़े-थोड़े रुपये कई किस्तों में दिए। जो रुपये दिए, वह रुपये मूर्ति बनाने की सामग्री पर खर्च हो गए। मेहनताना के रूप में कम से कम 20 हजार रुपये और मिलने चाहिए थे।

मूर्ति के साथ जोड़ा जाए नाम

सुमित का कहना है कि उसे मेहनताना भी न दिया जाए, लेकिन मूर्ति के साथ उसका नाम जोड़ा जाना चाहिए। वह अन्य किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं चाहता। सुमित ने मूर्ति बनाने की शुरुआत व बनाने के बाद की फोटो भी जागरण से साझा की।

मिल चुका है पुरस्कार

सुमित ने इससे पहले जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का तीन हजार वर्गफीट का चित्र नेताजी श्यामलाल यादव इंटर कालेज सफदरगंज के परिसर में चूना व ईंट के बुरादे से बनाया था। इसके बाद 7500 वर्गफीट में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का चित्र राजकीय इंटर कालेज के आडिटोरियम में बनाया था, जिसे इंडिया बुक आफ रिकार्ड 2022 में दर्ज किया गया। इसके लिए पुरस्कार भी मिला था।


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