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संकट में साइकिलः अखिलेश की सुबह-सुबह बुलाई विधायकों की बैठक

मुलायम सिंह और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच एका का एक और प्रयास आज सिफर पर रुक गया हालांकि कहा जा रहा है कि सुलह का फार्मूला निकल आयेगा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 04 Jan 2017 10:09 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jan 2017 10:19 AM (IST)

लखनऊ (जेएनएन)। विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के समय ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवाद की पहचान साइकिल चुनाव चिह्न को बचाने के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच एका का प्रयास चल रहा था। इसका नतीजा सिफर ही रहा मगर कहा जा रहा है कि सुलह का फार्मूला निकल आयेगा। आज की बातचीत विफलस होने के बाद सीएम अखिलेश यादव ने कल विधायकों की बैठक बुलाई है। सुबह नौ बजे से बजे होने वाली विधायकों की इस बैठक में सपा घामासन और चुनावी तैयारी से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा होनी है।

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साइकिल चुनाव चिह्न बचाने की कवायद में मजबूत होता अखिलेश का नेतृत्व

राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग में साइकिल चिह्न के लिए पिटीशन दाखिल कर साफ कर दिया था कि समाजवादी पार्टी में अब दो धड़े हैं। एक की कमान मुलायम और दूसरे की अखिलेश के हाथ में है। इससे साइकिल चिह्न पर खतरा मंडराने लगा। साइकिल जब्त होने पर दोनों धड़ों की सियासी रफ्तार पर ग्रहण लगेगा। इससे परेशान मंत्री आजम खां ने बुधवार को नए सिरे से एका का प्रयास किया।

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दो बार मुलायम व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिले। मंत्री बलराम भी सामने आये। पिता अभयराम यादव की डांट के बाद सांसद धर्मेन्द्र यादव भी विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर मुलामय से मिलने पहुंचे। वैचारिक मतभेद दूर करने व गलतियां भुलाने की मुलायम से मनुहार की। इन लोगों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी सुलह का फार्मूला सुझाया। मगर कोई नतीजा नहीं दिखा। अलबत्ता होटल ताज में प्रवासी सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने परिवार में एका व चुनाव पर पूछे गए सवालों पर कहा कि मुझे नेताजी ने मुख्यमंत्री बनाया था, मैं समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाता रहूंगा। उनके दार्शनिक जवाब का एक अर्थ यह भी निकलता है कि बात अभी बनी नहीं है।

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सूत्रों का कहना है कि दल के अंदर एका के प्रयासों के बीच देश के एक प्रभावशाली राजनीतिक ने भी दोनों धड़ों का नेतृत्व करने वालों को सुलह का फार्मूला सुझाया है। जिसमें विवादित लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने व समाजवादी पार्टी को मजबूत रखने का सुझाव दिया है। यह प्रयास रंग ला भी सकता है क्योंकि वह दोनों धड़ों में प्रभाव रखते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक उलमा पार्टी की मजबूती के नाम पर दूत की भूमिका रहे हैं। हालांकि राजद प्रमुख लालू यादव का एका प्रयास विफल हो चुका है।

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डिगने लगे नेता

सपा में दो धड़े होने और दोनों की मुख्तलिफ रणनीति होने के चलते चुनावी अखाड़े में कूदने को तैयार योद्धा खासे परेशान हैं। इनमें से कुछ ने बुधवार को मुलायम सिंह से मुलाकात कर और कुछ लोगों ने भेंट की और एका का सुझाव दिया। कई नेताओं ने कहा कि अगर दो धड़े बने रहे तो परिणाम खराब आयेंगे।

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