Coronavirus Effect : यूपी में कोरोना के खौफ से लॉकडाउन के दौरान घटी सिजेरियन डिलीवरी
पहले लगभग हर दूसरी गर्भवती महिला की सिजेरियन डिलीवरी होती थी। कोरोना के खौफ और सख्त प्रोटोकॉल के चलते गायनोकोलोजिस्ट ने सिजेरियन डिलीवरी काफी कम कर दी है।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना काल में बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। प्रसव के मामले में ऐसा ही है। लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में विभिन्न जिलों निजी और सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में काफी कमी आई है। पहले लगभग हर दूसरी गर्भवती महिला की सिजेरियन डिलीवरी होती थी। कोरोना के खौफ और सख्त प्रोटोकॉल के चलते गायनोकोलोजिस्ट ने सिजेरियन डिलीवरी काफी कम कर दी है। इससे प्रसूता व उनके स्वजनों को काफी राहत मिली है। समय और पैसा दोनों बच रहे हैं। लॉकडाउन में प्रसव के आंकड़ों से स्पष्ट है कि सामान्य और परंपरागत प्रसव की संख्या बढ़ी है। कुछ स्थानों में तो जिन दंपती को पूर्व में उनके चिकित्सक ने सिजेरियन की सलाह दी थी, वहां भी नॉर्मल डिलीवरी हुई।
गोरखपुर जिले में लॉकडाउन में नार्मल डिलीवरी की संख्या बढ़ी है। 60 फीसद नार्मल तो 40 फीसद सिजेरियन हुए। जिला महिला अस्पताल में शहर की जो गर्भवती पहुंचीं उनमें 60 फीसद की डिलीवरी नार्मल हुई। वाराणसी समेत पूर्वांचल के गाजीपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ, जौनपुर, भदोही, सोनभद्र, मीरजापुर व चंदौली में कोरोना संक्रमण के दौरान सिजेरियन की तुलना में नार्मल डिलीवरी की संख्या अधिक रही। कुछ जिले में नार्मल प्रसव अस्सी फीसद तक रहा।
वाराणसी में लाकडाउन के दौरान 3309 नार्मल डिलीवरी व 398 सिजेरियन। मीरजापुर में 1126 नार्मल डिलीवरी, 374 सिजेरियन। आजमगढ़ में 2421 नार्मल प्रसव, 827 ऑपरेशन। सोनभद्र मेें 4687 नार्मल प्रसव, 2743 ऑपरेशन से। भदोही में 2432 सामान्य डिलीवरी, 537 ऑपरेशन। जौनपुर में 1166 सामान्य डिलीवरी , 411 ऑपरेशन से जबकि गाजीपुर में 540 सामान्य प्रसव, 190 ऑपरेशन हुए। प्रयागराज में कोरोना काल में प्रसव के मामले में भय की स्थिति कम ही नजर आई। जिला महिला अस्पताल में पिछले तीन माह में आकड़े बताते हैैं कि सिजेरियन प्रसव ज्यादा हुए। मार्च से मई के बीच कुल 695 प्रसव हुए, जिसमें 411 सिजेरियन और 284 प्रसव नार्मल हुए।
मेरठ में लॉकडाउन में सिजेरियन डिलीवरी में कमी आई है। सहारनपुर में कोरोना की शुरुआत से पहले के तीन महीने में 2166 सामान्य प्रसव और 873 सिजेरियन हुए। बागपत में 21 सिजेरियरन जबकि, 92 नार्मल डिलीवरी हुईं। मुजफ्फरनगर में कोरोनाकाल मे लॉकडाउन के दौरान 90 प्रतिशत नार्मल डिलीवरी हुई हैं। शामली में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अप्रैल से जून माह तक कुल 580 डिलीवरी हुई और इनमें से दो ही सिजेरियन हुई।
अलीगढ़ में निजी अस्पतालों की पड़ताल में सामने आया है कि अप्रैल से जून माह के दौरान अधिकतर गर्भवतियों के नॉर्मल डिलीवरी से ही बच्चे पैदा हुए। सख्त प्रोटोकॉल व संक्रमण के डर से नाममात्र के ही सिजेरियन हुए। ऐसे दंपती जिन्हेंं पूर्व में उनकी डॉक्टर ने सिजेरियन की सलाह दी थी, वहां भी नॉर्मल डिलीवरी हुई। जिन्हें ज्यादा जरूरत थी, उन्हें रेफर कर दिया गया। इससे महिला अस्पताल में सिजेरियन दोगुने हो गए। पिछले साल जहां एक अप्रैल से 20 जून तक 1691 नॉर्मल व 88 सिजेरियन डिलीवरी हुई, वहीं इस वर्ष 1538 नॉर्मल व 116 सिजेरियन डिलीवरी हुई। सीएमएस डॉ. जेपी शर्मा का कहना है कि निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी नहीं हुईं। इसलिए हमारे यहां संख्या बढ़ गई है। ये गर्भवती गंभीर स्थिति में लाई गईं थीं।
फीरोजाबाद में 675 महिलाओं की डिलीवरी कराई गई है। इसमें से 95 की सिजेरियन शेष नॉर्मल डिलीवरी हुई हैं। मैनपुरी के जिला महिला अस्पताल में इस दौरान 542 सामान्य प्रसव किए गए। विशेष परिस्थिति में ही सिजेरियन डिलीवरी कराई गईं। आगरा, एटा, कासगंज व मथुरा आदि में भी नॉर्मल डिलीवरी बढ़ी हैं।
मुरादाबाद में इस वर्ष मार्च से अब तक नार्मल डिलीवरी 18,581 और सिजेरियन 1, 376 हुईं। मई माह में सर्वाधिक नार्मल डिलीवरी हुईं। अमरोहा में लॉकडाउन के बाद के अप्रैल व मई में 1337 नॉर्मल व 46 सिजेरियन डिलीवरी हुईं। सम्भल में सिजेरियन डिलीवरी का एक भी मामला नही है। रामपुर में जिला महिला अस्पताल में अप्रैल से जून में 403 महिलाओं की डिलीवरी नार्मल हुई, जबकि पौने तीन माह में 113 महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन हुईं। बरेली में भी संस्थागत डिलीवरी के मामले में काफी कमी आई है।