Deepotsav In Ayodhya: स्वर्णिम अतीत के गौरवबोध से आलोकित हुई रामनगरी, जले 6 लाख 6 हजार 569 दीप
Deepotsav In Ayodhya रामनगरी अयोध्या में चतुर्थ दीपोत्सव के अवसर पर जले 6 लाख 6 हजार 569 दीपों के साथ रामनगरी स्वर्णिम अतीत के गौरवबोध से भी आलोकित हुई। उत्सव का आगाज दोपहर रामनगरी के एक छोर साकेत महाविद्यालय से रामकथा पर आधारित 11 झांकियों के प्रस्थान से हुआ।
अयोध्या [रघुवरशरण]। रामनगरी अयोध्या में चतुर्थ दीपोत्सव के अवसर पर जले 6 लाख 6 हजार 569 दीपों के साथ रामनगरी स्वर्णिम अतीत के गौरवबोध से भी आलोकित हुई। उत्सव का आगाज दोपहर रामनगरी के एक छोर साकेत महाविद्यालय से रामकथा पर आधारित 11 झांकियों के प्रस्थान से हुआ। ढाई किलोमीटर का सफर तय करने के साथ शोभायात्रा के रूप में सरयू तट स्थित रामकथा पार्क पहुंचीं झांकियां तब तक रामनगरी की पोर-पोर में भगवान राम से जुड़े चिर सरोकारों-संबंधों का संचार कर चुकी थीं।
तीसरे पहर के तीन बज रहे होते हैं और झांकियां रामकथापार्क में पहुंचने के साथ ही राम राज्याभिषेक के मंचन की बेकरारी बयां होने लगती है। भगवान राम से जुड़ी विरासत में डुबकी लगाने को आतुर लोगों को आकाश में हेलीकाप्टर नजर आता है और उनका उल्लास सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। कुछ पलों में हेलीकाप्टर लैंड करता है। रामकथा पार्क के मंच के दोनों ओर लगी स्क्रीन पर राज्यपाल आनंदी बेन के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की तस्दीक होने के साथ लोगों की बेकरारी बढ़ जाती है और वे उस पल की बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं कि मुख्यमंत्री मंच पर आयें और श्रीराम के स्वरूप का अभिषेक कर दीपोत्सव का मर्म उद्घाटित करें। हालांकि यह इंतजार बढ़ जाता है।
हेलीकाप्टर से उतरने के बाद सूचना विभाग की प्रदर्शनी का अवलोकन करने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार से रामजन्मभूमि परिसर की ओर बढ़ जाते हैं। लोगों का इंतजार बढ़ता है, तो अगले पल स्क्रीन पर मुख्यमंत्री राज्यपाल के साथ रामलला के सम्मुख श्रद्धावनत नजर आते हैं। दीप प्रज्वलन के पूर्व से ही रोशन हो रही आस्था अगले कुछ मिनट में शिखर का स्पर्श करती है, जब आकाश में दूसरा हेलीकाप्टर नजर आता है।
लोगों को यह समझते देर नहीं लगती कि पुष्पक विमान के रूप में इस हेलीकाप्टर पर श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के स्वरूप उतरने वाले हैं। तब तक मुख्यमंत्री रामलला के दरबार से लौट कर स्वरूप की अगवानी के लिए उपस्थित होते हैं और अगले पल श्रीराम और उनके परिकर अन्यान्य स्वरूप के साथ मुख्यमंत्री रामकथापार्क के मंच पर नमूदार होते हैं।
लोग भारतीय संस्कृति और अस्मिता के पर्याय गैरिक वसनी मुख्यमंत्री को सामने पाकर अभिभूत हो रहे होते हैं। एक-एक कर विशिष्ट मेहमानों के पहुंचने के साथ ही समारोह की गौरव-गरिमा में चार-चांद लग रहे होते हैं। ...तो संतों की मौजूदगी भगवान राम से जुड़े मूल्यों और विश्वासों की आस्था से समारोह को अभिषिक्त कर रही होती है। सिंहासनासीन होने के साथ इन स्वरूपों की अभ्यर्थना शुरू होती है।
मुख्यमंत्री राम के स्वरूप का अभिषेक कर त्रेतायुगीन उस गौरव को जीवंत करते हैं, जिसमें लंका विजय के साथ सत्य, न्याय और धर्म की जीत का युगों से बोध है। यह बोध दिन ढलने के साथ सरयू के तट पर स्थित रामकीपैड़ी परिसर में एक साथ रिकार्ड दीपों के प्रज्वलन से और भी रोशन हो उठता है।
पैड़ी की सतह पर दीपों की ललक-झलक आकाश की ओर इशारा करती प्रतीत होती है और उधर दृष्टिपात करते ही चमत्कारिक एहसास होता है। जहां डिजिटल आतिशबाजी के माध्यम से अतीत की गौरव गाथा के प्रति उत्साह शिखर चढ़ रहा होता है। कोविड- 19 के प्रोटोकॉल के चलते श्रीराम और रामकथा के अनुरागी उत्सव के केंद्र तक पहुंचने से वंचित होते हैं, दर्जनों एलईडी वैन से उत्सव का जीवंत प्रसारण उन्हें निहाल कर रहा होता है।