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Fake Encounter Case in Bareilly: आइपीएस जे रवींद्र गौड़ को राहत, सीबीआइ की रिवीजन अर्जी खारिज

जून 2007 को बदायुं के रहने वाले दवा व्यवसायी मुकुल गुप्ता की बरेली पुलिस ने रुकुमपुर माधवपुर रेलवे स्टेशन थाना फतेहगंज के पश्चिमी क्षेत्र में फर्जी मुठभेड़ दिखाकर हत्या कर दी थी। जिसकी एफआइआर मृतक के पिता बृजेंद्र कुमार गुप्ता की अर्जी पर अदालत के आदेश से दर्ज हुई थी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 06:43 AM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 08:32 AM (IST)
वर्ष 2007 में बरेली के दवा व्यवसायी मुकुल गुप्ता का फर्जी एनकाउंटर का मामला।

लखनऊ, [अम्बरीष श्रीवास्तव]। बरेली के दवा व्यवसायी मुकुल गुप्ता का फर्जी एनकाउंटर करने के कथित मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक जे रवींद्र गौड़ के खिलाफ दाखिल रिवीजन अर्जी खारिज कर दी है। जे रवींद्र गौड़ इस समय गोरखपुर के डीआइजी हैं। यह अर्जी सीबीआई ने दाखिल की थी। इस अर्जी में सीबीआइ की निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। 21 जुलाई, 2020 को सीबीआई की निचली अदालत ने फर्जी एनकाउंटर के इस मामले में गौड़ के खिलाफ आरोप पर संज्ञान लेने से इंकार कर दिया था। विशेष जज प्रेम प्रकाश ने निचली अदालत के इस आदेश को वाजिब करार दिया। कहा कि पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि आरोप पत्र में जे रवींद्र गौड़ का नाम नान चार्जशीटेड कॉलम में अंकित किया गया है। लिहाजा उसके आदेश में हस्तक्षेप की कोई आवश्यक्ता नहीं है।

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नौ पुलिस वालों के खिलाफ दाखिल हुआ था आरोप पत्र

26 अगस्त, 2014 को सीबीआइ ने इस फर्जी इनकाउंटर के मामले में नौ पुलिस वालों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। जिसमें एसआइ देवेंद्र कुमार, विकास सक्सेना, मूला सिंह व एसआइ राकेश कुमार के अलावा कांसटेबिल गौरीशंकर, जगबीर सिंह, बृजेंद्र शर्मा, अनिल शर्मा व कांसटेबिल कालीचरण को आरोपी बनाया गया था। लेकिन शासन से अभियोजन अनुमति के अभाव में मुल्जिम जे रवींद्र गौड़ के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी थी।

शासन ने नहीं दी थी गौड़ के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी : 24 सितंबर, 2013 को शासन ने गौड़ के खिलाफ मांगी गई अभियोजन अनुमति को खारिज कर दिया था। जिस पर मृतक मुकुल गुप्ता के पिता बृजेंद्र कुमार गुप्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 27 मई, 2014 को हाईकोर्ट ने शासन को अपने निर्णय पर पुर्नविचार करने को कहा। लेकिन 21 नवंबर, 2014 को शासन ने एक बार फिर से अभियोजन की अनुमति खारिज कर दी। तब बृजंेद्र कुमार गुप्ता एक बार फिर से हाईकोर्ट गए। 26 फरवरी, 2014 को हाईकोर्ट ने शासन के आदेश को निरस्त कर दिया। कहा कि जे रवींद गौड़ के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी आवश्यक है अथवा नहीं इसका फैसला उचित स्तर पर खुद संबधित अदालत करेगी। हाईकोर्ट के इस आदेश को गौड़ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। चार अपै्रल, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के उक्त आदेश की पुष्टि कर दी। लेकिन साथ ही दौरान विचारण गौड़ की गिरफ्तारी पर रोक भी लगा दी।

सीबीआइ की निचली अदालत ने आरोप पत्र पर लिया था संज्ञान : सीबीआइ की निचली अदालत ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के मद्देनजर व पत्रावली पर मौजूद तथ्यों के अवलोकन से फर्जी इनकाउंटर के इस मामले में बरेली के तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक जे रवींद्र गौड़ व तत्कालीन कांसटेबिल गौरीशंकर विश्वकर्मा एवं जगबीर सिंह के खिलाफ गैरइरादतन हत्या, आपराधिक षडयंत्र रचने, मिथ्या साक्ष्य व एनकाउंटर की झूठी कहानी बनाने के आरोप में संज्ञान लिया था। जबकि तत्कालीन एसआइ देवेंद्र कुमार शर्मा, विकास सक्सेना, मूला सिंह व एसआई आरके गुप्ता के अलावा कांसटेबिल वीरेंद्र शर्मा व अनिल कुमार के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने, मिथ्या साक्ष्य व इनकाउंटर की झूठी कहानी बनाने के आरोप में संज्ञान लिया था साथ ही इस मामले के एक अभियुक्त कांसटेबिल कालीचरण की मौत के चलते उसके विरुद्ध मुकदमे की कार्यवाही खत्म कर दी थी।

जे रवींद्र गौड़ के मामले में फिर से सुनवाई का हुआ आदेश : सीबीआइ की निचली अदालत के इस आदेश को जे रवींद्र गौड़ ने रिवीजन अर्जी के जरिए सत्र अदालत में चुनौती दी। नौ अपै्रल, 2018 को सीबीआइ की सत्र अदालत ने अभियुक्त गौड़ की अर्जी को मंजूर कर लिया और सीबीआइ की निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही निचली अदालत को निर्देश दिया था कि वह गौड़ को प्रर्याप्त व उचित अवसर देते हुए उनके मामले की फिर से सुनवाई करे। यदि वह अभियुक्त गौड़ के खिलाफ इस मामले को सत्र अदालत में सुपुर्द करने योग्य पाता है, तब सीआरपीसी की धारा 207 का अनुपालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के मद्देनजर सत्र अदालत को सुपुर्द करे। उन्होंने इसके साथ ही अभियुक्त जे रवींद्र गौड़ की पत्रावली अलग कर निचली अदालत को भेजने का आदेश दिया था।

यह है मामला : 30 जून, 2007 को बदायुं के रहने वाले दवा व्यवसायी मुकुल गुप्ता की बरेली पुलिस ने रुकुमपुर, माधवपुर रेलवे स्टेशन थाना फतेहगंज के पश्चिमी क्षेत्र में फर्जी मुठभेड़ दिखाकर हत्या कर दी थी। जिसकी एफआइआर मृतक के पिता बृजेंद्र कुमार गुप्ता की अर्जी पर अदालत के आदेश से दर्ज हुई थी। उन्होंने अपनी अर्जी में बरेली के तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक जे रवींद्र गौड़ समेत अन्य पुलिस वालों को अभियुक्त बनाया था। उनका आरोप था कि आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्राप्त करने के लिए गौड़ ने इस कार्य की योजना बनाई थी। लेकिन इस मामले की जांच गलत दिशा में होने का आरोप लगाकर उन्होंने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए 26 फरवरी, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी।


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