Sanskrit Festival: संस्कृत ग्रंथों में वर्णित उपाय से दूर होगा कोराना, ऐसे जुडे़ संस्कृत महोत्सव से
Sanskrit Festival संस्कृत महोत्सव को यूट्यूब http//www.youtube.com/c/ के साथ ही उत्तरप्रदेश संस्कृतसंस्थानम के फेसबुक पेज पर भी देखा जा सकता है।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना काल में अपनाएं जाने वाले उपायों को संस्कृत शास्त्रों में पूर्व में ही वर्णित किया गया है। संस्कृत ग्रंथों में कोरोना विभिषिका से बचने के लिए जीवन शैली को अपनाने पर बल दिया गया है। मानव उसे जीवन में उतार ले जो कोरोना जैसे संक्रमण से भी खुद व समाज को बचाया सकता है। सभी भाषाओं की जननी देव भाषा संस्कृत के विकास को लेकर सात दिवसीय संस्कृत महोत्सव में उपमुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले उप्र संस्कृत संस्थानम् की ओर से आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने ऑनलाइन किया।
उप्र संस्कृत संस्थानम् के अध्यक्ष डॉ.वाचस्पति मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस देव भाषा संस्कृत को आगे बढ़ोन के लिए कटिबद्ध हैं। उनकी प्रेरणा से ही संस्कृत के विकास के लिए यह ऑनलाइन महोत्सव शुरू हुआ है। जूम एप के माध्यम से महोत्सव की अध्यक्षता कर रहे जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विद्याभास्कर जी महाराज ने कहा कि धर्म के दश लक्षण हैं जिसका सभी को पालन करना चाहिए। देव भाषा संस्कृत भले ही सबसे पुरानी भाषा है, लेकिन यह हमें वर्तमान यमय में भी आधुनिकता का बोध कराती है।
पतंजलि योग पीठ के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संस्कृत ग्रन्थों वर्णित योग व आयुर्वेद के गुण मानव समाज को एक नई दिशा देते हैं। महोत्सव में मुख्य वक्ता शामिल हुए पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने संस्कृत को परिवार से गांव तक, गांव से नगर, तहसील ,जिला व अन्त में प्रादेशिक स्तर तक पहुंचाने पर बल दिया। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए सोशल मीडिया की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया । डॉ. अरविंद तिवारी के संचाचलन में ऑनलाइन महोत्सव में डाॅ. चंद्रकांत दत्त शुक्ल, डॉ नवलता, मधुसूदन पाडेय समेत कई विद्वान शामिल हुए। सात अगस्त तक चलने वाले महोत्सव को यूट्यूब http://www.youtube.com/c/ के साथ ही उत्तरप्रदेश संस्कृतसंस्थानम के फेसबुक पेज पर भी देखा जा सकता है।