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दो कोरोना मरीजों की देखरेख पर रोजाना एक लाख से अधिक का खर्च, बेड खाली; नहीं भेजे जा रहे मरीज

लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में कोरोना के नाम पर भले ही लाखों रुपये का वारा-न्यारा हो रहा है। जिसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। बेड खाली होने के बाद भी सरकारी कोविड अस्पताल में मरीज नहीं भेजे जा रहे हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 09:10 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 09:10 PM (IST)
दो कोरोना मरीजों की देखरेख पर रोजाना एक लाख से अधिक का खर्च, बेड खाली; नहीं भेजे जा रहे मरीज
राजधानी लखनऊ में बेड खाली होने के बावजूद नहीं भेजे जा रहे हैं कोरोना वायरस के मरीज।

लखनऊ, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों में कोरोना के नाम पर भले ही लाखों रुपये का वारा-न्यारा किया जा रहा हो, लेकिन इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। बेड खाली होने के बाद भी सरकारी कोविड अस्पताल में मरीज नहीं भेजे जा रहे हैं। जबकि संसाधन पर सरकारी धन का उतना ही अपव्यय हो रहा है। 

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सीतापुर रोड स्थित राम सागर मिश्र अस्पताल में करीब एक हफ्ते से सिर्फ दो कोरोना मरीज भर्ती हैं। जबकि इनकी देखरेख के लिए कुल संसाधनों पर रोजाना एक लाख रुपये से अधिक का होटल बिल चुकाया जा रहा है। अन्य खर्चे अलग से हो रहे हैं। यहां मरीजों को भर्ती करने की क्षमता 70 तक है। बीच में इसे लेवल वन से लेवल-2 कोविड हॉस्पिटल में तब्दील किया गया था, लेकिन कोई सुविधाएं भी नहीं बढ़ाई गईं।पिछले एक माह से यहां भर्ती मरीजों की संख्या पांच के नीचे ही रह रही है। कई दिनों से सिर्फ़ दो मरीज ही भर्ती हैं। गुरुवार को एक और मरीज आने से यह संख्या एक हफ्ते बाद दो से सिर्फ तीन हुई है। यह सब जानते हुए भी स्वास्थ्य विभाग सरकारी धन के अपव्यय को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। ना तो यहां मरीज भेजे जा रहे हैं और ना ही यहां के दो तीन मरीजों को दूसरे कोविड अस्पताल में शिफ्टकरा कर इसे सामान्य अस्पताल में तब्दील किया जा रहा है।

मरीजों की देखभाल करने वाले 25-30 से ज्यादा स्टाफ को यहीं के एक निजी होटल में क्वारंटाइन कराया जाता है। जिन पर रोजाना एक लाख रुपये से अधिक का खर्च आता है। महीने भर में सरकार के खजाने से निजी होटल को 30 लाख रुपये से अधिक चुकाए जा रहे हैं। आरएसएम अस्पताल के सीएमएस डॉ वीके सिंह ने बताया कि मरीज भेजने का काम सीएमओ कार्यालय का है। हमारे यहां जितने भी मरीज आते हैं उन्हें भर्ती किया जाता है। पिछले एक हफ्ते से मरीजों की संख्या करीब दो-तीन ही है। कार्यवाहक सीएमओ डॉ एमके सिंह ने कहा कि इस समस्या पर नए सीएमओ के ज्वाइन करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।


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