Indo-Nepal Tension: निर्यात के साथ ही नेपाली उत्पादों के आयात को भी धक्का, कस्टम से होने वाली आय भी हुई कम
नेपाल से निर्यात बंद व अब आयात भी कम होने की वजह से कस्टम से होने वाली आय भी घट कर एक चौथाई रह गई।
बहराइच [मुकेश पांडेय]। नेपाल से रिश्तों के बिगड़ने का असर न केवल निर्यात पर पड़ा है, बल्कि आयात को भी धक्का लगा है। नेपाल से वन उपज कत्था, तेजपत्ता, रीठा, दालचीनी, सोंठ, रोजिन, तारपिन तेल समेत जड़ी बूटियों का आयात होता था, जो घटकर अब एक-चौथाई ही रह गया है। इससे कस्टम से होने वाली आय भी कम हो गई है।
यह कोरोना के संक्रमण का असर है या भारत व नेपालियों के बीच रिश्तों में मधुरता की कमी, पर इसने आयात व निर्यात के समीकरण को भी बिगाड़ दिया है। नेपाल को जाने वाले खाद्य एवं पेट्रोलियन पदार्थों का निर्यात घटकर महज एक तिहाई रह गया है तो वहीं वन उपज का आयात भी सिमटकर महज 25 फीसद। इससे कस्टम शुल्क के रूप में प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक का नुकसान भारत को उठाना पड़ रहा है। हवाई जहाज में प्रयोग किए जाने वाला पेट्रोल प्रति सप्ताह चार से छह टैंकर तक जाता था, जिसकी सप्लाई घटकर प्रतिमाह केवल एक टैंकर की रह गई है। यही स्थिति पेट्रोल व डीजल के मामले में भी है। यहां ये प्रतिदिन 40 टैंकर पेट्रोल एवं डीजल नेपाल जाता था, जिसमें दोतिहाई की कमी आई है।
गेहूं, चावल जैसे अनाज की आपूर्ति में भी 50 फीसद तक कमी आई है। पहले प्रतिदिन दस टक गेहूं तो 15 ट्रक चावल की सप्लाई होती थी। जानकारों की मानें तो नेपाल चावल की खरीद के मामले में अपनी निर्भरता पड़ोसी राष्ट्र चीन पर केंद्रित कर रहा है। इस बदलाव का असर आयात पर भी पड़ा है। अब नेपाली वन उपज का आयात भी घट गया है। 21 मार्च से मई के अंत तक तो वन उपज की आपूर्ति पूरी तरह बंद थी, लेकिन अब औसतन दो ट्रक वन उपज भारत आ रही है। इस वन उपज में कत्था, तेजपत्ता, रीठा, रोजिन, दालचीनी, सोंठ, तारपिन का तेल सहित अन्य प्रकार के मसाले एवं जड़ी-बूंटी शामिल हैं।
आयात घटने से लाखों रुपये का नुकसान
कस्टम अधीक्षक सीएस तिवारी बताते हैं कि आयात बंद होने से लाखों रुपये का नुकसान हुआ। जून माह में मालवाहक वाहनों के आवागमन में छूट से स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है। अब प्रतिदिन दो ट्रक माल आ रहा है। उनके मुताबिक आयात पर पांच से 18 फीसद तक कस्टम शुल्क प्राप्त होता है। आयात घटने से शुल्क में लाखों रुपये कमी आई है।