पत्नी सीमा सिंह ने हाईकोर्ट से की मुन्ना बजरंगी हत्याकांड की सीबीआइ जांच की मांग
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी सिंह ने बहस की। मालूम हो कि पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित ने 25 सितंबर, 2017 को रंगदारी की मांग करने का आरोप लगाते हुए बागपत में प्राथमिकी दर्ज कराई।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बागपत कारागार में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या की सीबीआइ जांच की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से 17 सितंबर तक जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि विवेचना की क्या प्रगति है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति डीके सिंह की खंडपीठ ने मुन्ना बजरंगी की पत्नी जौनपुर निवासी सीमा सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी सिंह ने बहस की। मालूम हो कि पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित ने 25 सितंबर, 2017 को रंगदारी की मांग करने का आरोप लगाते हुए बागपत में प्राथमिकी दर्ज कराई।
इस पर सीजेएम बागपत ने 13 जून, 2018 को मुन्ना बजरंगी को पेशी पर लाए जाने का आदेश दिया, जबकि शीर्ष कोर्ट ने मुन्ना बजरंगी को झांसी जेल से कहीं अन्य शिफ्ट न करने को कहा था। सीजेएम के आदेश पर मुन्ना बजरंगी को झांसी जेल से तो ले जाया गया लेकिन, उसे बागपत की जेल में ले जाया गया। जहां पहले से निरुद्ध बंदी सुनील राठी ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी।
याची का कहना है कि राजनीतिक साजिश के तहत उसके पति की हत्या कराई गई है। मुन्ना बजरंगी पर गाजीपुर के भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोप था। याची का कहना है कि असलहा जेल में कैसे पहुंचा। जेलर ने ही प्राथमिकी दर्ज कराई है और पुलिस या मजिस्टे्रटी जांच से निष्पक्षता की उम्मीद नहीं है। इसलिए हत्याकांड की सीबीआइ से जांच करवाई जाए। कोर्ट ने विवेचना की स्थिति के विवरण के साथ राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है। सीबीआइ के अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश भी कोर्ट में मौजूद रहे। मामले की सुनवाई 17 सितंबर को होगी।