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ठंड ने दी दस्तक, लेकिन स्कूलों में नहीं बंटे स्वेटर, 90 फीसद जिलों में नहीं शुरू सकी आपूर्ति

लखनऊ और मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर में तो टेंडर में सबसे कम दाम कोट करने वाली फर्म ने स्वेटर की आपूर्ति करने से ही हाथ खड़े कर दिए।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 07:41 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 08:22 AM (IST)
ठंड ने दी दस्तक, लेकिन स्कूलों में नहीं बंटे स्वेटर, 90 फीसद जिलों में नहीं शुरू सकी आपूर्ति
ठंड ने दी दस्तक, लेकिन स्कूलों में नहीं बंटे स्वेटर, 90 फीसद जिलों में नहीं शुरू सकी आपूर्ति

लखनऊ, जेएनएन। अक्टूबर का महीना बीत गया है। गुलाबी ठंड की दस्तक हो चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में सभी बच्चों को स्वेटर बंटना तो दूर, सूबे के 90 फीसद जिलों में अभी उसकी आपूर्ति भी नहीं शुरू हो पाई है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश की योगी सरकार ने 31 अक्टूबर तक हर हाल में स्वेटर बांटने का निर्देश दिया था।

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सत्तारूढ़ होने पर योगी सरकार ने परिषदीय स्कूलों के सभी बच्चों को प्रत्येक शैक्षिक सत्र में एक सेट मैरून रंग का स्वेटर देने का फैसला किया था, जिसकी अधिकतम कीमत 200 रुपये तय है। स्वेटर बांटने में पिछले वर्षों में विलंब को देखते हुए अबकी डीएम की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। स्वेटर की खरीद जिला स्तर पर जेम पोर्टल के जरिये करने के साथ 31 अक्टूबर तक उन्हें बच्चों को बांटने के निर्देश दिए गए।

विभागीय अफसरों के मुताबिक अभी सिर्फ झांसी, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, मऊ, बरेली, रायबरेली, कानपुर नगर और बाराबंकी में ही स्वेटर की आपूर्ति शुरू हो पाई है। इनमें भी इक्का-दुक्का जिलों के चंद स्कूलों में ही स्वेटर दिए गए हैं। उनका कहना है कि स्वेटर की बड़ी संख्या को देखते हुए जेम पोर्टल के जरिये खरीद में दिक्कतें आ रही हैं। तकरीबन 1.6 करोड़ बच्चों के लिए स्वेटर खरीदे जाने हैं। गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, प्रतापगढ़, जौनपुर व लखनऊ समेत लगभग 20 जिलों में तो टेंडर प्रक्रिया ही पूरी नहीं हुई है।

लखनऊ और मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर में तो टेंडर में सबसे कम दाम कोट करने वाली फर्म ने स्वेटर की आपूर्ति करने से ही हाथ खड़े कर दिए। कई और जिलों में ऐसे हालात पैदा होने पर दोबारा बिड प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ा है। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  डॉ.सतीश द्विवेदी का कहना है कि जिला स्तर पर जेम पोर्टल के जरिये स्वेटर खरीद में दिक्कतें आ रही हैं। कई जिलों में फर्मों ने बिना पूरी जानकारी हासिल किये ही टेंडर में हिस्सा लिया और बाद में टेंडर खुलने पर पीछे हट गईं। इस वजह से कई जिलों में दोबारा टेंडर कराने पड़े हैं।


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