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Lakhimpur आंदोलन की आंच पर 2024 की सियासी खिचड़ी, महापंचायत में गुजरात, हरियाणा और एमपी के चुनावों पर चर्चा

Lakhimpur Mahapanchayat लखीमपुर खीरी हिंसा को मुद्दा बनाकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं किसान नेता। लखीमपुर में राजापुर गांव के किसानों ने भी टिकैत से मुलाकात कर उनकी जमीनों के अधिग्रहण करने की शिकायत भी की।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 20 Aug 2022 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 20 Aug 2022 12:46 PM (IST)
Lakhimpur Mahapanchayat: संयुक्त किसान मोर्चे की महापंचायत।

लखीमपुर, जागरण संवाददाता। किसानों के मंच पर बैठे लाेगों का आवरण भले ही अराजनैतिक हो लेकिन नारों में सियासी तपिश ही दिखाई दे रही है। संयुक्त किसान मोर्चे की यह महापंचायत पूरी तरह से गैर-राजनीतिक बताई जा रही है, लेकिन भाषणों में 2024 में केंद्र सरकार को जवाब देने की हुंकार दिखी।

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मंच से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी को तिकुनिया हिंसा का आरोपित बता रहे किसान नेता चेतावनी दे रहे हैं कि 2024 से पहले गुजरात, हरियाणा और मध्यप्रदेश के चुनावों में भाजपा को जवाब दिया जाएगा। कुल मिलाकर किसान महापंचायत के मंच से किसान हित के मुद्दे जैसे एमएसपी, खाद, बेसहारा पशु जैसे मुद्दे गायब हैं, हावी है तो बस टेनी का हटाने की मांग। भाजपा खेमा भी इसे औचित्यहीन और अप्रासंगिक करार दे रहा है। उनके नेताओं ने कहा कि इसी साल हुए चुनाव में किसान नेता तिकुनिया हिंसा को चुनावी मु्ददा बनाने में विफल रहे लेकिन एक बार फिर आंदोलन की आंच पर सियासी खिचड़ी पकाने का प्रयास है।

पंजाब में किसानों के बड़े नेता डा. दर्शन पाल सिंह के बयानों से समझा जा सकता है कि वह इस पूरे आंदोलन में सरकार पर क्यों और कितना हमलावर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अगर मोर्चे की मांगों पर गौर नहीं करती तो आने वाले वक्त में आम चुनाव से पहले ही गुजरात, एमपी और हरियाणा में इसका जवाब हर किसान दे देगा। इस बात को मंच से कई नेताओं ने दोहराया कि सरकार या तो कार्रवाई करे या फिर आने वाले समय में जवाब पाने को तैयार रहे।

औचित्यहीन और अप्रासंगिक है आंदोलन : स्थानीय भाजपा नेताओं के मुताबिक यह किसान महापंचायत किसानों के लिए कम अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए बुलाई गई है। भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने कहा कि मामला जब कोर्ट में है और अजय मिश्र का कहीं नाम नहीं हैं तो उन्हें इस मसले में खींचने की जरूरत नहीं। कुछ तथाकथित नेता अपने आपको न्यायपालिका से ऊपर समझते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि इतनी भीड़ में कुछ अराजकता हुई या माहौल खराब हुआ तो सरकार को कानून-व्यवस्था के मु्द्दे पर घेरने का षडयंत्र रचा जाएगा।

सरकार कुछ नहीं करेगी : तिकुनिया कांड में बंदी किसानों से मिलकर लौटे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि खीरी हिंसा के साजिशकर्ता को यहां चार गेट के पीछे होना चाहिए न कि खुला घूमते रहना चाहिए। टिकैत ने एक सवाल के जवाब में साफ कहा कि वह जानते हैं कि 75 घंटे में सरकार मंत्री के खिलाफ न तो कार्रवाई करेगी और न ही कोई मांग मानेगी इसलिए उन्होंने लंबे आंदोलन की तैयारी कर रखी है। यह आंदोलन खत् होने वाला नहीं है। इसका एक-एक कदम हमने तय कर रखा है।

तराई में संगठन को मजबूत करने के लिए हुआ महापड़ाव : नौ दिसंबर 2021 को यूपी दिल्ली बार्डर पर खत्म हुए संयुक्त किसान मोर्च के प्रदर्शन में मानी गईं पांच सूत्र मांगों को सरकार द्वारा हाशिए पर रखने से आहत मोर्चा अब तराई में भी अपने संगठन को मजबूत करते नजर आया। खुद राकेश टिकैत ने शुक्रवार को श्रवास्ती और बहराइच जिलों से आए किसानों की बात और दिक्कतें सुनीं और उन जिलों में संगठन के विस्तार का मंत्र भी दिया।

उधर लखीमपुर में राजापुर गांव के किसानों ने भी टिकैत से मुलाकात कर उनकी जमीनों के अधिग्रहण करने की शिकायत भी की। माना जा रहा है कि तराई की बनबसा से शुरू होकर पीलीभीत, खीरी होते हुए श्रवास्ती, बहराइच, गोंडा से लेकर महाराजगंज तक अब संयुक्त मोर्चा अपने संगठन का विस्तार कर रहा है ताकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह इस इलाके में भी उसका वर्चस्व हो सके।


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