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गजब! ब्रेक मारने पर बिजली पैदा करेगी ट्रेन... विश्व में किसी के पास नहीं ऐसी तकनीक

रेलवे एक ऐसी तकनीक अपनाने जा रहा है जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 09:25 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 07:58 AM (IST)
गजब! ब्रेक मारने पर बिजली पैदा करेगी ट्रेन... विश्व में किसी के पास नहीं ऐसी तकनीक
गजब! ब्रेक मारने पर बिजली पैदा करेगी ट्रेन... विश्व में किसी के पास नहीं ऐसी तकनीक

लखनऊ, (निशांत यादव)। चलती ट्रेनें ब्रेक लगाने पर झटका नहीं, बिजली देंगी। रेलवे पुराने इंजनों के ब्रेक मारने पर बिजली बनाएगा। एक इंजन सालाना 24 लाख रुपये कीमत की बिजली बनाकर ओवरहेड इलेक्टि्रकल (ओएचई) लाइन को वापस भेजेगा, जिसका इस्तेमाल उस रूट की दूसरी ट्रेनों में किया जाएगा। देश में पहली बार पुराने इंजन से बिजली बनाने का ट्रायल आरडीएसओ, लखनऊ ने शुरू किया है। माना जा रहा है कि यह तकनीक अभी विश्व के किसी भी देश के पास नहीं है।

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रेलवे में अभी मालगाड़ियां डब्ल्यूएजी-सात और एक्सप्रेस ट्रेनें डब्ल्यूएपी-चार मॉडल के इंजन से दौड़ रही हैं। इन पुराने इलेक्ट्रिक इंजनों के ब्रेक लगाने पर बिजली की बर्बादी भी होती है। जबकि, रेलवे के तीन फेस वाले नए कुछ इंजनों में रिजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगा है, जिनकी मोटर जनरेटर का काम करती है। ब्रेक लगाने पर यह मोटर बिजली बनाकर ओएचई में वापस भेजती है। ऐसे इंजन केवल 15 से 20 प्रतिशत ही हैं। जबकि, 80 प्रतिशत एक्सप्रेस और लगभग 90 प्रतिशत से अधिक कनवेंशनल (पुराने) मालगाड़ी के जी क्लास के इंजन दौड़ रहे हैं। इन पुराने इंजनों से रेलवे अब सालाना करोड़ों रुपये की बिजली पैदा करेगा।

बीएचईएल झांसी ने एक पुराने इंजन में रिजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगाकर उसे मोटर से कनेक्ट किया है। मालगाड़ी का इंजन डब्ल्यूएजी-सात 24517 इलेक्टि्रक लोको शेड झांसी का है। इंजन के प्रारंभिक ट्रायल हो गए हैं। इसका परिणाम भी अच्छा मिल रहा है। अंतिम ट्रायल के बाद इसे रेलवे बोर्ड को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने पर देश के 18 सौ डब्ल्यूएजी-सात इंजनों में पहले चरण में इस तकनीक को लगाकर बिजली बनाने का काम होगा। दूसरे चरण में एक्सप्रेस ट्रेनों के इंजन भी इसी तकनीक से दौड़ेंगे। सिस्टम को लगाने का खर्च अभी एक इंजन पर डेढ़ करोड़ रुपये आया है। जबकि, अधिक संख्या में लगाने पर यह लागत कम हो जाएगी।

क्या कहते हैं अफसर ?
लखनऊ आरडीएसओ कार्यकारी निदेशक प्रशासन एनके सिन्हा का कहना है कि देश में पहली बार पुराने इंजनों से बिजली बनाने के लिए उनमें रिजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगाने की तैयारी है। एक इंजन पर इसे लगाकर ट्रायल किया जा रहा है। अब तक परिणाम भी अच्छे मिले हैं।


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