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Famous Temple of Sultanpur: बिजेथुआ धाम...संजीवनी बूटी लेने जा रहे हनुमान जी ने यहां किया था कालनेमि का वध

Famous Temple of Sultanpur सुलतानपुर में ब‍िजेथुआ धाम मंदिर के साथ ही मकड़ी कुंड भी है जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं। कहते हैं क‍ि संजीवन बूटी लेने जा रहे हनुमान जी ने यहीं पर कालनेमी राक्षस का वध क‍िया और इस कुंड में स्‍नान के बाद आगे रवाना हुए।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 03:44 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 03:44 PM (IST)
Famous Temple of Sultanpur: बिजेथुआ धाम...संजीवनी बूटी लेने जा रहे हनुमान जी ने यहां किया था कालनेमि का वध
Bijethua Dham and Makade Kund: संजीवनी बूटी लाने के लिए जाते समय राक्षस ने किया था छल।

सुलतानपुर, [रमाकांत बरनवाल]। बिजेथुआ महावीरन धाम लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। कहते हैं कि यह वह स्थान है, जहां त्रेता युग में हनुमान जी ने कालनेमि नाम के राक्षस का वध किया था। संकट से मुक्ति के लिए हर मंगलवार व शनिवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। 

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यह पौराणिक स्थल सुलतानपुर जनपद के कादीपुर तहसील क्षेत्र में है। कथाओं के अनुसार राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ का बाण लगने से लक्ष्मण जी के मूर्छित हो गए तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए निकले। कहते हैं कि प्यास लगने पर वे इसी स्थल पर उतरकर कुंड में पानी पीने चले गए। यहां रावण द्वारा भेजे गए कालनेमि नामक राक्षस ने वेश बदलकर उनकी यात्रा में विघ्न डालने की कोशिश की। उसने साधु का वेश धारण कर लिया।

हनुमान जी पानी पीने कुंड की तरफ जा ही रहे थे कि एक मकड़ी ने उनके कान में छद्मवेश कालनेमि के बारे की जानकारी दी। इस पर हनुमान जी ने तत्काल उक्त राक्षस का वहीं वध कर दिया। इसके बाद कुंड में स्नान कर संजीवनी की खोज में निकल पड़े। हनुमान जी ने जहां कालनेमि का वध किया, उसी स्थल पर मंदिर बना दिया गया। कुंड अब मकड़ी कुंड के नाम से विख्यात है, जिसमें हाथ पैर धुलकर या स्नान कर ही हनुमान जी का दर्शन, पूजन श्रद्धालु करते हैं ।

सौ फीट तक की खोदाई फिर भी... : ऐसा बताया जाता है कि उक्त स्थल पर हनुमान जी का दाहिना पैर पाताल लोक तक चला गया था। पुरातत्व विभाग ने खोदाई कराई थी, लेकिन पैर के अंत का पता नहीं चल सका। यहीं पर हनुमान जी की पत्थर की प्रतिमा है, जो जनपद ही नहीं, बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। जाैनपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़ व अन्य जिले के लोग दर्शन-पूजन को आते हैं। इस कारण यहां शनिवार व मंगलवार को मेले जैसा दृश्य रहता है।

कैसे पहुंचें : लखनऊ या अन्य केंद्रों से सड़क मार्ग से सुलतानपुर, फिर वहां से निजी साधन या बस अथवा टैक्सी वाहनों से कादीपुर पहुंचा जा सकता है। इसकी दूरी जिला मुख्यालय से 40 किमी है। कादीपुर से आठ किमी सूरापुर बाजार, फिर वहां से दो किमी दक्षिण बिजेथुआ हनुमान मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

स्वयं करनी होगी भोजन की व्यवस्था : मंदिर परिसर में धर्मशाला है, जहां ठहरा जा सकता है। इसके अलावा कादीपुर में भी ठहरने की व्यवस्था है। होटल या रेस्टोरेंट न होने से भोजन व नाश्ते की व्यवस्था स्वयं करनी होगी। कुछ लोग तो घर से बनाकर भोजन व नाश्ता ले जाते हैं जबकि कुछ तो वहीं पर कड़ाही चढ़ाते हैं। हलवा-पूड़ी चढ़ाने के साथ ही प्रसाद स्वरूप वितरित भी किया जाता है।


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