CM के नाम पर ठगी करने वाली 'बदमाश कंपनी' बेनकाब, पांच साल से चल रहा था गोरखधंधा Lucknow News
अफसरों के भी लैटर पैड का करते थे प्रयोग फोन पर बनाते थे ट्रांसफर पोस्टिंग का दबाव दो गिरफ्तार। कई मंत्रियों सांसद के लेटर पैड मुहर आदि दस्तावेज बरामद।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी पुलिस और क्राइम ब्रांच ने मुख्यमंत्री, मंत्रियों, सांसदों और आला अफसरों के फर्जी लेटर पैड का इस्तेमाल कर ठगी का कारोबार चलाने वाली 'बदमाश कंपनी' को बेनकाब किया है। इस मामले में दो लोग गिरफ्तार हुए हैं, जिनके पास से लेटर पैड के अलावा मुहर समेत कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैैं।
यह बदमाश कंपनी पिछले पांच साल से गोरखधंधा चल रही थी। पिछले दिनों जालसाजों ने मुख्यमंत्री का निजी सचिव विशेष कार्याधिकारी बताकर डीएम बांदा, गाजियाबाद के सहायक आयुक्त वाणिज्यकर के अलावा कई कप्तानों और अन्य अधिकारियों को फोन किए। उनके जिलों में ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत अन्य गलत काम करवाने का दबाव बनाया। कई बेरोजगारों को सरकारी नौकरी के सपने दिखाकर उनसे ठगी भी की। पकड़े गए अभियुक्तों में मूलरूप से सुलतानपुर के अखंडनगर आलोक दुबे (22) और दुर्गेश प्रताप सिंह (34) हैैं। दोनों यहां गोमतीनगर में रहकर अपने नेटवर्क चलाते थे। अलोक ने बीकॉम करने के बाद सूचना विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी भी की। दुर्गेश ने बीए की पढ़ाई के बाद ही ठगी शुरू कर दी थी।
ऐसे चढ़े पुलिस के हत्थे
डीएम बांदा और गाजियाबाद सहायक आयुक्त वाणिज्यकर ने शक होने पर मुख्यमंत्री कार्यालय में पिछले दिनों पूछताछ की। जांच में मामला गलत पाया गया। जिस पर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से गौतमपल्ली थाने में तहरीर दी गई। मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा होने पर तुरंत ही पुलिस हकरत में आई। मुकदमा दर्ज कर आरोपित गिरफ्तार कर लिए गए। सीओ क्राइम दीपक सिंह ने बताया कि जालसाजों के दो साथी आजमगढ़ निवासी संजय चतुर्वेदी और अयोध्या निवासी संतोष तिवारी अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
जालसाजों के कब्जे से ये सामान बरामद
पुलिस ने जालसाजों के कब्जे से छह मोबाइल फोन, पांच सिमकार्ड, उत्तर प्रदेश शासन के तीन फर्जी परिचय पत्र, तीन विजिटिंग कार्ड, 23 सेट नौकरी दिलाने के लिए शैक्षिक प्रमाण पत्र, स्थानांतरण रुकवाने व करवाने के लिए नौ सेट आवेदन पत्र, दो सादे स्टांप पेपर, चेक बुक, रसीदें व 1.58 लाख रुपये, 500 और 1000 के पुराने नोटों में बरामद किए गए। दोनों अपने वाट्सएप की डीपी पर शासन-प्रशासन से संबंधित राजकीय चिह्न का इस्तेमाल करते थे।
सीयूजी नंबरों का करते थे इस्तेमाल
सीओ क्राइम ने बताया कि जालसाज अधिकारियों को 945440..., 945441..., 945445... की सीरीज से अफसरों को फोन करते थे। उन्होंने जीपीओ सेंटर से इस सीरीज के नंबर जारी करा लिए थे। अलग-अलग सिमकार्ड लगाकर फोन करते थे। काम होने के बाद दूसरे नंबर प्रयोग करते थे।
क्या कहते हैं अफसर?
एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी का कहना है कि पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। बेहतर काम के लिए सीओ अपराध व उनकी टीम में शामिल गौतमपल्ली के इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह, दारोगा बृजेंद्र कुमार मिश्रा, सिपाही अश्वनी कुमार शुक्ला समेत अन्य पुलिसकर्मियों को 20 हजार रुपये इनाम की घोषणा की।