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Deepawali 2020: 499 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग, जान‍िए कब और कैसे करें मां लक्ष्‍मी की आराधना

Deepawali 2020 आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि 1521 के बाद पहली बार यह दुर्लभ नक्षत्र पड़ रहा है। 14 नवंबर को देश भर में दीपावली में गुरु ग्रह अपनी राशि धनु में और शनि अपनी राशि मकर में रहेंगे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 06:14 AM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 02:58 PM (IST)
Deepawali 2020: 499 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग, जान‍िए कब और कैसे करें मां लक्ष्‍मी की आराधना
14 नवंबर को मनेगा दीपोत्सव, खुशहाली के पर्व पर पूजन से मिलेगा विशेष लाभ।

लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। उल्लास के पर्व दीपावली पर इस बार ग्रहों का दुर्लभ संयोग आपको मालामाल करेगा। 499 साल बाद पड़ने वाले इस संयोग से आपके घर मां लक्ष्मी का वास होगा और समृद्धि आएगी। 14 नवंबर को पड़ने वाले इस रोशनी के त्योहार पर तंत्र पूजा का भी विशेष लाभ मिलेगा। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि 1521 के बाद पहली बार यह दुर्लभ नक्षत्र पड़ रहा है। 14 नवंबर को देश भर में दीपावली में गुरु ग्रह अपनी राशि धनु में और शनि अपनी राशि मकर में रहेंगे। शुक्र ग्रह कन्या राशि में नीच रहेगा और इन तीनों ग्रहों का यह दुर्लभ योग वर्ष 2020 से पहले नौ नवंबर 1521 मे देखने को मिला था। गुरु व शनि ग्रह अपनी राशि में आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले ग्रह माने गए हैं। ऐसे में यह दीपावली शुभ संकेत लेकर आई है।

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कब करें पूजा तो होगी धन वर्षा

दुर्लभ संयोग के चलते आर्थिक समृ़द्धि के लिए आपको शुभ मुहूर्त में पूजा करना चाहिए। 14 नवंबर को स्थिर लग्न वृषभ शाम 5:17 बजे से शाम 7:13 बजे तक है। प्रदोष काल शाम 5:12 से शाम 7:52 तक रहेगा। अमावस्या की तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2:12 बजे से 15 नवंबर को सुबह 10:36 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल में पूजा करना श्रेयस्कर होगा।

व्यापारिक प्रतिष्ठान में कब करें पूजा

दीपावली के दिन सुबह 11:51 से दोपहर 1:11 बजे के पूजन किया जा सकता है। विशेष लाभ के लिए दोपहर 1:11 से दाेपहर 2:31 बजे तक पूजन कराना उत्तम होगा। दाेपहर 2:31 से 3:52 बजे तक पूजन किया जा सकता है। इन मुहूर्त में पूजन करने से व्यापारिक लाभ मिलेगा।

मुहूर्त महानिशीथ काल

आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि मां श्री महाकाली, भगवान श्रीकाल भैरव की पूजा, तांत्रिक जगत तथा ईस्ट साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल में है। रात 10:49 बजे से देर रात 1:31 बजे तक पूजन का शुभ मुहूर्त होता है। बंगाली समाज भी इसी समय मां काली की पूजा करता है।


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