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Mission -2019 : UP में ब्राह्मणों को साधने के लिए कांग्रेस का जितिन प्रसाद पर दांव

जितिन को मिली तरजीह को ब्राह्मणों में पकड़ बढ़ाने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है। मानना है प्रदेश की सत्ता से 28 वर्ष का वनवास समाप्त करने को पुराने वोटबैंक की वापसी जरूरी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 03:32 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 03:32 PM (IST)
Mission -2019 : UP में ब्राह्मणों को साधने के लिए कांग्रेस का जितिन प्रसाद पर दांव
Mission -2019 : UP में ब्राह्मणों को साधने के लिए कांग्रेस का जितिन प्रसाद पर दांव

लखनऊ (जेएनएन)। मिशन-2019 में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने की तैयारियों में जुटी कांग्रेस अपने पुराने वोटबैंक ब्राह्मणों की वापसी चाहती है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी टीम में प्रदेश से पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद की एंट्री कराकर ब्राह्मणों में युवाओं को लुभाने की कोशिश की है।

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वर्किंग कमेटी के जरिये सामाजिक समीकरण साधते हुए दलित, पिछड़ा वर्ग, ठाकुर के अलावा ब्राह्मणों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया। पीएन पुनिया, आरपीएन सिंह व पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह अलग-अलग प्रदेशों के प्रभारी होने के कारण वर्किंग कमेटी में स्थाई आंमत्रित सदस्य बनाए गए हैं तो पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद विशेष आमंत्रित सदस्य नियुक्त किए गए है।

जितिन को मिली तरजीह को ब्राह्मणों में पकड़ बढ़ाने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है। हाईकमान का मानना है कि प्रदेश की सत्ता से 28 वर्ष का वनवास समाप्त करने को पुराने वोटबैंक की वापसी जरूरी है। गत विधानसभा चुनाव से पहले भी इस फार्मूले को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 'पीके' ने आजमाया था।

मुख्यमंत्री पद के लिए ब्राह्मïण चेहरे के तौर पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दावेदार बनाकर प्रचार किया गया था। पीके का मानना था कि जब तक कांग्रेस में ब्राह्मणों की वापसी न होगी तब मुस्लिम व दलित वोट बैंक का लौटना भी मुश्किल होगा।

इसी क्रम में प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को बदलने की जब चर्चा चली थी तो उनके विकल्प के रूप में किसी ब्राह्मण नेता को आगे किया जाना था। इसके लिए जितिन प्रसाद के अलावा राजेश मिश्र, प्रमोद तिवारी और ललितेशपति त्रिपाठी जैसे नाम भी सामने आए थे। प्रदेश अध्यक्ष बदलने का मौका नहीं आया तो जितिन को आगे कर ब्राह्मïण कार्ड चला गया है। एक पूर्व विधायक का कहना है कि भाजपा में अपेक्षित सम्मान नहीं मिलने के कारण ब्राह्मणों का एक बड़ा वर्ग मायूस है। खासकर युवाओं में निराशा बढ़ी है।

प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चा पर विराम

नई वर्किंग कमेटी में प्रदेश से भागीदारी को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की कुर्सी भी सुरक्षित दिखने लगी है। सूत्रों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव बाद प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव होगा। राजबब्बर द्वारा त्यागपत्र देने की पेशकश को नामंजूर कर लोकसभा चुनाव तक बने रहने को कहा गया है। राजबब्बर ने मीडिया विभाग का ओवरहालिंग करने के बाद प्रदेश कमेटी को नया स्वरूप देने की तैयारी कर ली है। नई कमेटी में युवाओं को अधिक तव्वजो देने के अलावा आकार भी छोटा होगा। अब पदाधिकारियों की संख्या 70-80 के बीच रहेगी। 


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