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ओपन एक्सेस की राह में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की बाधा, बिजली कंपनियों के फैसले से बढ़ी उद्योगों की मुश्किल

योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देश पर उद्योगों को ओपन एक्सेस प्रणाली के माध्यम से बिजली खरीदने की अनुमति दी है लेकिन कुछ बिजली वितरण कंपनियों ने ओपन एक्सेस पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगाकर राहत की इस राह में रोड़े खड़े कर दिए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 09:25 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 09:25 PM (IST)
ओपन एक्सेस की राह में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की बाधा, बिजली कंपनियों के फैसले से बढ़ी उद्योगों की मुश्किल
बिजली वितरण कंपनियों ने ओपेन एक्सेस पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगाकर राहत की इस राह में रोड़े खड़े कर दिए हैं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर यूं ही नहीं आया। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपनी कई नीतियों में लगातार बदलाव किए हैं। उद्योगों को बिजली मुहैया कराने के लिए भी महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए यूपी सरकार ने ही ओपन एक्सेस की अनुमति दी। क्रास सब्सिडी को खत्म कर दिया, लेकिन कुछ बिजली वितरण कंपनियों ने ओपन एक्सेस पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगाकर राहत की इस राह में रोड़े खड़े कर दिए हैं।

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दरअसल, 2018 में सरकार ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देश पर उद्योगों को ओपन एक्सेस प्रणाली के माध्यम से बिजली खरीदने की अनुमति दी। इससे उपभोक्ताओं के लिए बिजली कंपनियों से प्रतिस्पर्धी दरों पर बिजली खरीदने के विकल्प बढ़े। इसके साथ ही अप्रैल, 2020 में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए क्रॉस सब्सिडी को भी खत्म कर दिया, जो 2018-19 में 0.63 प्रति यूनिट थी। इससे औद्योगिक इकाइयों के लिए सस्ती बिजली का रास्ता तैयार हुआ। सारे प्रयास इसीलिए कि इन सुविधाओं से आकर्षित होकर ज्यादा से ज्यादा निवेशक उत्तर प्रदेश का रुख करें।

इसी बीच पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा हाल ही में एक आदेश जारी कर दिया गया, जिसके तहत उसके डिवीजन में ओपन एक्सेस बिजली के खरीदारों पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगाई जाएगी। इससे 1.56 रुपये प्रति यूनिट क्रास सब्सिडी के अलावा बिजली की लागत अचानक 0.50 रुपये प्रति यूनिट बढ़ रही है। इसी वर्ष जनवरी में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने भी ऐसा आदेश जारी कर दिया। फिक्की, पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज आदि ने इस पर आपत्ति जताते हुए सरकार से मांग की है कि ओपेन एक्सेस पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी न लगाई जाए।

उल्लेखनीय है कि क्रास सब्सिडी ऐसी प्रणाली है, जिसमें कुछ उपभोक्ताओं से ज्यादा शुल्क वसूला जाता है, ताकि अन्य उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली मुहैया कराई जा सके। भारत में ओद्यौगिक इकाइयां आम तौर पर ज्यादा शुल्क देती हैं, लेकिन राष्ट्रीय टैरिफ नीति, 2016 के मुताबिक शुल्क इतना ज्यादा नहीं होना चाहिए कि जिसके कारण उद्योगों के विकास पर खराब प्रभाव पड़े। फिक्की यूपी की ओर से कहा गया है कि वितरण लाइसेंसी उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी अधिनियम 1952 की धारा 3 के तहत नहीं आता है। ऐसे में खास तौर पर यूपी के बाहर से ओपन एक्सेस पर बेची जाने वाली बिजली पर ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती।


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