Article 370: कश्मीरी पंडितों में फिर से जगी घर वापसी की उम्मीद Lucknow News
कश्मीर में अपनी बेशकीमती अचल संपत्ति छोड़ कर आने वालों की जगी आस।
लखनऊ [ऋषि मिश्र]। मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं, तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं, कहानी का ये हिस्सा आज तक सब से छुपाया है कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ आए हैं, नई दुनिया बसा लेने की इक कमजोर चाहत में, पुराने घर की दहलीज़ों को सूना छोड़ आए हैं,
प्रख्यात शायर मुनव्वर राणा के मुहाजिरनामा की ये चंद पंक्तियां उन कश्मीरी पंडितों के छूटे हुए मकानों की पूरी दास्तां कह देती है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद राजधानी में कश्मीरी पंडितों के मन में ये आस फिर से जगी है कि एक न एक दिन अपनी बेशकीमती जमीन-जायदाद जो वे छोड़ आए थे, उनको फिर से मिल सकेगी।
दवा कारोबार से जुड़े रवींद्र कोथरू श्रीनगर में डल लेक के पास प्राइम लोकेशन की 16 कनाल भूमि को याद करते हैं। जिस पर इस वक्त एक पीडीपी नेता काबिज है। इस भूमि की कीमत कई अरब रुपये है। उनका कहना है कि वे संघर्ष करेंगे। अब उनकी लड़ाई को और ताकत मिलेगी। अपनी भूमि वह वापस लेंगे। कश्मीरी मोहल्ला के रहने वाले अनिल राजदान का 2000 वर्ग फीट का मकान अनंतनाग के कर्णपुर में था। जिसमें नौ कमरे थे। ये मकान आंतकियों ने ढहा दिया था। कुछ साल पहले उनके भाई ने उनको उस जगह की एक फोटो भेजी, जिसमें केवल एक प्लाट बचा हुआ है।
राजदान कहते हैं कि जमीन के वैध कागज उनके पास हैं, उम्मीद करते हैं भूमि उनको वापस मिल जाएगी। जिसमें प्रशासनिक स्तर पर भी मदद मिलेगी। दीपक काचरू बताते हैं कि उनकी मजबूरी तो ऐसी रही कि श्रीनगर डल लेक से कुछ दूरी पर रेनावरी में अपनी 12 हजार वर्ग फीट जमीन जिसका बाजार भाव करीब छह करोड़ रुपये होगा, उसको उन्होंने मात्र आठ लाख रुपये में बेच दिया था। मगर अपने जैसे अन्य लोगों को उनकी जमीन वापस मिल जाए, इसके लिए हम एक अभियान चलाएंगे।
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