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शहीद स्मारक में स्तंभ के हुक से लटका मिला शव, मृतक की बनियान पर लिखा था मौत का राज

शहीद स्मारक में शिव कुमार की लटकी मिली लाश। कपड़ों की तलाशी पर मिला पर्स, फोन करने पर खुला राज।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 09:30 AM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 10:12 AM (IST)
शहीद स्मारक में स्तंभ के हुक से लटका मिला शव, मृतक की बनियान पर लिखा था मौत का राज
शहीद स्मारक में स्तंभ के हुक से लटका मिला शव, मृतक की बनियान पर लिखा था मौत का राज

लखनऊ(जागरण संवाददाता)। शहीद स्मारक में स्तंभ के भीतर लगे हुक से शनिवार दोपहर शिवकुमार (75) का शव रस्सी से लटका मिला। शव पर मौजूद बनियान पर पेन से लिखा था कि छोटे भाई की पत्‍‌नी की वजह से मेरी जान जाएगी। ऐसे खुला राज:

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शहीद स्मारक में स्तंभ के भीतर लोहे के हुक लगे हैं। इसके बाहर गेट लगा है। शनिवार दोपहर को यह गेट खुला देख इंचार्ज सियाराम इसे बंद करने पहुंचे, तो लोहे के हुक से रस्सी के सहारे शव लटका देखा। तुरंत उन्होंने वजीरगंज पुलिस को जानकारी दी। मौके पर इंस्पेक्टर पंकज सिंह पुलिस बल के साथ पहुंचे। फंदे से शव उतरवाकर उसके कपड़ों की तलाशी ली तो उन्हें एक पर्स मिला। इसमें एक फोन नंबर लिखा था। पुलिस ने फोन कर वाक्या बताया, तब पता चला कि शव अमीनाबाद की चिक वाली गली निवासी शिव कुमार का है। उसके पास से मिले पर्स में आधार कार्ड, 320 रुपये, पीएम मोदी की फोटो और एक पर्ची भी मिली, जिसपर जयश्री लिखा था। सूचना पर पहुंचे शिवकुमार के भतीजे रामकुमार ने बताया कि उनके चाचा उन्हीं के साथ रहते थे। शुक्रवार रात छोटे चाचा सत्यनारायण की पत्‍‌नी जयश्री से उनका झगड़ा हुआ था। उसके बाद करीब 11 बजे वह घर से निकल गए थे। रात भर घर नहीं लौटे तो सभी ने उनकी खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। सुबह परिजन थाने पर उनकी गुमशुदगी दर्ज कराने जा रहे थे तबतक पुलिस ने सूचना दे दी। रामकुमार ने बताया कि चाचा की पत्‍‌नी रामलली की कई साल पहले बीमारी से मौत हो गई थी। उनके कोई बच्चे नहीं थे। तब से वह साथ में रहते थे। छोटी चाची जयश्री, चाचा को परेशान करती थीं। इंस्पेक्टर ने बताया कि शिवकुमार की बनियान पर पेन से लिखा है कि जयश्री की वजह से मेरी जान जाएगी। हालाकि अभी तक परिवारीजन ने कोई तहरीर नहीं दी है। जाच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

सामने आयी स्मारक कर्मियों की लापरवाही :

स्मारक स्तंभ के गेट पर ताला लगा होना चाहिए। ताकि कोई भी व्यक्ति अंदर न जा सके, लेकिन स्मारक कर्मियों ने लापरवाही बरती। गेट पर ताला नहीं लगा था। लोगों ने बताया कि अक्सर ताला खुला पड़ा रहता है। जिसके कारण शिवकुमार अंदर दाखिल हो गए और फासी लगा ली।


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