उपचुनाव की हार से सबकः विपक्ष के दांव से आगे मोदी का चुनावी रथ
मिशन 2019 की बाजी पलटने के लिए विपक्ष ने जितने भी दांव लगाने शुरू किये हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उससे भी आगे निकलने का फार्मूला तैयार कर चुके हैं।
लखनऊ (आनन्द राय)। मिशन 2019 की बाजी पलटने के लिए विपक्ष ने जितने भी दांव लगाने शुरू किये हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उससे भी आगे निकलने का फार्मूला तैयार कर चुके हैं। जुलाई में उत्तर प्रदेश के छह बड़े कार्यक्रमों में शामिल होकर उन्होंने यह साफ कर दिया कि उनका चुनावी रथ अब रुकने वाला नहीं है। शनिवार और रविवार को लखनऊ में लगातार दो दिन आकर मोदी ने अमीर-गरीब सबको साधा।
आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर फार्मूले गढ़े जा रहे हैं। इसके ठीक विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश को मथना शुरू कर दिया है। दरअसल, गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर के उपचुनाव की हार के बाद भाजपा के होश उड़ गए। 2014 में उप्र की 73 सीटें जीतने वाले गठबंधन के लिए खतरे की घंटी बज गई। यह माना जाने लगा कि अगर, 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन हुआ तो दिल्ली की डगर कठिन होगी। बस, इसके बाद से ही उप्र में मोदी और उनके सेनापतियों ने महागठबंधन के मोहरों को मात देने के लिए अपनी सेना सजानी शुरू कर दी। यह अतिरिक्त सक्रियता और सतर्कता का ही नतीजा है कि अब विकास के एजेंडे के साथ किसान, गरीब, मजदूरों से लेकर मध्यमवर्गीय परिवारों तक सरकार और संगठन ने पहुंच बनानी शुरू कर दी है। सरकारी योजनाओं में भी हर वर्ग का ख्याल रखा जा रहा है और मोदी अपने 'सबका साथ-सबका विकासÓ नारे की बुनियाद पर हर वर्ग की सुविधा वाली योजनाओं की मीनार खड़ी कर रहे हैं। संगठन और सरकार में जातीय समीकरण दुरुस्त करने को हर जाति-वर्ग को तरजीह मिलने लगी है। निकट भविष्य में पिछड़ों और दलितों के बड़े सम्मेलन की भी तैयारी है।
नए भारत का भगीरथ और 73 सीटों की चुनौती
लक्ष्य तय कर दिया गया कि अबकी 73 से अधिक सीटें जीतनी है। मोदी ने नोएडा, संतकबीरनगर, आजमगढ़, वाराणसी और मीरजापुर में विकास परक योजनाओं का शुभारंभ और लोकार्पण कर विकास का शंखनाद किया है। शाहजहांपुर की किसान कल्याण रैली में वह अन्नदाता को रिझाते नजर आए। फिर शनिवार को प्रधानमंत्री ने लखनऊ में 99 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया तो देशभर के राज्यों से आये प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों से सीधे संवाद कर गरीबी की रेखा से नीचे जीने वाले बेघरों तक अपनी पहुंच भी बनाई। राहुल गांधी ने उन पर भागीदार होने का आरोप लगाया था लेकिन, मोदी ने इसे हथियार बनाकर दो टूक कहा हां मैं गरीबों, मेहनतकश मजदूरों, मौसम की मार से आहत किसानों, जवानों और हर दुखियारी मां की मुसीबतों का भागीदार हूं। वह गरीब मां का बेटा बनकर गरीबी की मार से जिंदगी के सबक तक का सार समझा गए थे। गरीबों के साथ खड़े मोदी का यह अलग रूप था। रविवार को उन्होंने विपक्षियों के एक और हमले पर पलटवार किया। इस बार वह महात्मा गांधी के उदाहरण के साथ उद्योगपतियों के सम्मान में खड़े हो गए। मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि देश को बनाने के लिए उद्योगपतियों की जरूरत है बशर्ते नीयत साफ हो। इन्हीं उद्योगपतियों की बदौलत उन्होंने उत्तर प्रदेश को 60 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात भी दी। यही वजह रही कि राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के समारोह में प्रधानमंत्री को नये भारत का भगीरथ कहा गया।