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स्कूल में क्वारंटाइन मजदूर को नहीं मिला इलाज, एंबुलेंस में हुई मौत-ACMO करेंगे मामले की जांच

लखनऊ परिवारजन का आरोप बलरामपुर अस्पताल में दो घंटे तक भर्ती नहीं किया मरीज सीएमओ ने कहा मामला गंभीर एसीएमओ करेंगे जांच।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 07:58 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 07:17 AM (IST)
स्कूल में क्वारंटाइन मजदूर को नहीं मिला इलाज, एंबुलेंस में हुई मौत-ACMO करेंगे मामले की जांच

लखनऊ, जेएनएन।  45 वर्षीय मजदूर मुंबई से गांव लौटा था। ऐसे में उसे प्राइमरी स्कूल में क्वारंटाइन किया गया। रविवार को हालत बिगड़ने पर उसे बलरामपुर अस्पताल रेफर किया गया। अारोप है कि दो घंटे तक मरीज एंबुलेंस में ही तड़पता रहा। उसकी मौत हो गई। वहीं घंटों शव मच्र्युरी में रखने को लेकर आनाकानी होती रही।

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नगराम के बहराैली गांव निवासी ताज मोहम्मद (45) मुंबई में बर्तन फैक्ट्री में काम करते थे। भतीजे फैज मोहम्मद के मुताबिक 10 मई को वह गांव लौटे। यहां उन्हें प्राइमरी स्कूल में क्वारंटाइन किया गया। आशा उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही थीं। तीन दिन पहले उन्हें हल्का बुखार, जुकाम हो गया। दवाएं दी गईं। वहीं शनिवार रात को बुखार तेज हो गया। सुबह सांस भी फूलने लगी। ऐसे में सुबहह नौ बजे उन्हें 108 एंबुलेंस से सीएचसी गोसाईगंज भेजा गया। यहां बलरामपुर अस्पताल रेफर के कागज डॉक्टर ने दिए। वहीं 11 बजे के करीब मरीज ताज मोहम्मद को लेकर एंबुलेंस बलरामपुर अस्पताल पहुंच गई। यहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर मरीज को भर्ती करने में आनाकानी करते रहे। वह इलाज से पल्ला झाड़ने के लिए मेडिकल कॉलेज जाने का दबाव बनाते रहे।

टेक्नीशियन ने घोषित किया मृत, बना डाले कागज

फैज मोहम्मद का आरोप है एंबुलेंस कर्मी ने अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को रेफर के कागज दिए। मगर भर्ती नहीं किया। वहीं एक बजे के करीब ताज मोहम्मद की मौत हो गई। एंबुलेंस में तैनात टेक्नीशियन ने मरीज के मौत की जानकारी दी। इस दौरान परिवारजनों ने हंगामा किया। आरोप है कि इस दौरान मौजूद डॉक्टर ने मरीज के कागज बना डाले। इसमें मेडिकल कॉलेज रेफर करने की बात कही।

तीन घंटे तक शव को लेकर बवाल

फैज के मुताबिक ताज मोहम्मद की मौत के बाद तीन घंटे तक शव को हैंडओवर नहीं किया गया। कारण संदिग्ध मरीज में कोरोना की जांच के बाद ही अंतिम संस्कार िकया जाना था। इस दौरान शव एंबुलेंस में ही पड़ा रहा। करीब चार बजे के करीब शव मचुर्यरी में शव रखा गया।

मुंबई से डाला से आया था मरीज

फैज के मुताबिक ताज माेहम्मद ने मुंबई में कोरोना की जांच कराई थी। इसी को देखकर डाला वाले ने उन्हें बैठाया था। इसी पर वह 10 मई को लौटे थे। इसके बाद गांव के स्कूल में उन्हें क्वारंटाइन कराया गया। रविवार को उनका क्वांरटाइन का पीरियड पूरा हो रहा था। मगर, तबियत खराब हाेने से शनिवार को उनका सैंपल लिया गया, जिसे जांच के लिए भेजा गया है।

पीजीआइ में ढाई घंटे भर्ती के लिए तड़पा काेरोना मरीज

अंबेडकर नगर निवासी मरीज निजी अस्पताल में भर्ती था। रविवार को उसमें कोरोना की पुष्टि होने पर पीजीआइ रेफर किया गया। डेढ़ बजे एंबुलेंस मरीज को लेकर कोविड अस्पताल पहुंची। यहां चार बजे तक वह एंबुलेंस में ही पड़ा तड़पता रहा। अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने में यह अव्यवस्था मरीजों की िजंदगी पर भारी पड़ रही है।

क्या कहते हैं अफसर

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने कहा कि परिवारजनों के आरोप निराधार हैं। उसकी हालत गंभीर थी। मरीज को भर्ती किया गया। वहीं कर्मचारी के आने में कुछ देर हुई। इससे शव मच्र्युरी में रखने में थोड़ी देर लग गई। उधर, पीजीआइ निदेशक डॉ. आरके धीमान का फोन रिसीव नहीं हुआ। सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवालने कहा कि मामला गंभीर है। मरीज की भर्ती क्यूं नहीं हुई। इसकी जांच कराई जाएगी। एसीएमओ के नेतृत्व में कमेटी बनेगी, तो तीन दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।


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