विदेश में भक्तों की कतार, देश में राम साप्रदायिक : उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा
केजीएमयू के कन्वेंशन सेंटर में बोले डॉ. दिनेश शर्मा। पं. दीनदयाल के एकात्म मानववाद का अनुसरण करने का दिया संदेश।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। जड़-जमीन-जीव में संतुलन जरूरी है, लेकिन वर्तमान में इसे नजरंदाज किया जा रहा है। स्थिति यह है कि यहा अच्छी चीजों को भी वरीयता नहीं दी जा रही। यही कारण है कि देश में राम नाम साप्रदायिक हो गया है, वहीं विदेशों में राम-कृष्ण के भक्तों की कतार बन गई। ये बातें उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने केजीएमयू के कन्वेंशन सेंटर में कहीं। पं. दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष पर चिकित्सा विश्वविद्यालय व भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा आयोजित सास्कृतिक में शुक्रवार को शिरकत करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों व पं. दीनदयाल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश में राम नाम को साप्रदायिकता में समेट लिया गया। वहीं, विदेशों में वह रामा-कृष्णा के नाम से पहुंचे। जहा कई देशों में उनके नाम तमाम भक्त बन गए। ऐसे ही दूसरा उदाहरण योग का है। भारत का योग विदेश में जैसे ही योगा बनकर पहुंचा, लोगों ने स्वस्थ जीवनशैली के लिए उसे हाथोहाथ लिया। उसकी लोकप्रियता का आलम यह हुआ कि अब इंटरनेशनल योगा डे भी मनाया जाने लगा। वहीं, देश में अभी भी लोग स्वस्थ जीवनशैली के लिए विदेशी मशीनों का प्रयोग करते हैं। साथ ही इसे कुछ लोग धर्म से भी जोड़ते हैं। ऐसे में हमें खुद की संस्कृति व धरोहर के महत्व को समझना होगा। भौतिकतावादी होने से टूट गए हैं गाव : आशुतोष टंडन
चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा कि पहले गावों में लोग एक-दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। अब भौतिकतावादी होने से गाव टूट गए हैं। जनमानस में एकात्मकता की भावना भंग हो गई है। कार्यक्त्रम के संचालक डॉ. संदीप तिवारी ने पं. दीनदयाल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान राज्य सभा सदस्य डॉ. अशोक बाजपेयी व ब्रह्म देव शर्मा, डॉ. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र समेत तमाम लोग मौजूद रहे। महंगे इलाज से गरीब हो रहे लोग
कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक चिकित्सा सेवा का लाभ पहुंचाना पं. दीनदयाल का सपना था। देश में तीन फीसद लोग चिकित्सा व्यय के चलते गरीबी की श्रेणी में पहुंच रहे हैं। वहीं यूपी में यह संख्या दोगुनी है। कार्यक्त्रम के दौरान अंत का उदय नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित रहा।