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UP Panchayat Chunav: पंचायतों में आरक्षण फार्मूले पर अब भी असमंजस, चक्रानुक्रम व शून्य के फेर में फंसा पेच

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है लेकिन आरक्षण फार्मूले को लेकर पशोपेश के हालात बने हैं। आरक्षण नए सिरे से हो या चक्रानुक्रम यह फैसला शासन स्तर पर 10-11 जनवरी को होने की उम्मीद है।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 11:30 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 11:30 AM (IST)
UP Panchayat Chunav: पंचायतों में आरक्षण फार्मूले पर अब भी असमंजस, चक्रानुक्रम व शून्य के फेर में फंसा पेच
यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है, लेकिन आरक्षण फार्मूले को लेकर पशोपेश के हालात बने हैं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है, लेकिन आरक्षण फार्मूले को लेकर पशोपेश के हालात बने हैं। आरक्षण नए सिरे से हो या चक्रानुक्रम, यह फैसला शासन स्तर पर 10-11 जनवरी को होने की उम्मीद है। क्षेत्र और जिला पंचायतों में आरक्षण शून्य करने और ग्राम सभाओं में चक्रानुक्रम लागू किए जाने पर भी विचार हो रहा है। फिलवक्त, पंचायतों में आंशिक परिसीमन और मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य जोरों से जारी है।

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आरक्षण शून्य करने से बढ़ी उलझन : पंचायतों में आरक्षण की उलझन वर्ष 2015 में ग्राम पंचायतों में आरक्षण शून्य करने से बढ़ी है। आरक्षण शून्य करने का अर्थ ग्राम पंचायतों में नए सिरे से आरक्षण लागू किया जाएगा। वर्ष 2000 में हुए आरक्षण का चक्र आगे नहीं बढ़ेगा। अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की जनसंख्या के आधार पर ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला क्रम में बनाकर जातीय व जेंडर आरक्षण को लागू किया गया था। इसके विपरीत क्षेत्र व जिला पंचायतों में चक्रानुक्रम लागू हुआ था।

पंचायतों में आरक्षण की हो पुख्ता व्यवस्था : राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन के प्रवक्ता ललित शर्मा का कहना है कि पंचायतों में आरक्षण की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। इसमें बार-बार बदलाव किए जाने से आरक्षित वर्ग के साथ अन्याय होने की संभावना बनती है। वर्ष 2015 में सात हजार नई ग्राम पंचायतों के अस्तित्व में आ जाने की आड़ लेकर आरक्षण शून्य किया गया था, जिससे त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण व्यवस्था गड़बड़ाया था। इस बार सरकार को आरक्षण व्यवस्था दुरस्त करानी चाहिए। 

आरक्षण फार्मूले के सभी पहलुओं पर विचार : पंचायतीराज निदेशालय में आरक्षण फार्मूले के सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। शासन से निर्देश मिलने के बाद उसके अनुसार ही आरक्षण फार्मूला तैयार कराकर लागू किया जाएगा। करीब तीन दर्जन से अधिक जिलों में नए नगरीय निकायों के गठन या सीमा विस्तार का असर आरक्षण निर्धारण पर पडऩा तय है।

शासन तय करेगा आरक्षण का फार्मूला : अपर निदेशक आरएस चौधरी का कहना है कि चार जिलों मुरादाबाद, संभल, गोंडा व गौतमबुद्धनगर में 14 जनवरी तक व अन्य स्थानों पर 16 जनवरी तक परिसीमन कार्य पूरा जाएगा। परिसीमन पूरा होने के बाद ही आरक्षण व्यवस्था लागू होना संभव होगा, लेकिन इसका फार्मूला शासन द्वारा तय किया जाएगा। फार्मूला तय होने पर जिला पंचायत अध्यक्षों का आरक्षण क्रम प्रदेश स्तर पर निर्धारित होगा। क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष व वार्ड सदस्यों के साथ ग्राम प्रधान व वार्ड सदस्यों का भी आरक्षण जिलों में तय किया जाएगा।

जल्द तय होगा आरक्षण फार्मूला : पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मार्च में कराने की तैयारी है। फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में चुनाव कार्यक्रम जारी होना संभव है। आंशिक परिसीमन व मतदाता सूचियों का काम अंतिम चरण में है। आरक्षण फार्मूला भी जल्द तय कर लिया जाएगा।


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