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ताजिए की कारीगरी में आकार लेता है रावण, चौक के राजू फकीरा करते हैं तैयार

राजू फकीरा का कहना है कि इस बार का रावण दहन हो तो बुराइयों के साथ हिंदू-मुस्लिम के बीच की खाई का भी अंत हो जाए।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 12:41 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 12:41 PM (IST)
ताजिए की कारीगरी में आकार लेता है रावण, चौक के राजू फकीरा करते हैं तैयार
ताजिए की कारीगरी में आकार लेता है रावण, चौक के राजू फकीरा करते हैं तैयार

लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। गोस्वामी तुलसीदास ने जब ऐशबाग में आम जनता के लिए रामचरितमानस के प्रसंगों को लेकर रामलीला का मंचन शुरू किया था और उस समय रावण दहन के लिए जिस परिवार ने पुतला बनाया था, आज भी उसी परिवार की पांचवीं पीढ़ी उस परंपरा को आगे बढ़ा रही है। ताजिए की कारीगरी में रावण को आकार देने वाले कारीगर दिन रात मेहनत करके पुतला बनाते हैं।

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परंपरा को आगे बढ़ाने वाले पांचवीं पीढ़ी के कारीगर राजू फकीरा ने बताया कि पिता फकीरा दास, बाबा मक्का दास, दादा नरायण दास ऐशबाग की रामलीला मैदान में रावण का पुतला बनाने का कार्य कर रहे हैं और पुतले का निर्माण दादा नारायण दास के पिता ने शुरू किया था। उस समय पेड़ की पतली डालियों से रावण का निर्माण किया जाता था। उन्होंने बताया कि बेगम हजरत महल पार्क में भी महावीर दल की ओर से आयोजित दशहरे में भी रावण बना चुके हैं।

बीच की खाई मिटा दे दशानन

वैसे तो पेंटर पप्पू हर साल रावण के पुतले को आकार देते हैं, लेकिन इस बार वह रावण के मुंह को एक साथ बनाकर एकता का संदेश दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार का रावण दहन हो तो बुराइयों के साथ हिंदूू-मुस्लिम के बीच की खाई का भी अंत हो जाए। मैं मुस्लिम होते हुए भी ऐसे धार्मिक आयोजनों में शिरकत करता हूं तो समाज के अन्य लोग क्यों नहीं कर सकते।अंतिम संस्कार की पूजा के बाद होता है दहन..1घर में रावण बनाने से पहले आस्था के देव के सामने बांस और औजारों की पूजा की जाती है, तब कार्य शुरू होता है। उसके बाद रामलीला मैदान में आकर जब पुतले का निर्माण शुरू करते हैं तो फिर बांस और आसन की पूजा-अर्चना होती है। रावण और मेघनाथ का ढांचा तैयार होने के बाद पतंगी कागज लगाया जाता है। दशहरे पर करीब तीन बजे मैदान में खड़ा होता है।

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परिवार के साथ बनाते हैं पुतला

राजू के भाई सुनील फकीरा और बेटा ऋषभ फकीरा के साथ रावण और मेघनाद के पुतले का निर्माण करते हैं। उन्होंने बताया कि मेरा ही परिवार मोहर्रम में ताजिया और दशहरे के लिए पुतला बनाता है। पांच पीढ़ियों से नूरबाड़ी में मुस्लिम आबादी के बीच रहते हुए ऐशबाग के रामलीला मैदान में रावण और मेघनाद के पुतले का निर्माण करते हैं। मोहर्रम के ताजिया बनाने के बाद एक माह पहले रावण का पुतला बनाना शुरू किया था। उन्होंने बताया कि दस सिर वाले रावण और मेघनाथ के छोटे हिस्से घर पर ही बना लिए थे। बड़े हिस्से करीब दस दिन से रामलीला मैदान पर ही बना रहे हैं।

इन इलाकों में मिलेगा पुतला

यदि आप अपने घर के आसपास रावण का पुतला जलाना चाहते हैं तो अपने इलाके के टिम्बर स्टोर से संपर्क करके रावण बनवा सकते हैं। रायबरेली रोड के उतरेटिया रेलवे पुल के पास तो रावण के पुतलों की मंडी लगती है। ऐशबाग रामलीला मैदान में शहर के सबसे ऊंचे 121 फीट के रावण के पुतले का निर्माण जारी है। पुतलों की ऊंचाई के अनुसार उनकी कीमत रखी गई है। उतरेटिया में सबसे छोटे (पांच फीट) के पुतले की कीमत 800 से 1000 रुपये है। ऑर्डर पर 20 फीट का पतला दो से छह हजार रुपये में तैयार किया जा रहा है। कलीम ने बताया कि कोई अपने घर के लिए पांच फीट का रावण ले जा रहा है, तो किसी को 20 फीट का सबसे बड़ा रावण पसंद आ रहा है। रावण का पुतला बना रहे त्रिवेणी नगर के सुनील पिछले छह वर्षो से यह काम कर रहे हैं। इसके अलावा डालीगंज, उतरेटिया ओवर ब्रिज, त्रिवेणीनगर सीतापुर रोड के अलावा टिम्बर स्टोर से संपर्क कर रावण बनवाया जा सकता है। निगोहा, नगराम और मोहनलालगंज में भी रावण तैयार हो रहे हैं।

यहां मिलेंगे पटाखे

रकाबगंज और यहियागंज में पटाखे की थोक दुकानों पर रावण के लिए पटाखा खरीदा जा सकता है। आइआइएम रोड के अलावा नगराम व गोसाईगंज क्षेत्र में भी लाइसेंसी पटाखा बनाने वाले कारीगरों से भी पटाखा खरीदा जा सकता है।


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