केजीएमयू: कर्मियों ने सीएमएस-रजिस्ट्रार को बनाया बंधक, बोले- वेतन बढ़ोतरी व ठेका प्रथा हो खत्म
केजीएमयू: वेतन बढ़ोतरी व ठेका प्रथा खत्म करने की माग की। प्रो. शखवार बोले, सरकार की नीतियों के अनुरूप कर्मचारियों को लाभ दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे। इसके बाद कर्मचारी शात हुए।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। केजीएमयू में आउटसोर्सिग पर काम कर रहे करीब छह हजार कर्मचारियों ने ठेका प्रथा खत्म करने और वेतन बढ़ाने की माग को लेकर गुरुवार शाम करीब पाच बजे प्रदर्शन किया। नाराज कर्मचारियों ने रजिस्ट्रार राजेश राय और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एसएन शखवार को उनके कार्यालय में बंधक बना लिया। इसके बाद कार्यालय का गेट बंद कर कर्मचारी जमीन पर बैठ गए और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिग/संविदा कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के आह्वान पर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल व प्रदेश मंत्री मनीष कुमार मिश्र ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित वेतन समिति में केजीएमयू के रजिस्ट्रार व सीएमएस को सदस्य बनाया गया था, लेकिन न तो कर्मचारी संघ से वार्ता की गई और न ही 15 दिन बीतने के बावजूद कोई कार्रवाई शुरू हुई। प्रदेश के कई चिकित्सालयों में एनआरएचएम द्वारा विभागीय संविदा पर कर्मचारी कार्यरत हैं उन्हीं की भाति यहा पर भी आउटसोर्सिग खत्म कर संविदा पर नौकरी पर कर्मचारियों को रखा जाए। कर्मचारियों को सेवा प्रदाता कंपनी ईपीएफ भी नहीं देती और उत्पीड़न करती है। उन्होंने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 18 हजार रुपये मासिक वेतन और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 25 हजार रुपये मासिक वेतन देने की माग की। फिलहाल हंगामे व नारेबाजी के बीच अधिकारियों ने कर्मचारियों से वार्ता की पेशकश की। इसके बाद केजीएमयू के सीएमएस प्रो. एसएन शखवार को कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपा। प्रो. शखवार ने भरोसा दिलाया कि वह सरकार की नीतियों के अनुरूप कर्मचारियों को लाभ दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे। इसके बाद कर्मचारी शात हुए। सुस्त सर्वर और जाम ने मरीजों को रुलाया:
केजीएमयू के ओपीडी ब्लाक के बाहर गुरुवार को लंबा जाम लग गया। इसके कारण स्ट्रेचर व व्हीलचेयर पर इलाज करवाने आए मरीजों को परेशान होना पड़ा। बेतरतीब ढंग से खड़े किए गए वाहनों के कारण करीब दो घटे तक जाम लगा रहा। वहीं सर्वर की रफ्तार सुस्त होने के कारण उनका पर्चा नहीं बन पा रहा था। ऐसे में मरीज परेशान हुआ और जो कर्मचारी उन्हें विभिन्न विभागों की ओपीडी में दिखाने के लिए ले जा रहे थे वह छोड़कर भाग गए। इसके बाद जैसे-तैसे तीमारदारों ने उन्हें दिखाया। दूसरी ओर बाहरी जिलों से आए बड़ी संख्या में मरीज डॉक्टर को बिना दिखाए ही वापस हो गए। केजीएमयू की ओपीडी में रोजाना करीब सात से आठ हजार मरीज डॉक्टरों से इलाज करवाने आते हैं। वाहनों को खड़ा करने के लिए करीब 15 स्टैंड हैं और 300 से ज्यादा सुरक्षा गार्ड इन वाहनों को स्टैंड पर खड़ा करवाने के लिए तैनात हैं लेकिन इसके बावजूद स्टैंड से लेकर ओपीडी के बाहर तक बेतरतीब ढंग से खड़े वाहनों के कारण जाम लग गया। कई मरीज स्ट्रेचर पर ही घटों तड़पते रहे।