येलो फीवर वैक्सीनेशन के लिए कोरोना टेस्ट अनिवार्य, सप्ताह में तीन दिन लगेगी
लखनऊ के मेडिकल कॉलेज केजीएमयू में केजीएमयू में येलोफीवर वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। इसके लिए कोरोना टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में यात्रियों को निर्देश दिए गए हैं कि वैक्सीनेशन के तय दिवसों में कोरोना रिपोर्ट साथ लेकर पहुंचे।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में येलोफीवर वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। इसके लिए कोरोना टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में यात्री वैक्सीनेशन के तय दिवसों में कोरोना रिपोर्ट साथ लेकर पहुंचे। वहीं वैक्सीन सप्ताह में तीन दिन लगेगी। दरअसल, अफ्रीकी देशों में यात्रा से पहले येलो फीवर का वैक्सीनेशन अनिवार्य है। इसके लिए देश में केजीएमयू समेत 44 सेंटर बनाए गए हैं। वहीं, केजीएमयू को यूपी के साथ-साथ उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, नेपाल का नोडल सेंटर नामित किया गया। यहां सोमवार, गुरुवार व शनिवार को येेलोफीवर का वैक्सीनेशन किया जाता है।
लॉकडाउन में वैक्सीनेशन बंद कर दिया गया था। अगस्त में शुरू किया गया। मगर, कई स्टाफ में कोरोना हो जाने से सितंबर भर वैक्सीनेशन बंद रहा। एसपीएम विभाग के अध्यक्ष डॉ. जमाल मसूद के मुताबिक अक्टूबर में वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया है। इसके लिए कोरोना टेस्ट रिपोर्ट लाना अनिवार्य है। एक वायल में दस-दस लोगों के ग्रुप को वैक्सीन लगाई जाएगी। पहले एक वायल से पांच लोगों को डोज लगाई जाती थी।
यहां यात्र से पहले वैक्सीन जरूरी नाइजीरिया, इजिप्ट, साउथ अफ्रीका, अल्जीरिया, केन्या, इथोपिया, ट्यूनेशिया, घाना, सुडान, लीबिया, युगांडा समेत आदि अफ्रीकी देशों की यात्रा से पहले संबंधित सेंटरों पर येलो फीवर का वैक्सीन लगवाना जरूरी है। सेंटर से जारी वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र दिखाने पर ही आपको इन देशों की यात्रा करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। एयरपोर्ट पर यह चेक किया जाता है, ताकि यात्रा कर रहें व्यक्ति को किसी प्रकार से यलो फीवर जैसी बीमारी के चपेट में न आ सकें।
क्या है येलो फीवर
येलो फीवर (पीत ज्वर) की समस्या कर्क व मकर रेखाओं के बीच स्थित अफ्रीकी देशों में पाई जाती है। येलो फीवर इन देशों में संक्रामक रोग माना जाता है, जो तीव्र गति से लोगों में फैलता है। इस रोग का कारण एक सूक्ष्म विषाणु है, जो कि ईडीस ईजिप्टआइ मच्छर के काटने से होता है। इससे बचने के लिए सरकार ने इन देशों की यात्रा से पहले वैक्सीनेशन अनिवार्य कर दिया है।