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लखनऊ में सरकारी महकमों पर 42 करोड़ का बिजली बिल बकाया, जान‍िए क‍िस पर क‍ितना कर्ज

गृह पर 14.63 करोड़ व प्राथमिक शिक्षा पर 10.80 करोड़ बिजली बिल बाकी। 29 सरकारी विभाग बिजली महकमे के हैं कर्जदार।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 07:57 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 04:17 PM (IST)
लखनऊ में सरकारी महकमों पर 42 करोड़ का बिजली बिल बकाया, जान‍िए क‍िस पर क‍ितना कर्ज
लखनऊ में सरकारी महकमों पर 42 करोड़ का बिजली बिल बकाया, जान‍िए क‍िस पर क‍ितना कर्ज

लखनऊ, (अंशू दीक्षित)। आम उपभोक्ता के घर की बिजली एक माह का बिल जमा न होने पर काट दी जाती है। दस हजार रुपये बकाया होने पर उसके घर की मुहल्लों वालें के सामने वीडियो ग्राफी बनाते हुए बिल जमा करने की चेतावनी दी जाती है। समय से बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं पर बढ़ते बिजली के दाम बोझ बने हुए हैं लेकिन सरकार के 29 विभाग राजधानी में ऐसे हैं, जो महीनों से अपना बिल जमा नहीं कर रहे हैं। इन विभागों पर 42 करोड़ से अधिक का बिजली बिल बकाया है। बिजली महकमे द्वारा तमाम पत्राचार के बाद आज कल लगा हुआ है। खासबात है कि इन विभागों की बिजली जब काटी जाती है तो चंद लाख जमा करके यह कनेक्शन जुड़वा लेते हैं लेकिन पूरा बिल कभी जमा नहीं करते। नतीजतन हर माह ब्याज की चकरी घूमकर बिल का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। अगर यह पैस लेसा को मिल जाए तो कोविड 19 के कारण जो आर्थिक संकट का सामना बिजली महकमे को करना पड़ रहा है, उससे बड़ी राहत मिलेगी। 

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बिजली महकमे द्वारा प्राथमिक शिक्षा के अधिकारियों को कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन बिजली का बिल आज भी 10 करोड़ अस्सी लाख बाकी है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के पार्क, कार्यालय पर भी 2.75 करोड़ बाकी है। राज्य संपत्ति ने अपना हिसाब मार्च 2020 में करीब करीब साफ कर लिया था, लेकिन फिर 2.75 करोड़ का बिल बन गया है, जिस चुकाया नहीं गया है। चिकित्सा विभाग पर भी 1.39 करोड़ का बिजली बिल बाकी है। इनमें गृह विभाग बकाएदारों में सबसे टॉप पर बना हुआ है। सूत्रों की माने तो लंबे समय से बिल जमा न होने के कारण बिल बढ़कर 14.63 करोड़ पहुंच गया है। इसी तरह कृषि विभाग पर भी एक करोड़ चालीस लाख रुपये बिजली बिल बाकी है।

हर माह 18 फीसद है करीब ब्याज

बिजली अभियंता कहते हैँ कि बिल बकाए की राशि अगर ज्यादा है तो उस पर वार्षिक 18 फीसद वसूला जाता है। सरकारी व गैर सरकारी बकाएदारों पर यह नियम लागू होता है। अगर समय से बिल जमा कर दिया जाए तो मोटे ब्याज से बचा सकता है। 42 करोड़ के बकाए में करीब पांच से छह करोड़ सिर्फ ब्याज जुड़ा है।

इन विभागों पर बिजली बिल बाकी

गृह पर 14.63 करोड़, प्राथमिक शिक्षा 10.80 करोड़, एलडीए 2.75 करोड़, राज्य सपंत्ति 2.57 करोड़, चिकित्सा 1.39 करोड़, कृषि 1.40 करोड़, आवास 15.42 लाख, खाने एवं खनिज 12.25 लाख, खादी एवं ग्रामोद्योग 18.21 लाख, पंचायती राज 20.04 लाख, पशुधन 10.76 लाख, मत्स्य 9.92 लाख, गन्ना 27.44 लाख, कारागार 40.76 लाख, राजैनितक पेंशन नागरिक 34.63 लाख, सुरक्षा होमगार्ड 11.32 लाख, चिकित्सा शिक्षा 72.46 लाख, नगर विकास 67.55 लाख, नागरिक उड्डयन 38.92 लाख, न्याय 73.27 लाख, प्रविधिक शिक्षा 13.33 लाख, राजस्व 68.87 लाख, लोक निर्माण 39.05 लाख, वन विभाग 34.93 लाख, माध्यमिक शिक्षा 32.41 लाख, उच्च शिक्षा 45.84 लाख, समाज कल्याण 49.45 लाख, पिछड़ा वर्ग कल्याण 69.59 लाख, उद्यान 38.6 लाख रुपये बाकी है।

'सरकारी विभागो से बकाए के लिए पत्राचार किया गया है। जल्द ही कई विभाग अपना बकाया जमा करेंगे। अन्यथा पहले की तरह बिजली फिर काटी जाएगी।'  -सूर्य पाल गंगवार, एमडी, मध्यांचल 


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