अब किसानों की सहभागिता से होगा गोमती का संरक्षण
गोमती किनारे बसे जिले के 41 गांवों के किसानों को पौधरोपण और जलीय फसलों की खेती के लिए किया जाएगा जागरूक।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। गोमती की सफाई और संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कुछ सुधार नहीं हो पा रहा है। जन सहभागिता के अभाव में कराह रही गोमती को बचाने के लिए अब किसानों की भागीदारी बढ़ाने की कवायद शुरू हो रही है। जीरो बजट में गोमती के संरक्षण का खाका तैयार कर रहे कृषि विभाग के अधिकारी 15 जून से अभियान शुरू करेंगे।
कंकरीट की दीवारों से गोमती की कटान को रोकने के बजाय प्राकृतिक संसाधनों को प्रयोग करना अधिक श्रेयस्कर होगा। पौधरोपण के साथ ही जलीय फसलों की खेती नदियों के मूलस्वरूप को बनाए रखने में कामयाब रहती है। प्राकृतिक जलस्रोतों को बचाने के प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी किसानों से बेहतर शायद ही कोई जान सकता है। किसानों के अनुभवों और कृषि विशेषज्ञों के समन्वय से गोमती संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाने की रणनीति जिला स्तर पर शुरू हो रही है।
गांव के प्रभारी होंगे अधिकारी
अभियान को गति देने के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के प्रभारी को योजना का नोडल अधिकारी बनाया गया है, जबकि हर गांव में जिला प्रशासन स्तर का एक अधिकारी किसानों को योजनाओं से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने के साथ ही गोमती संरक्षण की बारीकियों से परिचित कराएंगे। जिला कृषि अधिकारी ओपी मिश्रा ने बताया कि तटीय क्षेत्र के 41 गांवों में गोष्ठियों के साथ ही किसानों के हितों की योजनाओं के अलावा गुणवत्तायुक्त अनुदानित खाद व बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
क्या कहते हैं अफसर ?
उप कृषि निदेशक डॉ. सीपी श्रीवास्तव का कहना है कि गोमती संरक्षण के लिए जन सहभागिता बढ़े, इसके लिए कोई अतिरिक्त बजट नहीं रखा गया है। किसानों को कृषि व पशुपालन जैसे विभागों की योजनाओं का लाभ दिलाकर अभियान से जोड़ा जाएगा। राजधानी ही नहीं, गोमती नदी के तटीय क्षेत्रों के गांवों के किसान अभियान में शामिल होंगे।