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लखनऊ में दूरदर्शन ने मनाया 46वां स्थापना दिवस, अनूप जलोटा ने सजाई सुरों की महफिल

लखनऊ में दूरदर्शन ने शनिवार को अपना 46वां स्थापना दिवस समारोह बनाया। इस दौरान भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भजन और गजलों से सुरों की महफिल सजा दी। उन्होंन फिल्मी गीत से माहौल को सुरमयी कर दिया। सहायक निदेशक (कार्यक्रम) आत्म प्रकाश मिश्र ने अनूप जलोटा के साथ संवाद किया।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 08:57 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 08:57 PM (IST)
लखनऊ में दूरदर्शन ने मनाया 46वां स्थापना दिवस, अनूप जलोटा ने सजाई सुरों की महफिल
लखनऊ में दूरदर्शन ने शनिवार को अपना 46वां स्थापना दिवस समारोह बनाया।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ में दूरदर्शन ने शनिवार को अपना 46वां स्थापना दिवस समारोह बनाया। इस दौरान भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भजन और गजलों से सुरों की महफिल सजा दी। उन्होंन फिल्मी गीत से माहौल को सुरमयी कर दिया। सहायक निदेशक (कार्यक्रम) आत्म प्रकाश मिश्र ने अनूप जलोटा के साथ संवाद किया।

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इस कार्यक्रम को दूरदर्शन पर लाइव प्रसारित किया गया। केंद्राध्यक्ष अनुपम स्वरूप, अपर महानिदेशक समाचार आपी सरोज और कार्यक्रम प्रमुख रमा अरुण त्रिवेदी आदि की मौजूदगी में कार्यक्रम हुआ।

लखनऊ हम पे फिदा, हम फिदा ए लखनऊ... के साथ सांगीतिक शाम की शुरुआत हुई। लखनऊ से जुड़ाव पर अनूप जलोटा ने कहा कि हम हर महीने दो-तीन बार लखनऊ आ जाते हैं। लखनऊ में आज वही खूबसूरती है, जो पहले थी। यहां की चाट, नेतराम की पूड़ी और टुंडे के कबाब का कोई जवाब नहीं। जो खाने पीने की बात यहां है, कहीं और नहीं। इसके बाद उन्होंने ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन...गीत सुनाया।

इस गीत के बाद उन्होंने माेहम्मद रफी के साथ गायिकी का किस्सा साझा किया। भजन के बाद अब बारी थी बेहतरीन गजल की और उन्होंने वो मेरा था ये बताना अजीब लगता है... सुनाना शुरू किया। उन्होंने कहा कि गाने की कहीं कोई स्टाइल नहीं लिखी गई है, सब अपनी तरह से गाते हैं। मैं बचपन से भजन गा रहा हूं। भजन गाने में ज्यादा आनंद लेता हूं।

भजन और गजल के बाद उन्होंने फिल्मी गीत जीवन से भरी तेरी आंखें...सुनाया तो दर्शक उनके साथ-साथ गुनगुनाने लगे। इसके बाद चदरिया झिनी रे झिनी..., बोल पिंजड़े का तोता... और कौन कहता है भगवान आते नहीं...भजनों के साथ दर्शकों की तालियां बढ़ती गईं।

अनूप जलोटा ने कहा कि मैं जिस शहर में जाता हूं, वहां के कलाकारों को अपने साथ जरूर बैठाता हूं, इससे उनका मनोबल बढ़ता है। अनूप जलोटा ने बताया कि वह रोज सुबह दो घंटे संगीत सिखाते हैं। गजल हुजूम ए गम में मेरे साथ चल सको तो चलो...और रंगत तेरी जुल्फों की घटाओं ने चुराई... को श्राेताओं का खूब प्यार मिला। जग में सुंदर हैं दो नाम...भजन को उन्होंने श्रोताओं के साथ गाया। हम लौट आएंगे तुम यूं ही बुलाते रहना, कभी अलविदा न कहना...गीत के साथ कार्यक्रम का समापन किया।

प्रस्तुति में साइड रिदम श्याम नारायण का रहा। की-बोर्ड पर अमित मैसी, तबला पर सुभाष चंद्र शर्मा और गिटार पर राकेश आर्या ने संगत की। सहगान ओंकार शंखधर का रहा।


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