Raju Srivastav Death News: सत्यप्रकाश से बन गए कामेडियन राजू श्रीवास्तव, ये है गजोधर भैया की कहानी
Comedian Raju Srivastav Death News Update कामेडियन राजू श्रीवास्तव ने बुधवार की सुबह सभी को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपनी आखिरी सांस दिल्ली एम्स में ली। करीब 41 दिन से वे वहां भर्ती थे। राजू श्रीवास्तव का दूसरा घर लखनऊ ही था। उन्हें यहां से खास लगाव था।
लखनऊ, दुर्गा शर्मा। कामेडियन राजू श्रीवास्तव (Comedian Raju Srivastava) का वास्तविक नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था, लेकिन वह लोकप्रिय हुए गजोधर और राजू भइया के नाम से। राजू श्रीवास्तव के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव कवि थे। 25 दिसंबर 1963 में कानपुर में जन्मे राजू श्रीवास्तव 1982 में मुंबई चले गए थे। राजू श्रीवास्तव ने स्टैंड अप कामेडी शो ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज से अपनी सफलता की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया।
राजू श्रीवास्तव इस शो में दूसरे रनर अप रहे थे। इस शो में राजू श्रीवास्तव का दर्शकों को अपार स्नेह मिला था। दर्शकों ने उन्हें द किंग आफ कामेडी का शीर्षक दिया था। राजू श्रीवास्तव अधिकतर मुंबई में रहते थे, लेकिन लखनऊ एक तरह से राजू श्रीवास्तव का दूसरा घर था। राजू श्रीवास्तव का लखनऊ आना जाना बना रहता था। झूलेलाल वाटिका में हुए दीपोत्सव में राजू श्रीवास्तव ने लोगों को खूब हंसाया था, वह शाम कौन भूल सकता है।
लखनऊ के राजाजीपुरम सी ब्लाक में उनका ससुराल भी है। उनकी पत्नी का नाम शिखा श्रीवास्तव और बेटा आयुष्मान श्रीवास्तव और बेटी अंतरा श्रीवास्तव हैं। अभी पिछले ही साल राजू श्रीवास्तव ने लखनऊ में अपनी शादी की सालगिरह भव्य तरीके से मनाया था। राजू श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश फिल्म विकास बोर्ड के चेयरमैन भी थे। राजू श्रीवास्तव के चेयरमैन नियुक्त होने पर अवधी विकास संस्थान ने लखनऊ में एक भव्य आयोजन भी किया था।
राजू श्रीवास्तव की लखनऊ के वरिष्ठ रंगकर्मी और अवधी विकास संस्थान के अध्यक्ष विनोद मिश्र के साथ भी घनिष्ठता रही है। विनोद मिश्र कहते हैं कि राजू श्रीवास्तव जी हमारे बीच नहीं रहे इस बात पर विश्वास ही नहीं होता। कला जगत को एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। राजू श्रीवास्तव जैसा सबको हंसाने वाला इंसान हमारे बीच नहीं रहा।
वह अवधी विकास संस्थान के मुख्य संरक्षक भी थे, हमारे हर कार्यक्रम में आते थे। जबसे फिल्म बंधु में वह आए फिल्मों पर मीटिंग और निर्णय भी बहुत जल्दी हो रहे थे। चाहे मुंबई हो या लखनऊ मुलाकात होती रहती थी। कभी वे यहां आते थे तो कभी हम मुंबई उनसके मिलने के लिए जाया करते थे।