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लखनऊ सचिवालय में प्रवेश हुआ आसान, अब पास धारकों को किसी भी गेट से आने-जाने की छूट

लखनऊ सचिवालय के भवनों में अब पास धारक पैदल किसी भी गेट से अंदर व बाहर आ जा सकेंगे। 18 अक्टूबर को सुरक्षा का हवाला देकर सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा तय गेट से प्रवेश व निकासी की व्यवस्था लागू की गई थी। कर्मियों द्वारा इसका विरोध किया था।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 01:49 PM (IST)
लखनऊ सचिवालय में प्रवेश हुआ आसान, अब पास धारकों को किसी भी गेट से आने-जाने की छूट
लखनऊ सचिवालय आने जाने वाले लोग पास होने पर अब किसी भी गेट से कर सकेंगे प्रवेश।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो।  लखनऊ सचिवालय के भवनों में अब पास धारक अधिकारी, कर्मचारी व आगंतुक पैदल किसी भी गेट से अंदर व बाहर आ जा सकेंगे। 18 अक्टूबर को सुरक्षा का हवाला देकर सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा तय गेट से प्रवेश व निकासी की व्यवस्था लागू की गई थी। सचिवालय कर्मियों द्वारा इसे लेकर लगातार विरोध किया जा रहा था। आखिरकार मंगलवार को सचिवालय प्रशासन विभाग ने पुराने आदेश को निरस्त कर दिया। उधर सचिवालय कर्मियों ने बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय धरना व प्रदर्शन को एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है।

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उप्र सचिवालय सेवा संगठन समन्वय समिति के पदाधिकारियों के साथ मंगलवार को मुख्य सचिव आरके तिवारी ने बैठक की। समन्वय समिति के सचिव ओंकार नाथ तिवारी व शशि कांत शुक्ला ने बताया कि सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा प्रवेश व निकासी के लिए अलग-अलग द्वार की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से खत्म करने का आदेश जारी कर दिया गया। वहीं सचिवालय भत्ता बहाल करने सहित अन्य मांगें पूरा करने के आश्वासन के बाद धरने को हफ्ते भर के लिए टाल दिया गया है। उप्र सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्रा ने कहा कि प्रवेश व निकासी के लिए अलग-अलग गेट की व्यवस्था होने से कर्मियों को फाइलें लाने और बैठक में शामिल होने के लिए एक भवन से दूसरे भवन जाने में बड़ी कठिनाई हो रही थी।

मालूम हो कि सचिवालय के मुख्य भवन में 11 गेट हैं। अभी यहां पैदल या वाहन से आने पर चार, पांच, सात व नौ नंबर गेट से प्रवेश और गेट नंबर एक, दो तीन, 10 व 11 से निकासी की सुविधा थी। बापू भवन में गेट नंबर एक से निकासी व गेट नंबर दो से प्रवेश की व्यवस्था थी और लोक भवन, एनेक्सी व योजना भवन में भी अलग-अलग गेट से प्रवेश व निकासी की व्यवस्था थी, जिसे खत्म कर दिया गया है।


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