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देश और विदेश में रचनाकारों ने बढ़ाया हिंदी का मान, विश्व हिंदी दिवस पर इन्हें मिला सम्मान

विश्व हिंदी दिवस पर भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद तथा प्रज्ञा साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सीएमएस इंदिरा नगर में गौरीशंकर वैश्य विनम्र महेशचन्द्र सकलानी डॉ कुलदीप नारायण सक्सेना डॉ उषा वाजपेई ई. कांति कुमार धुरेन्द्र स्वरूप बिसारिया धनसिंह मेहता अनजान तथा अखिलेश निगम को सम्मानित किया गया।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 10:50 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 10:50 PM (IST)
विश्व हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी रचनाकारों को किया गया सम्मानित।

लखनऊ, जासं।  विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद तथा प्रज्ञा साहित्य परिषद के संयुक्त तत्त्वावधान में सिटी मान्टेसरी स्कूल, इंदिरा नगर में सोमवार को साहित्यकार सम्मान समारोह तथा कवि-गोष्ठी का आयोजन हुआ। गौरीशंकर वैश्य ''''विनम्र'''', महेशचन्द्र सकलानी, डॉ कुलदीप नारायण सक्सेना, डॉ उषा वाजपेई, ई. कांति कुमार, संस्था के उपाध्यक्ष धुरेन्द्र स्वरूप बिसारिया, धनसिंह मेहता ''''अनजान'''' तथा अखिलेश निगम को सम्मानित किया गया। साथ ही प्रज्ञा साहित्य परिषद ने अन्य क्षेत्रों में कार्य करते हुए भी हिंदी के विकास में अमूल्य योगदान करने के लिए धुरेन्द्र स्वरूप बिसारिया को प्रज्ञा शिरोमणि, डाॅ डी एस शुक्ल को प्रज्ञा विभूषण तथा डाॅ अमिता दुबे को प्रज्ञा सिंधु सम्मान से विभूषित किया। ''''जागृति उद्घोष'''' उपन्यास के लिए अलका प्रमोद, ''''काव्य मकरंद'''' के लिए निर्भय नारायण गुप्त ''''निर्भय'''' तथा ''''अभिलाषा अंतस की'''' के लिए प्रतिभा गुप्ता को प्रज्ञा सम्मान दिया गया।

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समारोह के मुख्य अतिथि दूरदर्शन के सहायक निदेशक- कार्यक्रम आत्म प्रकाश मिश्र ने लेखकों-कवियों को भारतीय संस्कृति की महानता के गौरवगान के लिए प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने हिंदी प्रयोग में हीन भावना से ग्रस्त न होने के लिए युवाओं को सचेत भी किया। पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी ने अध्यक्षता की। कार्यक्रम के अंत में लगभग वरिष्ठ कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं।

हिंदी भाषा पर किया गर्वः विश्व हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी के रचनाकारों ने हिंदी भाषा की महत्ता बताई। देश और दुुनिया को जोड़े रखने में हिंदी के अनूठे योगदान से परिचय कराया। विश्व में दिनों दिन बढ़ रही हिंदी की धाक के लिए रचनाकारों को सम्मानित किया गया। इसी तरह से हिंदी भाषा का परचम देश और दुनिया में फहराते।


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