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UP PF Scam : एपी मिश्र व सुधांशु द्विवेदी के घर ईओडब्ल्यू का छापा Lucknow news

पीएफ घोटाला पूर्व निदेशक के घर से डायरी व मोबाइल बरामद। एपी मिश्र ने पीके गुप्ता से सामना करने से किया इन्कार।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 01:26 PM (IST)
UP PF Scam : एपी मिश्र व सुधांशु द्विवेदी के घर ईओडब्ल्यू का छापा Lucknow news
UP PF Scam : एपी मिश्र व सुधांशु द्विवेदी के घर ईओडब्ल्यू का छापा Lucknow news

लखनऊ, (राज्य ब्यूरो)। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भविष्य निधि घोटाले में गुरुवार सुबह लखनऊ जेल में बंद आरोपित पावर कारपोरेशन पूर्व निदेशक एपी मिश्र, पूर्व निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर दिनभर पूछताछ की। इस दौरान एपी मिश्र ने पीके गुप्ता का सामना करने से इन्कार कर दिया। ईओडब्ल्यू ने पीके गुप्ता व सुधांशु द्विवेदी को आमने-सामने बैठाकर करीब आधे घंटे तक भविष्य निधि की रकम को निजी कंपनी में निवेश को लेकर सवाल-जवाब किए। सुधांशु व पीके गुप्ता का भी आमना-सामना कराया गया। देर शाम ईओडब्ल्यू ने एपी मिश्र व सुधांशु द्विवेदी के घरों पर छापा मारा।

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ईओडब्ल्यू ने एपी मिश्र के अलीगंज स्थित घर से उनकी एक डायरी, मोबाइल फोन, पैन कार्ड व कुछ अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। विकासनगर निवासी द्विवेदी के घर में भी कुछ दस्तावेज खंगाले गए। ईओडब्ल्यू कई बिंदुओं पर तीनों आरोपितों से सिलसिलेवार पूछताछ कर रही है। डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने आरोपितों से पूछताछ के लिए एसपी शकीलुज्जमा समेत अन्य अधिकारियों के नेतृत्व में अलग-अलग टीमें गठित की हैंं।

पूछताछ में सुधांशु द्विवेदी ने निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में भविष्य निधि की रकम के निवेश के निर्णय वाली फाइल पर हस्ताक्षर करने की बात से ही इन्कार कर दिया। बताया गया कि द्विवेदी ने कहा कि उन्हें अंधेरे में रखा गया और वह फाइल ही उन तक नहीं भेजी गई। ईओडब्ल्यू के एसपी का कहना है कि डीएचएफएल में निवेश के अप्रूवल संबंधी वर्ष 2017 की फाइल में एपी मिश्र के हस्ताक्षर हैं। यह अप्रूवल उन्होंने रिटायरमेंट से पहले दिया था।

हालांकि गुरुवार को लंबी पूछताछ के बाद भी अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि 22 मार्च 2017 को हुई बैठक को आखिर 24 मार्च 2017 को होना क्यूं दिखाया गया था। इसे लेकर आरोपित अधिकारी अभी स्पष्ट कुछ नहीं बोल रहे हैं। बार-बार तारीख याद न होने के बयान दोहराते रहे। एसपी का कहना है कि नोटशीट में 22 मार्च को बैठक होने की बात प्रमाणित हो रही है। इस दिशा में अभी और गहनता से छानबीन की जा रही है। आरोपितों से अलग-अलग भी पूछताछ की जाएगी। ईओडब्ल्यू को उम्मीद है कि एपी मिश्र के मोबाइल व डायरी से कई अहम जानकारियां हाथ लग सकती हैं।

उल्लेखनीय है कि 4122.70 करोड़ के भविष्य निधि घोटाले की सीबीआइ जांच की संस्तुति भी की जा चुकी है। सीबीआइ जांच शुरू करे, इससे पहले ईओडब्ल्यू पड़ताल में कहीं कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती। यही वजह है कि जांच संभालने के बाद से ही ईओडब्ल्यू तेजी से जांच के कदम आगे बढ़ा रही है। ईओडब्ल्यू डीएचएफएल के अधिकारियों से पूछताछ की भी तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि तीनों आरोपितों से पूछताछ के बाद डीएचएफएल के अधिकारियों को नोटिस देगी।

लॉकर तोड़कर की छानबीन

एपी मिश्र के आवास पर छापेमारी के दौरान एक लॉकर की चाबी नहीं दी गई। इस पर जांच एजेंसी ने ड्रिल मशीन मंगाई। हालांकि इससे पूर्व ही एपी मिश्र की सहमति से लॉकर को पेंचकस व प्लास से तोड़कर खोला गया।

करीबियों से भी होगी पूछताछ

ईओडब्ल्यू आरोपितों के करीबियों से भी जल्द पूछताछ कर सकती है। आरोपित पीके गुप्ता के बेटे से भी पूछताछ की तैयारी चल रही है। बताया गया कि वह रियल एस्टेट का काम करता है।

एपी मिश्र की जमानत याचिका खारिज

करोड़ों रुपयों के सामान्य भविष्य निधि एवं अंशदायी भविष्य निधि का धोखाधड़ी कर दुर्विनियोग करने के आरोपित उप्र पावर कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्र की जमानत अर्जी गुरुवार को सीबीसीआइडी के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट क्षितिश पांडेय ने खारिज कर दिया है। जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अभियोजन की ओर से कहा गया कि अभियुक्त द्वारा कपट पूर्वक कृत्य से पावर कारपोरेशन के कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि एवं अंशदायी भविष्य निधि की 2631.20 करोड़ की धनराशि का दुर्विनियोग किया गया है। यह गड़बड़ी उस समय की गई है, जब अभियुक्त उप्र पावर कारपोरेशन में प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत था।

बहस के दौरान कहा गया कि वित्त मंत्रालय भारत सरकार की अधिसूचना में दिए गए दिशा निर्देशों का अतिक्रमण करते हुए कर्मचारी भविष्य निधि की धनराशि का पचास प्रतिशत से अधिक धन डीएचएफएल में सावधि जमा के रूप में विनियोजित किया गया है। यह भी कहा गया है कि छह नवंबर के आदेश के तहत अभियुक्त तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर है तथा उससे आवश्यक पूछताछ चल रही है। अदालत ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि अपराध गंभीर प्रकृति का है इसके कारण जमानत पर छोड़े जाने का कोई औचित्य नहीं है।


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