Environment Day 2020 : पर्यावरण के लिए संजीवनी बना लॉकडाउन, सिर्फ 70 दिन में सुधर गई हवा
पर्यावरण दिवस पहली बार पर्यावरण की प्री मानसून रिपोर्ट में दिखा 50 से 60 फीसद का सुधार लॉकडाउन बनी वजह असर। आइआइटीआर ने जारी की राजधानी की सालाना रिपोर्ट।
लखनऊ, जेएनएन। Environment Day 2020 कोरोना के खौफ से लगा लॉकडाउन तकरीबन हट चुका है। जिंदगी पहले की तरह फिर रफ्तार भर रही है मगर, पर्यावरण के इतिहास में पहली बार इतना बड़ा बदलाव कभी देखने को नहीं मिला। महज 70 दिन के लिए हम क्या ठहरे थे, हवा-पानी, धरती-आसमान, पशु-पक्षियों के लिए मुश्किल बने प्रदूषण की ही सांस घुट गई। यह हम नहीं, भारतीय विश्व विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) की ओर से हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जारी की जाने वाली राजधानी की प्री मानसून रिपोर्ट बता रही है।
आप जानकर हैरान रह जाएंगे, वायु व ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण करने में लॉकडाउन जबरदस्त असरदार रहा। कई जगह वायु प्रदूषण के स्तर में बीते वर्ष के मुकाबले 50 से 60 फीसद की कमी रिकॉर्ड की गई। इतना ही नहीं, ध्वनि प्रदूषण में भी शून्य के करीब ही पहुंच गया। इस दौरान संस्थान के वैज्ञानिकों ने सरकारी व्यवस्था से लेकर आमजन तक के लिए संदेश भी जारी किया। सुझाव दिए हैं कि लॉकडाउन हमारे लिए सबक था। बेइंतहा प्रदूषित हो चुकी हवा और कानफोड़ू शोर से बेजार शहरवासियों को अब यह समझ लेना चाहिए कि शुद्ध पर्यावरण बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। अनावश्यक वाहनों का इस्तेमाल, सड़कों पर अतिक्रमण, चीखते प्रेशर हॉर्न, जगह-जगह लगने वाला जाम, उसमें फंसे वाहन यदि इन सब पर नियंत्रण पा लिया जाए तो फिर प्राणवायु को शुद्ध करने के लिए दोबारा लॉकडाउन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
विकासनगर में बना रहा प्रदूषण
24 मार्च से 31 मई के मध्य किए गए अनुश्रवण में विकासनगर में पाॢटकुलेट मैटर (पीएम) 10 सर्वाधिक 112 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया। अलीगंज में 98.5, इंदिरा नगर में 94.7, गोमती नगर में सबसे कम 90.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मापा गया। इन इलाकों में पीएम 2.5 यानी अत्यंत सूक्ष्म कणों की मात्रा में भी 23 से 49 फीसद के करीब कमी दर्ज की गई। हां, बंदी के दौरान भी व्यावसायिक क्षेत्र की श्रेणी में आने वाले आलमबाग में प्रदूषण सर्वाधिक रहा।
गोमती नगर में 25 फीसद से अधिक कम हुआ शोर
रिपोर्ट के मुताबिक, गोमती नगर में लॉकडाउन के दौरान शोर में करीब 25 फीसद से अधिक की कमी दर्ज की गई। वहीं, अलीगंज में लगभग 14 फीसद, विकासनगर में दस और इंदिरा नगर में आठ फीसद के करीब कमी रिकॉर्ड की गई। हालांकि, ध्वनि प्रदूषण मानक 55 डेसिबल के मुकाबले गोमती नगर को छोड़ अन्य स्थानों पर कुछ अधिक रिकॉर्ड किया गया। व्यावसायिक क्षेत्रों में भी यही स्थिति रही।
यह भी जानें
राजधानी में वाहनों की संख्या (31 मार्च तक)--24,07,190 -पेट्रोल की खपत--2,32,383 किलोलीटर -डीजल की खपत--2,13,315 किलोलीटर -सीएनजी की खपत--4,23,59,025 किलोग्राम।
आठ स्थानों पर परखे गए हालात
आइआइटीआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन बताते हैं कि हर साल लखनऊ की प्री मॉनसून एवं पोस्ट मॉनसून एनवायरनमेंट रिपोर्ट जारी की जाती है। इस साल 24 मार्च से लॉकडाउन था। ऐसे में शहर की हवा बेहद स्वच्छ हो गई। संस्थान द्वारा आठ स्थानों पर वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का स्तर मापा गया, जिसे बीते वर्ष के मुकाबले बेहद कम पाया गया। अधिकतम स्थानों पर पीएम 10 की सांद्रता लॉकडाउन के दौरान मानकों के मुकाबले बेहद कम पाई गई। वहीं, पीएम 2.5 जोकि हमारी सांस द्वारा फेफड़ों में जाकर पैबस्त हो जाते हैं, उनकी मात्रा भी बेहद कम मिली। ये सांस के विभिन्न रोगों व एलर्जी का कारण बनते हैं। वैसे देखा जाए तो बदलाव लोगों ने खुद भी महसूस किया। लॉकडाउन में आए इस गुणात्मक सुधार से सबक लेते हुए यदि हम अपने व्यवहार में और तौर-तरीकों में कुछ सुधार कर लें तो पर्यावरण को जहां बड़ी राहत मिलेगी। सेहत भी सुधरेगी।
शुद्ध वायु के लिए वैज्ञानिकों की सलाह
- शहर की प्रमुख सड़कों पर अतिक्रमण को कम कर यातायात को गति दी जाए
- चौराहों पर सुगम यातायात के लिए आवश्यक परिवर्तन किए जाएं
- पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ का निर्माण किया जाए
- रिक्त निजी स्थानों पर गैर सरकारी व्यक्तियों द्वारा पाॄकग सुविधा का संचालन
- भीड़भाड़ वाले इलाकों में निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए पाॄकग शुल्क में वृद्धि
- यातायात प्रबंधन प्रणाली में सुधार की जरूरत
- शहर के अंदर ट्रैफिक कम करने के लिए बाहरी मार्गों पर बस अड्डों का प्रावधान
- सड़कों के किनारे लगे कचरे को प्रतिदिन हटाया जाए
- बैटरी चलित या हाईब्रिड वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाए
- सभी वाहनों से प्रेशर हॉर्न हटवाए जाएं और फोन का कम उपयोग करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।
लॉक खुलते ही दूषित हुई हवा, एक्यूआइ 146 पहुंचा
अनलॉक-1 के शुरू होते ही सड़कों पर वाहन फर्राटा भरने लगे हैं। नतीजा यह है कि महज चार दिन पहले एक जून को एयर क्वालिटी इंडेक्स 84 था। वह गुरुवार को 146 के स्तर में रिकॉर्ड किया गया। वायु प्रदूषण में वाहनों का कितना योगदान है इसका अंदाजा इसी से देखा जा सकता है कि एक जून को एयर क्वालिटी इंडेक्स 84 था जो दो जून को बढ़कर 96 हुआ। तीन जून को 119 पहुंच गया। महज चार दिन के अंतराल पर गुरुवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 146 रिकॉर्ड किया गया।