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Plasma Bank: केजीएमयू में बनेगा देश का सबसे बड़ा प्लाज्मा बैंक, मरीजों को म‍िलेगा ये फायदा

Plasma Bank 800 यूनिट से अधिक होगी संग्रह क्षमता। विवि में जरूरी संसाधन पहले से हैं उपलब्ध।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 05:46 PM (IST)
Plasma Bank: केजीएमयू में बनेगा देश का सबसे बड़ा प्लाज्मा बैंक, मरीजों को म‍िलेगा ये फायदा
Plasma Bank: केजीएमयू में बनेगा देश का सबसे बड़ा प्लाज्मा बैंक, मरीजों को म‍िलेगा ये फायदा

लखनऊ, (संदीप पांडेय)। कोरोना के लगातार बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रदेश में अब प्लाज्मा थेरेपी को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए केजीएमयू में देश का सबसे बड़ा प्लाज्मा बैंक बनेगा। केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) के शताब्दी भवन स्थित ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में प्लाज्मा संग्रह यूनिट संचालित हो रही है। इसमें कोरोना को हरा चुके 21 योद्धा अब तक प्लाज्मा दान कर चुके हैं। वहीं, 14 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया भी जा चुका है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब प्लाज्मा बैंक बनाने का निर्णय लिया गया है। विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक यहां के प्लाज्मा बैंक की क्षमता दिल्ली और महाराष्ट्र के अस्पतालों से अधिक होगी। इसमें 830 यूनिट प्लाज्मा संग्रह किया जा सकेगा। यह देश का सबसे बड़ा प्लाज्मा बैंक होगा।

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राज्य में डोनर की भरमार

राज्य में शुक्रवार तक 47 हजार 114 मरीज कोरोना की चपेट मेें आए थे। इनमें से 28,664 लोग कोरोना से जंग जीत चुके हैं। इसलिए बड़ी संख्या में लोग प्लाज्मा का दान कर सकते हैैं।

एक दिन में 120 लोग कर सकेंगे प्लाज्मा दान

केजीएमयू के बैंक में एक दिन में 120 लोग प्लाज्मा दान कर सकेंगे। इसके लिए यहां पर पांच एफेरेसिस मशीनें लगी हैं। इनका लाइसेंस भी मिला हुआ है। एक व्यक्ति से प्लाज्मा संग्रह करने में करीब एक घंटे का वक्त लगता है। मशीन के जरिये व्यक्ति का सिर्फ प्लाज्मा ही लिया जाता है। शेष रक्त के अवयव उसके शरीर में वापस चले जाते हैं। ऐसे में डोनर दो हफ्ते बाद दोबारा प्लाज्मा दान कर सकता है।

एक वर्ष तक सुरक्षित रहेगा प्लाज्मा

डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक प्लाज्मा को माइनस 40 डिग्री तापमान पर रखा जाता है। यहां अभी एक डीप फ्रीजर है, जिसमें 30 यूनिट प्लाज्मा संग्रह किया जा सकता है। वहीं, दो डीप फ्रीजर का ऑर्डर और भेजा जा चुका है। इनमें 400-400 यूनिट प्लाज्मा एक वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। संस्थान में अन्य संसाधन पहले से ही उपलब्ध हैं।

प्लाज्मा ऐसे करता है असर

कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में आइजीजी एंटीबॉडी बन जाती हैं। ऐसे में प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी को गंभीर मरीजों में चढ़ाया जाता है। यह एंटीबॉडी कोरोना वायरस के खिलाफ काम करती हैं। गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने में मददगार बनती हैं। कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के परिणाम सार्थक मिल रहे हैं।

कौन कर सकता है प्लाज्मा दान

  • कोरोना से ठीक हो चुके मरीज डिस्चार्ज होने के 14 दिन बाद
  • ऐसे मरीज, जिनमें जांच के बाद एंटीबॉडी मौजूद मिले
  • मरीजों की उम्र 18 वर्ष से 65 वर्ष के बीच हो
  • 14 दिन बाद दोबारा प्लाज्मा दान किया जा सकता है
  • एक बार में 500 एमएल प्लाज्मा निकाला जाता है।

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