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कोरोना की दहशत ने बहाई डिजिटल लर्निंग की बयार, सरकारी संस्थानों ने भी लगाया ऑनलाइन शिक्षा को गले

Coronavirus ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 05:59 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 07:04 AM (IST)
कोरोना की दहशत ने बहाई डिजिटल लर्निंग की बयार, सरकारी संस्थानों ने भी लगाया ऑनलाइन शिक्षा को गले
कोरोना की दहशत ने बहाई डिजिटल लर्निंग की बयार, सरकारी संस्थानों ने भी लगाया ऑनलाइन शिक्षा को गले

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। सूचना प्रौद्योगिकी का विस्फोट हुए दो दशक से ज्यादा समय बीतने के बाद भी उत्तर प्रदेश में जो ऑनलाइन शिक्षा रेंग रही थी, कोरोना संक्रमण की दहशत ने यकायक उसे रफ्तार दे दी है। शिक्षा के क्षेत्र में कोरोना का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट तो यही रहा कि अब तक डिजिटल लर्निंग से कन्नी काटते आये सरकारी शिक्षण संस्थानों ने भी वक्त के तकाजे से इसे आत्मसात कर लिया है। स्कूल-कॉलेज भले बंद हों लेकिन परिषदीय विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों की परंपरागत कक्षाएं अब ई-पाठशाला में तब्दील हो चुकी हैं। ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है।

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उत्तर प्रदेश के एक लाख से अधिक परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों और अभिभावकों के वाट्सएप ग्रुप बनाये गए हैं, जिनके माध्यम से तकरीबन 30 लाख बच्चों की ऑनलाइन क्लास ली जाती है। मिशन प्रेरणा की वेबसाइट पर नॉलेज सेंटर तैयार किया गया है, जिसमें टीचर व सटूडेंट कार्नर के माध्यम से शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षण सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है। वहीं दो लाख शिक्षक मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से तैयार किये गए दीक्षा एप के माध्यम से बच्चों को शैक्षिक सामग्री सुलभ करा रहे हैं।

शिक्षकों और बच्चों तक शैक्षिक वीडियो ऑनलाइन मुहैया कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मिशन प्रेरणा यू-ट्यूब चैनल चलाया जा रहा है जिसका पिछले दो हफ्ते में ढाई लाख लोगों ने उपयोग किया। सोशल मीडिया पर ट्विटर हैंडल और फेसबुक के जरिये ई-पाठशाला अभियान का संचालन किया जा रहा है। रामपुर, मऊ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, भदोही, अलीगढ़ और अयोध्या जैसे जिले ई-कंटेंट का उपयोग करने में अग्रणी हैं। इसके अलावा आकाशवाणी और दूरदर्शन पर भी शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण 18 अप्रैल से शुरू हो चुका है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी वाट्सएप वर्चुअल क्लास संचालित करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं। वहीं उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की निर्बाध पढ़ाई के लिए शिक्षकों ने अब तक 93,652 ई-कंटेंट तैयार कर विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की वेबसाइट पर अपलोड किये गए हैं। सूबे में अब तक 6.8 लाख विद्यार्थियों ने इनका उपयोग किया।

उत्तर प्रदेश के 12 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लास टाइम टेबल विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों की वेबसाइट पर प्रदर्शित किये। इसके फलस्वरूप कुल 2.65 लाख से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हुई हैं, जिनमें रोजाना औसतन 1.68 लाख विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। ऑनलाइन पढ़ाई के साथ कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अब तक कुल 11.41 लाख से ज्यादा छात्रों, शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारी आरोग्य सेतु एप से जुड़ चुके हैं।

शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि कोरोना संकट के बहाने ही सही, यह आपदा प्रदेश में ऑनलाइन शिक्षा के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई है।

बिना परीक्षा प्रमोट हुए विद्यार्थी

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण परीक्षा न हो पाने की वजह से परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के 1.6 करोड़ बच्चों के साथ यूपी बोर्ड से संचालित सभी स्कूलों में कक्षा छह, सात, आठ, नौ और 11 के सभी विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट करने का अभूतपूर्व निर्णय लेना पड़ा।


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