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चाइनीज मांझे से युवती की कटी सांस व भोजन नली, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

दी नई जिंदगी : बर्लिंग्टन चौराहे पर स्कूटी से जा रही युवती के गले में फंस गई थी पतंग की डोर। फेफड़े में जाने लगा था खून व भोजन, केजीएमयू के डॉक्टरों ने ब्रैंकोस्कोपी कर बचाई जान।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 08:18 AM (IST)
चाइनीज मांझे से युवती की कटी सांस व भोजन नली, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान
चाइनीज मांझे से युवती की कटी सांस व भोजन नली, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

लखनऊ, जेएनएन। चाइनीज मांझा बांधकर उड़ाई जा रही पतंग लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। राजधानी के बालागंज में रहने वाली सुरभि वर्मा (20) बीती 25 दिसंबर की दोपहर करीब 3:30 बजे स्कूटी से चारबाग रेलवे स्टेशन अपनी एमएसटी बनवाने जा रही थी कि अचानक बर्लिंग्टन चौराहे के पास उनके गले में पतंग की डोर फंस गई और वह लहुलुहान हो गईं।

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उनकी सांस नली व भोजन नली कटकर आपस में चिपक गईं। यानी लगभग 40 प्रतिशत गला कट गया।इससे सांस नली से खून व भोजन नली से खाना उसके फेफड़े में जाकर उसे बंद करने लगा। उसे ट्रामा सेंटर लाया गया। यहां केजीएमयू में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश व उनकी टीम ने सांस नली में ट्रैकियाऑस्ट्रोमी नली लगाकर ब्रैंकोस्कोपी के माध्यम से सांस नली में दूरबीन डालकर दोनों फेफड़े साफ कर उसकी जान बचाई।

डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि सुरभि वर्मा को सिविल अस्पताल से ट्रामा सेंटर रेफर किया गया था। वह करीब शाम 4:30 बजे ट्रामा सेंटर पहुंची। ऐसे में उसकी सांस नली से खून व आहार नली (इसोफेगस) से भोजन फेफड़े में जा रहा था। ऐसे में फेफड़े ढंग से काम नहीं कर रहे थे और मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में सबसे पहले प्लास्टिक सर्जरी व ट्रामा सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सांस नली व आहार नली को अलग-अलग कर उसकी सर्जरी कर दी।

इसके बाद गर्दन के निचले स्तर पर जहां सांस नली कट गई थी, उसके पास ट्रैकियाऑस्ट्रोमी नली डालकर सांस नली में जा रहे खून को रोका गया और सांस का रास्ता बनाया। इसके बाद इसी ट्रैकियाऑस्ट्रोमी नली को वेंटीलेटर से जोड़ दिया गया। इसके बाद ब्रैंकोस्कोपी के माध्यम से सांस नली में दूरबीन डालकर दोनों फेफड़ों और नसों की सफाई की। यह सफाई तीन बार की गई। इसमें खून के थक्के जम गए थे। फिलहाल बीती चार जनवरी को सुरभि को वेंटीलेटर से हटाया गया और आज सोमवार को इसकी ट्रैकियाऑस्ट्रोमी नली भी निकाल दी गई। सुरभि अब दाल, सूप और पतली खिचड़ी खाने में सक्षम है। डॉक्टरों की टीम में डॉ. वेद प्रकाश के अलावा डॉ. विकास व डॉ. अंकित आदि शामिल रहे।

भाग्यशाली थी सुरभि जो नहीं कटी केरोटेड आर्टरी
डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि सुरभि भाग्यशाली थी जो उसके गले में फंसे चाइनीज मांझे ने उसकी केरोटेड आर्टरी (ब्रेन को खून की सप्लाई करने वाली धमनी) नहीं काटी। क्योंकि अगर थोड़ा सा और गला कट जाता तो जान न बच पाती।

सुरभि बोली मेट्रो के कर्मचारियों ने बचाया
सुरभि ने डॉक्टरों की टीम को बधाई दी। उसने कहा जिस तरह यहां इलाज हुआ वाकई उसे दूसरी जिंदगी मिल गई। मगर हादसे को याद करके वह रोने लगती है। सुरभि ने बताया बर्लिंग्टन चौराहे के पास वह और उसकी सहेली दोनों मदद के लिए चिल्ला रहे थे लेकिन लोग आगे नहीं आए। आखिरकार मेट्रो में कार्यरत मजदूर किसी तरह सिविल अस्पताल ले गए। यहां से फिर एंबुलेंस से ट्रामा पहुंचे। 

आइजी रेंज एसके भगत ने कहा कि अगर कोई दुकानदार प्रतिबंध के बावजूद पतंग के साथ चाइनीज मांझा बेच रहा है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सभी थानेदारों को निर्देश दिए जाएंगे कि उनके क्षेत्र में चाइनीज मांझा न बिकने पाए। पूर्व में चाइनीज मांझे से हुई लोगों के साथ घटनाओं का संज्ञान है।


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